Move to Jagran APP

यूं हीं नहीं मिला था पालम 360 का खिताब, यहीं के लोगों ने रखी थी लाल किले की नींव

शहरीकरण के कारण गांव की सूरत भले ही बदल गई है। रहन-सहन और पहनावे में भी आधुनिकता के रंग समाहित हो गए हैं लेकिन गांव के बुजुर्ग आज भी परंपरागत मान्यताओं का बखूबी पालन करने में यकीन रखते हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 13 Mar 2021 03:38 PM (IST)Updated: Sat, 13 Mar 2021 03:38 PM (IST)
यूं हीं नहीं मिला था पालम 360 का खिताब, यहीं के लोगों ने रखी थी लाल किले की नींव
शाहजहां ने पालम गांव के बुजुर्गो को सम्मान स्वरूप 360 गांव की जिम्मेदारी सौंपी थी।

मनीषा गर्ग। दिल्ली के गांव..जितने रोचक हैं उतने ही दिलचस्प यहां के किस्से हैं। इन गांवों के नाम हम अक्सर सुनते हैं, वहां जाते भी हैं, पर उसके इतिहास से अनभिज्ञ रहते हैं। ऐसा ही गांव है पालम। एयरपोर्ट जाने वाला हर यात्री यहां से गुजरता ही होगा। बहुत कम लोगों को पता होगा कि इस गांव का अयोध्या नगरी से गहरा नाता है। पालम के प्रधान चौधरी रामकरण सोलंकी कहते हैं अयोध्या के पास एक जगह है सोरों। जहां सोलंकी गोत्र के लोग बड़ी संख्या में रहते थे। किसी कारणवश सोलंकी गोत्र के लोग नए जगह बसने की इच्छा लेकर अयोध्या से सैंकड़ों मील दूर राजस्थान के टोंक टोडा इलाके में बस गए। लेकिन यहां की भौगोलिक स्थिति ऐसी थी कि यहां रहना उन्हें रास नहीं आया। एक बार फिर नई जगह की तलाश शुरू हुई और वे हरियाणा के छेज पहाड़ी के आसपास पहुंच गए। फिर यहां से आगे की यात्र उन्हें पालम तक ले आई। इस यात्र की कहानी भी रोचक है।

loksabha election banner

सोलंकी गोत्र के लोगों के प्रमुख थे, धौकल सिंह। ये अपने तीन बेटों के साथ एक स्थायी ठौर की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान की तरफ जा रहे थे। इसी क्रम में ये दिल्ली के आसपास के इलाके में पहुंच गए। तीन भाइयों में से एक बाहर सिंह ने मटियाला में डेरा डाला। इनसे छोटे उदय सिंह ने पूठकलां गांव को बसाया। सबसे छोटे भाई शेर सिंह बैलगाड़ी में अपने ईष्ट देव की शिला लेकर जा रहे रहे थे। अचानक रास्ते में शिला फिसल कर गिर गई। लाख कोशिशों के बावजूद वे शिला को उठा नहीं सके। इसे ईश्वर की इच्छा मानते हुए शेर सिंह ने वहीं पड़ाव डाल दिया और उसी स्थान पर शिला को स्थापित कर पूजा अर्चना करने लगे। वहीं शिला स्थल आज दादा देव मंदिर के नाम से प्रचलित है, जहां दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।

दादा देव मंदिर..आज भी यहां स्थापित है वह प्राचीन शिला, जो गांव बसने से पूर्व यहां खुद स्थापित हो गई थी। यहां पूजा अर्चना कर शुरू होती है ग्रामीणों की दिनचर्या। जागरण

टीले पर गांव की स्थापना: गांव के लोग आज भी किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले दादा देव महाराज का आशीर्वाद लेते हैं। आज भी मंदिर में वह शिला स्थापित है। शिला स्थान से करीब आधे किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक टीले पर सोलंकी गोत्र के लोगों ने गांव की स्थापना की और खेतीबाड़ी व पशुपालन का जीवन यापन करने लगे। यही उनकी आय का प्रमुख स्त्रोत था।

यहीं के लोगों ने रखी थी लाल किले की नींव: यह गांव दिल्ली के सबसे संपन्न गांवों में से एक है। इस गांव से दिल्ली व आसपास के 360 गांव जुड़े हुए हैं। जिसे पालम 360 का नाम दिया गया है। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि पालम गांव को पालम 360 का खिताब मुगलकाल में मिला। शाहजहां ने यमुना नदी के किनारे लाल किला बनाकर वहां राजधानी स्थापित करने की योजना बनाई थी। तब कुछ लोगों ने उन्हें सलाह दी कि वे नेक इरादे से यह काम कर रहे हैं, इसलिए उन्हें किले की नींव किसी हिंदू व्यक्ति से रखवानी चाहिए। शाहजहां ने इस सलाह पर गौर किया और तिहाड़ गांव के लोगों को ऐसे व्यक्ति की तलाश की जिम्मेदारी सौंपी, जो किले की नींव रखने योग्य हो। काफी तलाश के बाद पालम गांव के पांच बुजुर्गो को इस कार्य के लिए चुना गया। कहा जाता है कि उन बुजुर्गो ने 30 फीट गहरे और 15 फीट चौड़े गड्ढे में नींव के रूप में चार सोने की ईंट रखी थी। उनके इस सराहनीय कार्य के लिए शाहजहां ने उन्हें सम्मान स्वरूप 360 गांव की जिम्मेदारी सौंपी थी।

दस्तावेजों में दर्ज पालम का इतिहास दिखाते गांव के प्रधान रामकरण सोलंकी (बीच में) व अन्य लोग। जागरण

पहनावे बदले, पर परंपरा नहीं: पालम की समृद्धि का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि इस गांव के नाम पर एयरपोर्ट है। इसके अलावा गांव की जमीन पर छावनी, उपनगरी द्वारका और रेलवे स्टेशन तक बना हुआ है। तेजी से शहरीकरण होने के कारण गांव की जीवनशैली में अब काफी बदलाव नजर आता है। पहले गांव के लोग खेतीबाड़ी किया करते थे, पर अब इनका मुख्य कार्य कारोबार है। पालम गांव के बाजार की गिनती दिल्ली के व्यस्त बाजारों में होती है। यहां दूर दूर से लोग खरीददारी करने आते हैं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.