दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा अनाज बर्बादी का मामला, याचिका दायर
गैर सरकारी संगठन संपूर्णा ने दिल्ली सरकार के खिलाफ जनहित याचिका दायर कर गंभीर सवाल उठाये हैं। अधिवक्ता प्रशांत रावत के माध्यम से दायर याचिका में संगठन ने कहा कि दिल्ली सरकार दिल्ली के लोगों के प्रति अपने कर्तव्यों और दायित्वों को पूरा नहीं कर सकी।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। गरीबों में बांटने के लिए खरीदे गए अनाज की बर्बादी का मामला दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच गया है। गैर सरकारी संगठन संपूर्णा ने दिल्ली सरकार के खिलाफ जनहित याचिका दायर कर गंभीर सवाल उठाये हैं। अधिवक्ता प्रशांत रावत के माध्यम से दायर याचिका में संगठन ने कहा कि दिल्ली सरकार दिल्ली के लोगों के प्रति अपने कर्तव्यों और दायित्वों को पूरा नहीं कर सकी। अनाज की बर्बादी होने के कारण प्रवासी श्रमिक, निर्माण श्रमिक, दैनिक मजदूरी करने वाले, बेरोजगार और वृद्ध लोगों को राशन नहीं मिल सका।
याचिकाकर्ता संगठन ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए हाई कोर्ट से उचित आदेश देने का आग्रह किया है। साथ ही राशन के वितरण को लेकर एक स्पष्ट दिशानिर्देश तैयार करने का निर्देश देने की भी मांग की। प्रशांत रावत ने बताया कि याचिका आठ जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है। याचिका के अनुसार, अप्रैल 2020 में दिल्ली सरकार ने गैर राशन कार्ड धारक को खाद्यान्न और सूखा राशन प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री कोरोना सहायता योजना शुरू की थी। इसके लिए पर्याप्त मात्र में राशन खरीदा गया, लेकिन दिल्ली सरकार बड़े पैमाने पर लाभार्थियों को सूखा राशन किट और खाद्यान्न का उचित वितरण सुनिश्चित करने में विफल रहे। बाजार मूल्य पर खरीदा गया अनाज गरीबों को वितरित नहीं होने के कारण भंडारण में पड़े-पड़े बर्बाद हो गया। इतना ही नहीं वितरित न किए जाने के कारण रिफाइंड तेल, मिर्च, धनिया, हल्दी भी खराब हो गया।
संगठन ने आरोप लगाया कि योजना के तहत खरीदे गए सामानों की बर्बादी के कारण न सिर्फ जनता को भारी नुकसान हुआ है, बल्कि सरकारी राजस्व का भी नुकसान हुआ। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इसके कारण न सिर्फ लाभार्थियों को भोजन के मौलिक अधिकार से वंचित किया गया, बल्कि बिना किसी गलती के जनता पर भारी वित्तीय देनदारियों का बोझ डाल दिया गया। संगठन ने कहा कि दिल्ली विधानसभा के वर्तमान नेता प्रतिपक्ष की शिकायत के बावजूद दिल्ली सरकार ने मामले में कोई सख्त कार्रवाई नहीं की।
यह है मामला
दैनिक जागरण ने अनाज की बर्बादी मामले का 29 मई को पर्दाफाश किया था, जिसमें कई स्कूलों में बर्बाद हो चुका अनाज मिला था। लगातार सामने आ रहे हैरान करने वाले तथ्यों को देखते हुए उपराज्यपाल अनिल बैजल को नौ जून को मामले की जांच का आदेश देना पड़ा था। जांच के आदेश के बाद सरकार ने स्कूलों से बर्बाद हो चुके अनाज को हटा दिया था। इसके लेकर भारतीय जनता पार्टी लगातार सवाल उठा रही थी।
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