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    कैसे हो फर्जी फार्मासिस्टों की पहचान? 35 ड्रग इंस्पेक्टर पर 32 हजार दवा की दुकानें

    Updated: Sat, 05 Apr 2025 12:37 PM (IST)

    Delhi Drug Case दिल्ली में हजारों करोड़ के दवा कारोबार पर नजर रखने के लिए औषधि नियंत्रण विभाग के पास मात्र 35 औषधि निरीक्षक हैं जिनमें से 25 अभी कार्य प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। ऐसे में दिल्ली की 32 हजार से अधिक दवा दुकानों पर दवा कारोबार मानक अनुरूप हो रहा है या नहीं इस पर सवाल उठ रहे हैं।

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    Delhi News: दिल्ली में 32 हजार से अधिक छोटी-बड़ी दवा की दुकानें। फाइल फोटो

    अनूप कुमार सिंह, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में हजारों करोड़ के दवा कारोबार की ठोस निगरानी को मजबूत सरकारी तंत्र है ही नहीं। दिल्ली में 32 हजार से अधिक छोटी-बड़ी दवा की दुकानें हैं, थोक की दुकानें इससे अलग है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के औषधि नियंत्रण विभाग से मिली जानकारी के अनुसार दवा इन दुकानों से प्रतिदिन 42 करोड़ और 15 हजार करोड़ से अधिक का वार्षिक कारोबार होता है।

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    इस पर निगरानी को औषधि नियंत्रण विभाग के पास मात्र 35 औषधि निरीक्षक हैं, जिनमें से 25 तो अभी कार्य प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। साफ है कि वर्तमान में मात्र 10 औषधि निरीक्षक ही इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को निभा रहे हैं।

    अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने की बढ़ी चुनौती

    इन पर ही दिल्ली की 32 हजार से अधिक दवा दुकानों पर दवा कारोबार मानक अनुरूप हो रहा है या नहीं, दुकानों पर फार्मासिस्ट की तैनाती है या नहीं, बिना प्रिसक्रिप्शन दवा की बिक्री तो नहीं हो रही, अधोमानक या नकली दवाओं की बिक्री तो नहीं हो रही है, आदि-आदि पर निगरानी रखने, पकड़े जाने पर कार्रवाई करने की जिम्मेदारी है।

    दवा दुकानों और औषधि निरीक्षकों की संख्या का यह असंतुलन दवा बाजार में गुणवत्ता नियंत्रण और अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने की चुनौती मुश्किल बनाने के साथ-साथ फर्जी फार्मासिस्ट के धंधे, दवा की अवैध दुकानों व कारोबार को बढ़ावा दे रहा है।

    दिल्ली में दवा दुकानों की लगातार बढ़ती संख्या, उनके नियमन के लिए कमजोर प्रशासनिक तंत्र और समस्या को दूर करने में सरकार की उदासीनता को भष्ट्राचार निरोधक शाखा की फर्जी फार्मासिस्ट पकड़े जाने ने उजागर किया । प्रश्न उठ रहे हैं कि इतने कमजोर तंत्र के माध्यम से कैसे और किस तरह राष्ट्रीय राजधानी जैसे संवेदनशील क्षेत्र के इतने बड़े दवा कारोबार की निगरानी की जा रही है।

    एक ड्रग इंस्पेक्टर पर 200 से 250 दुकानों की हो जिम्मेदारी

    दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग और औषधि नियंत्रण विभाग से मिले आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि प्रति इंस्पेक्टर औसतन 920 दवा की दुकानों की निगरानी का जिम्मा है, हालांकि सही मायनों में यह आंकड़ा 3200 दुकानों का है। विशेषज्ञों के अनुसार यह अनुपात अंतरराष्ट्रीय मानकों से कहीं नीचे है।

    बताते हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और भारतीय औषधि नियंत्रण मानकों के अनुसार एक ड्रग इंस्पेक्टर को प्रभावी निगरानी के लिए 200 से 250 दुकानों की ही जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। इस लिहाज से दखें तो दिल्ली में कम से कम 120 से 150 औषधि निरीक्षकों की तत्काल आवश्यकता है, हालांकि विशेषज्ञों की नजर में दिल्ली में दवा दुकानों की संख्या और कारोबार को देखते हुए इन पर प्रभावी निगरानी को 250 के करीब औषधि निरीक्षकों की आवश्यकता है।

    फर्जी फार्मासिस्ट बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़

    जो औषधि निरीक्षकों की वर्तमान संख्या से सात गुने से अधिक है। यह कमी न केवल आम नागरिकों के व्यक्तिगत स्वास्थ्य को खतरे में डाल रही है, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के प्रति सरकारी और प्रशासनिक तंत्र की उदासीता-लापरवाही को भी उजागर कर रही है।

    हालांकि हाल ही में हुई जांच में 50 से अधिक दवा की दुकानों पर अनियमितता पाए जाने पर कार्रवाई की गई थी। पर, निरंतरता के अभाव में इस तरह की कार्रवाई बड़ा और गहरा प्रभाव नहीं छोड़ पाती। बता दें कि एंटी करप्शन ब्यूरो ने दो दिन पहले फर्जी फार्मासिस्ट बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए 46 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें 35 फर्जी फार्मासिस्ट भी शामिल हैं।

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