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दिल्ली-एनसीआर से लेकर उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक है एक IAS अफसर की शादी की चर्चा

आइएएस प्रशांत नागर का विवाह दिल्ली के बुरारी में रहने वाले रमेश की पुत्री डॉ. मनीषा से संपन्न हुआ है। इस विवाह की यह खासियत की यह पूरी तरह से सादगीपूर्वक संपन्न हुआ। बरात में भी मात्र 11 व्यक्ति ही शामिल हुए।

By Jp YadavEdited By: Published: Wed, 23 Jun 2021 04:41 PM (IST)Updated: Wed, 23 Jun 2021 04:45 PM (IST)
दिल्ली-एनसीआर से लेकर उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक है एक IAS अफसर की शादी की चर्चा
दिल्ली-एनसीआर से लेकर उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक है एक IAS अफसर की शादी की चर्चा

नई दिल्ली/फरीदाबाद [बिजेंद्र बंसल]। आधुनिक युग में जहां शादी-विवाह में शानो-शौकत दिखाने के लिए लोग लाखों-करोड़ों रुपये खर्च करना अपनी प्रतिष्ठा समझते हैं, वहीं फरीदाबाद जिले के गांव शाहबाद में रहने वाले एक आइएएस अधिकारी ने मात्र 101 रुपये का शगुन लेकर विवाह किया है। यह शादी दिल्ली-एनसीआर में अब चर्चा का विषय बन गई है। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भी इस शादी की चर्चा है, क्योंकि मिसाल कायम करने वाले आइएएस अधिकारी वहां पर बतौर ज्वाइंट मजिस्ट्रेट तैनात हैं। 

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इससे शादी-विवाह पर जरूरत से ज्यादा खर्च करने के लिए पहचान रखने वाले गुर्जर समाज में एक नया संदेश पहुंचा है। तिगांव विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गांव शाहबाद निवासी रणजीत सिंह के बेटे प्रशांत नागर 2019 बैच के यूपी काडर के आइएएस अधिकारी हैं, जो कि फिलहाल उत्तर प्रदेश के अयोध्या में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात हैं।

बरात में भी शामिल हुए मात्र 11 लोग

आइएएस प्रशांत नागर का विवाह दिल्ली के बुरारी में रहने वाले रमेश की पुत्री डॉ. मनीषा से संपन्न हुआ है। इस विवाह की यह खासियत की यह पूरी तरह से सादगीपूर्वक संपन्न हुआ। बरात में भी मात्र 11 व्यक्ति ही शामिल हुए। दिल्ली सहित फरीदाबाद में इस बिना दहेज के विवाह को लेकर खूब चर्चाएं हो रही हैं।

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शादी-समारोह में फिजूल खर्च से बचें लोग

प्रशांत नागर के पिता रणजीत नागर ने बताया कि शादी-विवाह में जो लोग अपनी हैसियत दिखाने के लिए रुपये व्यर्थ खर्च करते है, उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। बल्कि ऐसे रुपयों से वह जरूरतमंद कन्याओं के विवाह संपन्न करवाएं और पुण्य के भागीदार बनें। उन्होंने कहा कि वह शुरू से ही दहेज के खिलाफ रहे हैं। उनके बेटे प्रशांत ने भी बिना दहेज सादगीपूर्वक शादी करने का संकल्प लिया था, जो उसने पूरा किया। इस शादी से न केवल गुर्जर समाज बल्कि समाज के हर वर्ग में भी संदेश जाएगा कि शादी-समारोह में तामझाम और शान-शौकत से बचें।

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साल 2011 में शादी के लिए गुर्जर महापंचायत के ये हैं 10 नियम

बता दें कि दहेज और शादियों में फिजूलखर्ची रोकने के लिए गुर्जर समाज ने वर्ष 2011 में गौतमबुद्धनगर में हुई महापंचायत में 10 नियम बनाए हैं। लेकिन ये नियम बेदम ही नजर आए। दहेज और शादियों में फिजूलखर्ची के विरोध में 2011 में गुर्जर समाज ने दादरी में महापंचायत की थी। इसमें दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और यूपी से हजारों लोगों ने शिरकत की थी। दादरी के मिहिरभोज इंटर कॉलेज मे हुई गुर्जर महापंचायत में हजारों लोगों ने दहेज और फिजूलखर्ची रोकने के लिए हुंकार भरी थी। इस दौरान एलान किया गया था कि अपने घर और परिवार में बेटी और बेटे की शादी पंचायत की तरफ से बनाए गए 10 नियमों के हिसाब से करेंगे।

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ये हैं गुर्जर समाज में शादी करने के 10 नियम, पर नहीं होता पालन

  • शादी में 101 रुपये झोली में, जबकि बाकी गुप्त दान होना चाहिए
  • आतिशबाजी पर भी रोक रहेगी।
  • चढ़त के दौरान बैंड-बाजे और डीजे नहीं होगा।
  • हलवाई व टेंट आदि पर रोक रहेगी।
  • शादी दिन के समय ही होगी।
  • फोन और एसएमएस से शादी का निमंत्रण दिया जाएगा।
  • लगन, सगाई और चिट्ठी का आयोजन एक साथ होना चाहिए।
  • शादी में 100 से ज्यादा बराती नहीं आएंगे।
  • हथियार प्रदर्शन नहीं होना होगा।
  • उपहार प्रदर्शन पर रोक रहेगी।

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