Delhi Railway Station Stampede: 18 मौतों का जिम्मेदार कौन? रेल प्रशासन या कोई और...
इस पूरी घटना पर प्रत्यक्षदर्शियों ने अपना दर्द बयां किया और आपबीती सुनाई। उन्होंने सरकार और रेलवे प्रशासन से कई सवाल भी पूछे। प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि अगर ट्रेन का प्लेटफॉर्म नहीं बदला जाता तो इस वजह से लोगों की जान नहीं जाती। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ ने यात्रियों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। रेलवे प्रशासन को जवाब देना होगा।

पीटीआई, नई दिल्ली। किसी की चप्पलें बिखरी थीं तो कोई मदद के लिए चिल्ला रहा था। कोई गिर गया तो कोई अपनी जान बचाते हुए उसे कुचलता हुआ बढ़ेत चला गया। लोगों का सामान हर जगह बिखरा पड़ा था, ऐसी भीड़ पहले कभी नहीं देखी गई। अब सवाल यह उठता है कि अपनों से बिछड़कर रोते-बिलखते इन परिजनों के दर्द का जिम्मेदार कौन है?
यात्रियों ने की सुरक्षा पर सवाल
इस पूरी घटना पर प्रत्यक्षदर्शियों ने अपना दर्द बयां किया और आपबीती सुनाई। उन्होंने सरकार और रेलवे प्रशासन से कई सवाल भी पूछे। प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि अगर ट्रेन का प्लेटफॉर्म नहीं बदला जाता तो इस वजह से लोगों की जान नहीं जाती। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ ने यात्रियों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। रेलवे प्रशासन को जवाब देना होगा। इतनी बड़ी संख्या में यात्री बिना टिकट के प्लेटफॉर्म पर कैसे पहुंच गए?
प्रति घंटे 1500 जनरल टिकट बेचे गए
प्रत्यक्षदर्शियों ने यह भी बताया कि प्रयागराज के लिए प्रति घंटे 1500 जनरल टिकट बेचे जा रहे थे, तो स्पेशल ट्रेन के प्लेटफॉर्म पर पहुंचने से पहले इन यात्रियों को रेलवे स्टेशन के बाहर क्यों नहीं रोका गया? इन यात्रियों के लिए होल्डिंग एरिया क्यों नहीं बनाया गया? शाम करीब चार बजे से यात्रियों की संख्या बढ़नी शुरू हो गई थी, फिर भी भीड़ प्रबंधन के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठाए गए?
रेलवे ने किया गलत घोषणा
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, प्लेटफॉर्म बदलने के बारे में गलत घोषणा के कारण भ्रम की स्थिति पैदा हुई, जिसके कारण भगदड़ मची। कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने भी यही दावा किया। जैसे ही घोषणा हुई, लोग आगे बढ़ने के लिए एक-दूसरे को धक्का देने लगे। रेलवे स्टेशन पर पिछले 12 सालों से दुकान चला रहे विक्रेता रवि कुमार ने पीटीआई को बताया कि जो लोग गिरे, वे भीड़ में कुचले गए।
उन्होंने कहा कि भीड़ पहले कभी नहीं देखी गई थी। उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) हिमांशु उपाध्याय ने रविवार को बताया कि घटना के समय पटना जाने वाली मगध एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर खड़ी थी और नई दिल्ली-जम्मू उत्तर संपर्क क्रांति एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म नंबर 15 पर खड़ी थी।
सभी ट्रेनें क्षमता से अधिक भरी हुई थीं
दुखद दृश्य को याद करते हुए कुमार ने कहा, "प्लेटफॉर्म 12, 14 और 15 पर भीड़ बहुत अधिक थी। प्रयागराज जाने वाली सभी ट्रेनें क्षमता से अधिक भरी हुई थीं। प्रयागराज एक्सप्रेस पहले से ही एक प्लेटफॉर्म पर खड़ी थी, तभी दूसरी ट्रेन के आने की घोषणा हुई। जैसे ही घोषणा हुई, लोग एक-दूसरे को धक्का देते हुए आगे बढ़ गए। प्लेटफॉर्म को जोड़ने वाला फुटब्रिज छोटा है और भीड़ में लोग गिर गए और कुचल गए।"
कुछ यात्रियों ने किया लौटने का फैसला
पहाड़गंज निवासी वेद प्रकाश ने अपनी पत्नी के साथ प्रयागराज जाने की योजना बनाई थी, लेकिन वहां भारी भीड़ देखकर उन्होंने घर लौटने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा, "ट्रेन के अंदर भी खड़े होने की जगह नहीं थी। मैं बाहर निकला और वापस जाने का फैसला किया।"
रेलवे की गलत घोषणा के कारण लोगों ने गंवाई जान
रविवार को मृतकों में से एक के परिवार के सदस्य पूनम देवी का शव लेने एलएनजेपी अस्पताल पहुंचे, जो शनिवार रात बिहार अपने घर जा रही थी। रिश्तेदार ने बताया, "स्टेशन पर बहुत भीड़ थी और उनकी ट्रेन को प्लेटफार्म नंबर 12 पर आना था। हालांकि, घोषणा होने के बाद लोग भागने लगे और जो लोग गिर गए, वे कुचले गए।"
पीड़ितों में एक महिला भी शामिल थी जो अपने परिवार के साथ बिहार के छपरा जा रही थी। उसके बेटे ने अपने आंसू रोककर उस विनाशकारी नुकसान को बयां किया। उसने कहा, "हम एक बड़े समूह में घर जा रहे थे और मेरी मां ने इस अफरा-तफरी में अपनी जान गंवा दी। लोग एक-दूसरे को धक्का दे रहे थे और वह भीड़ में फंस गई।"
कभी नहीं हुई थी इतनी भीड़
यात्रियों में से एक धर्मेंद्र सिंह ने कहा, "मैं प्रयागराज जा रहा था लेकिन कई ट्रेनें देरी से चल रही थीं या रद्द कर दी गई थीं। स्टेशन पर बहुत भीड़ थी। इस स्टेशन पर मैंने पहले कभी इतने लोग नहीं देखे थे। मेरे सामने छह या सात महिलाओं को स्ट्रेचर पर ले जाया गया।
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