येलो फंगस पर खूब हो रही चर्चा मगर खुलकर बोलने को तैयार नहीं डॉक्टर्स, दुनिया का पहला मरीज मिला देश में
येलो फंगस (म्यूकरसेप्टिकस) का दुनिया में पहला मरीज मिलने के दावे के बीच जिले के चिकित्सकों की अलग-अलग राय सुनने को मिल रही है। मीडिया से इसकी जानकारी मिलने के बाद डॉक्टर एक-दूसरे को फोन कर आपस में खूब चर्चा भी कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, दिल्ली/ गाजियाबाद। येलो फंगस (म्यूकरसेप्टिकस) का दुनिया में पहला मरीज मिलने के दावे के बीच जिले के चिकित्सकों की अलग-अलग राय सुनने को मिल रही है। मीडिया से इसकी जानकारी मिलने के बाद डॉक्टर एक-दूसरे को फोन कर आपस में खूब चर्चा भी कर रहे हैं। कोई कह रहा है कि फंगस के कई रूप होते हैं। इसलिए हो सकता है कि येलो फंगस का मरीज मिला हो तो वहीं कई चिकित्सक इसे खारिज कर रहे हैं। हालांकि आधिकारिक रूप से कोई भी चिकित्सक इस मामले में बोलने को तैयार नहीं है।
जिले में सोमवार को निजी अस्पताल में भर्ती संजयनगर निवासी कुंवर सिंह में ब्लैक फंगस (म्यूकरमायकोसिस), व्हाइट फंगस (एस्परजिलोसिस) के साथ एक और फंगस के संक्रमण की बात कही गई थी। कुंवर का इलाज कर रहे डॉ. बीपी त्यागी ने इसे येलो फंगस का नाम दिया था। इसके बाद से ही जिले के डाक्टरों में सुगबुगाहट शुरू हो गई। एक चिकित्सक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सभी चिकित्सक आपस में फोन पर लंबी चर्चा कर रहे हैं। कई लोग येलो फंगस के संक्रमण को नहीं मान रहे हैं।
खुद चिकित्सक का कहना है कि यदि फंगस की पुष्टि के जरूरी सभी जांच की गई हैं और उसके बाद इसे येलो फंगस बताया गया है तो फिर चर्चा की जरूरत नहीं है। उनके मुताबिक चिकित्सकों को राय देने से से पहले रिपोर्ट जरूर देखनी चाहिए। उधर डॉ. बीपी त्यागी का कहना है कि कोरोना वायरस का संक्रमण भी एक जीव से ही शुरू हुआ था। येलो फंगस का संक्रमण छिपकली में होता है। उन्होंने येलो फंगस के केस बढ़ने की आशंका जताई है।
आइएमए अध्यक्ष का बयान
इस मरीज की रिपोर्ट अभी तक नहीं देखी हैं। मैंने इस फंगस के बारे में कुछ पढ़ा भी नहीं है। इसलिए फिलहाल कुछ स्पष्ट रूप से नहीं कह सकता।- डॉ. आशीष अग्रवाल, अध्यक्ष, आइएमए।