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    डेटा चोरी रोकने के लिए न करें ये छोटी गलतियां; हैकिंग और फिशिंग से बचाएं अपनी डिवाइस; बरतें जरूरी सावधानियां

    By Rakesh Kumar SinghEdited By: Geetarjun
    Updated: Mon, 03 Apr 2023 09:46 PM (IST)

    Data Theft वर्तमान समय में डिजिटल डेटा महत्वपूर्ण है लेकिन यह कितना सुरक्षित है इस पर कुछ कहा नहीं जा सकता है। डेटा चोरी तब होता है जब कोई हैकर किसी क ...और पढ़ें

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    डाटा चोरी रोकने के लिए न करें ये छोटी गलतियां; हैकिंग और फिशिंग से बचाएं अपनी डिवाइस; बरतें जरूरी सावधानियां

    नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। वर्तमान समय में डिजिटल डेटा महत्वपूर्ण है, लेकिन यह कितना सुरक्षित है, इस पर कुछ कहा नहीं जा सकता है। ठग नई-नई तरकीबों से डेटा हासिल करने की कोशिश में लगे रहते हैं। डेटा चोरी तब होता है जब कोई हैकर किसी कंप्यूटर सिस्टम, नेटवर्क, मेल या वेबसाइट पर अवैध एक्सेस प्राप्त कर लेता है।

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    इस एक्सेस से हैकर किसी व्यक्ति, संस्थान, और सरकारी डेटा का इस्तेमाल या संवेदनशील जानकारी की चोरी कर लेता है। यही नहीं, इस चोरी किए गए डेटा को वह किसी कंपनी को बेच सकता है अथवा सार्वजनिक रूप से भी लीक कर सकता है। डेटा चोरी विभिन्न तरीकों से किया जाता है, जैसे फिशिंग स्कैम और मॉलवेयर इंफेक्शन आदि।

    एप या सर्विस द्वारा चोरी होता है डेटा

    आमतौर पर सबसे ज्यादा डेटा चोरी लोगों के डिवाइस पर मौजूद एप और सर्विस द्वारा किया जाता है। यह एप आपका नाम, आपके द्वारा देखी जाने वाली वेबसाइटें, आपका नेटवर्क आइपी पता, फाटो, वीडियो, संपर्क आदि को चोरी करते हैं।

    लोग इस मौके पर नहीं देते हैं ध्यान

    जब डिवाइस पर कोई एप को डाउनलोड करते हैं और उसे संचालित करते हैं तो वह एक्सेस प्राप्त करने की इजाजत मांगता हैं, लोग इस पर विशेष ध्यान नहीं देते और वे जल्दी बाजी में इजाजत दे देते हैं। बाद में एप जिस सर्वर से जुड़ा होता है, वहां बैठे हैकर उक्त डिवाइस से रोजाना डेटा हासिल करते रहते हैं।

    ऐसे में मोबाइल से डेटा चोरी हाने से बचने के लिए अपने डिवाइस से ऐसे एप को डिलीट कर दें, जिनका उपयोग रोजाना नहीं करते हैं। इसके अलावा अनावश्यक एप को भी हटाए।

    हैंकिंग से होता है सबसे ज्यादा डेटा चोरी

    सबसे ज्यादा डेटा की चोरी हैकिंग से होती है। चोर लिंक या बग भेजकर कंप्यूटर, मोबाइल समेत अन्य डिवाइस का एक्सेस प्राप्त कर लेते हैं। इसके बाद हैकर किसी व्यक्ति, संस्थान, और सरकारी डेटा का इस्तेमाल या संवेदनशील जानकारी की चोरी कर लेता है।

    इसमें क्रेडिट कार्ड से लेने देन करने पर भी डेटा चोर कर लिया जाता है। 43 प्रतिशत डेटा की चोरी हैकिंग के जरिये होती है। वहीं, 14 प्रतिशत डेटा की चोरी फिशिंग के जरिए होती है।

    फिशिंग के जरिए ऐसे होता है डेटा चोरी

    फिशिंग के जरिए डेटा चोरी के साथ ही लोगों के साथ ठगी भी की जाती है। इसमें ठग नकली वेबसाइट और नकली एप बनाकर ठगी करते हैं। अधिक मामले में बैंकिंग से एप और वेबसाइट की होती है।

    इसमें ठग यूजर्स को फर्जी बैंकिंग वेबसाइट पर ले जाते हैं, फिर उनकी बैंकिंग जानकारी जैसे डेबिड, क्रेटिड कार्ड आदि की जानकारी चुरा लेते हैं। कई मामले में आरोपित पीड़ित से ठगी भी करते हैं।

    हर पांच में से एक का डेटा हो रहा चोरी

    एक रिपोर्ट के मुताबिक, पांच में से एक भारतीय डेटा खतरे में है। वर्ष 2004 के बाद से भारत में दो बिलियन से अधिक डेटा लीक हुए हैं। फिलहाल भारत डेटा चोरी के मामलों में एशिया में तीसरे और विश्व में सातवें स्थान पर है।

    इन बातों का रखें ध्यान

    • यूजर्स कोई भी ऐप इंस्टॉल करते हैं तो उनसे लोकेशन, माइक्रोफोन और कैमरे के एक्सेस की परमिशन मांगी जाती है। ऐसे में लोग 'आलवेस यूज वाले विकल्प पर क्लिक करते हैं लेकिन यह गलत हैं। यूजर्स को 'अलाव ऑनली वाइल यू सिंग एप का ही चयन करना चाहिए।
    • गूगल के अकाउंट मैनेजमेंट पर जाकर यूजर्स को पर्सनलाइजेशन एड्स के विकल्प को बंद कर देना चाहिए। ऐसे में आपके डेटा की चोरी में थोड़ी कमी तो आएगी ही, साथ ही आपको विज्ञापनों से भी निजात मिलेगी।
    • कोई भी लिंक यदि एसएमएस और वाट्सएप पर आए तो उसे बिना जांच पड़ताल के नहीं खोले और न लिंक पर मांगी जा रही जानकारियों को दें, इससे हैकरों से बचने में मदद मिलेगी।
    • गूगल, फेसबुक और वाट्स एप की सेवाएं लेने के लिए वीडियो, फोटो, संपर्क जैसी जानकारी साझा करनी पड़ती है। ऐसे में इन एप पर चारों की नजर रहती है।