दिल्ली में बिजली की बढ़ती मांग कैसे पूरी होगी? 2030 तक का प्लान तैयार
377 गीगावाट सौर ऊर्जा 148 गीगावाट पवन ऊर्जा 62 गीगावाट पनबिजली और 20 गीगावाट परमाणु ऊर्जा शामिल होगी। विश्वसनीय बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए ऊर्जा भंडारण ट्रांसमिशन और केंद्र व राज्यों के बीच समन्वय में निवेश भी बहुत जरूरी होगा।यह जानकारी ऊर्जा पर्यावरण और जल परिषद (सीईईडब्ल्यू) की नई रिपोर्ट भारत अपनी बढ़ती बिजली मांग को कैसे पूरा कर सकता है? 2030 तक के रास्ते से सामने आई है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए भारत को 2030 तक स्वच्छ ऊर्जा क्षमता को 600 गीगावाट तक बढ़ाना होगा। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के कारण अगर बिजली की मांग तेजी से बढ़ती है, तो अक्षय ऊर्जा आधारित रणनीति सबसे किफायती होगी।
केंद्र व राज्यों के बीच समन्वय जरूरी
इसमें 377 गीगावाट सौर ऊर्जा, 148 गीगावाट पवन ऊर्जा, 62 गीगावाट पनबिजली और 20 गीगावाट परमाणु ऊर्जा शामिल होगी। विश्वसनीय बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए ऊर्जा भंडारण, ट्रांसमिशन और केंद्र व राज्यों के बीच समन्वय में निवेश भी बहुत जरूरी होगा।
यह जानकारी ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (सीईईडब्ल्यू) की नई रिपोर्ट 'भारत अपनी बढ़ती बिजली मांग को कैसे पूरा कर सकता है? 2030 तक के रास्ते' से सामने आई है। यह रिपोर्ट बुधवार को "नेशनल डायलॉग ऑन पावरिंग इंडियाज फ्यूचर प्रोग्राम" में जारी की गई।
यह अपनी तरह का पहला अध्ययन है, जिसने 2030 में हर 15 मिनट में भारत की बिजली व्यवस्था के डिस्पैच का मॉडल तैयार किया है।
रिपोर्ट को सीईईडब्ल्यू के ट्रस्टी और पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. सुरेश प्रभु, केंद्रीय ऊर्जा और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाइक, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अध्यक्ष घनश्याम प्रसाद और सीईईडब्ल्यू के सीईओ डॉ. अरुणाभ घोष ने संयुक्त रूप से जारी किया।
फरवरी 2025 में देश की बिजली की मांग
यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब फरवरी 2025 में देश की बिजली की मांग रिकॉर्ड 238 गीगावाट तक पहुंच गई है और असामान्य रूप से उच्च तापमान के कारण आने वाले गर्मियों के महीनों में पीक डिमांड 260 गीगावाट तक पहुंचने की उम्मीद है, जो अनुमान से कहीं अधिक है।
हालांकि, अगर भारत अपने स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाता है और 2030 तक केवल 400 गीगावाट गैर-जीवाश्म क्षमता तक ही पहुंच पाता है, तो बिजली की कमी हो सकती है। इसे पूरा करने के लिए 10 से 16 गीगावाट की नई कोयला क्षमता और ग्रिड स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए ट्रांसमिशन नेटवर्क में महत्वपूर्ण सुधार की आवश्यकता होगी।
हमने गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता बढ़ाने और 2070 तक नेट जीरो तक पहुंचने के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं। हमारी स्वच्छ ऊर्जा यात्रा शानदार रही है, जिसमें गैर-जीवाश्म क्षमता 2014 में 76 गीगावाट से 2025 में 220 गीगावाट तक पहुंच गई है। यह सीईईडब्ल्यू रिपोर्ट भी समय पर है, जो 2030 तक इस यात्रा के विभिन्न मार्गों के बारे में जानकारी प्रदान करती है। प्रत्येक राज्य को अपनी अद्वितीय अक्षय ऊर्जा क्षमता का लाभ उठाना चाहिए। स्वच्छ ग्रिड को उपभोक्ताओं को कुशल सेवा प्रदान करते हुए डिस्कॉम के लिए वित्तीय व्यवहार्यता सुनिश्चित करनी चाहिए।
-श्रीपद येसो नाइक, केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री
हमारी नीतियों को बिजली को किफायती बनाने पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखना चाहिए, जो उद्योग और विकास को बढ़ावा देता है। राज्यों के संसाधनों और आवश्यकताओं का आकलन करने के लिए वार्षिक वैज्ञानिक अध्ययनों की भी आवश्यकता है, ताकि बिजली खरीद से संबंधित समस्याओं का समाधान किया जा सके। इसके अलावा, अक्षय ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करना केंद्र और राज्यों का संयुक्त प्रयास होना चाहिए। हमें प्रत्येक राज्य की मांग के पैटर्न के आधार पर बिजली खरीदने में उसकी सुविधा को भी ध्यान में रखना होगा।
- घनश्याम प्रसाद, अध्यक्ष, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण
यह भी पढ़ें : Delhi Traffic: होली पर शराब पीकर गाड़ी चलाना युवक को पड़ा महंगा, ट्रैफिक पुलिस ने ऐसे सिखाया सबक
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।