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    Rail Roko Kisan Andolan: बृहस्पतिवार को रेल रोको आंदोलन के दौरान ना करना ये गलती, जाना पड़ेगा जेल-पीसनी पड़ेगी चक्की

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Wed, 17 Feb 2021 11:01 AM (IST)

    Rail Roko Kisan Andolan 18 फरवरी को एक बार फिर से किसानों ने रेल रोकने का एलान किया है। रेलवे संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर रेलवे एक्ट की धारा-150 के तहत दोषी को आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।

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    रेल रोकने व संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का सिलसिला नहीं थम रहा है।

    नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। आंदोलन या फिर धरना प्रदर्शन के दौरान रेल रोकना या फिर रेल पटरियों को क्षति पहुंचाना लोगों को बड़ी सजा दिलवा सकता है। यहां तककि उम्र कैद तक का सजा का प्रावधान है। यह भी सच है कि कभी आंदोलन के नाम पर तो कभी किसी अन्य वजह से रेल संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जाता है। अक्सर प्रदर्शनकारी रेल परिचालन को बाधित कर देते हैं। इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई भी होती है। पिछले तीन वर्षों में उत्तर रेलवे में रेल परिचालन बाधित करने के 5,141 मामले दर्ज हुए और 4,906 लोग गिरफ्तार किए। इस तरह की कार्रवाई के बावजूद रेल रोकने व संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का सिलसिला नहीं थम रहा है। इसका एक कारण दोषियों को सख्त सजा नहीं मिलना है। आसानी से दोषी छूट जाते हैं और वह फिर से रेल को निशाना बनाते हैं। कृषि कानूनों के विरोध के नाम पर भी लगभग दो माह तक पंजाब में रेल परिचालन बाधित रखा गया। अमृतसर के पास एक रूट पर इस समय भी ट्रेनों की आवाजाही बंद है। वहीं, 18 फरवरी को एक बार फिर से किसानों ने रेल रोकने का एलान किया है। रेलवे संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर रेलवे एक्ट की धारा-150 के तहत दोषी को आजीवन कारावास की सजा हो सकती है, लेकिन पिछले तीन वर्षों में इस धारा के तहत किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है।

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    अमूमन रेलवे लाइन पर बैठकर, अवरोधक लगाकर या आंदोलन के दौरान ट्रेनों की आवाजाही रोकने पर धारा 141 या 174 के तहत कार्रवाई की जाती है। 141 के तहत पांच सौ रुपये जुर्माना से लेकर तीन माह की कैद की सजा होती है। वहीं, 174 के तहत दो हजार रुपये जुर्माना या दो साल की सजा होती है। इसके साथ ही दिल्ली गलत तरीके से रेलवे परिसर में प्रवेश करने या रेलवे ट्रैक पार करने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई होती है। उत्तर रेलवे में पिछले तीन वर्षो में 43 हजार से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं।