इंडिया गेट के पास बनी छतरी का लंबा रहा है इतिहास, यहां प्रतिमा स्थापित करने के लिए कई हस्तियों के नामों पर हो चुकी है चर्चा
इंडिया गेट के पास बनी छतरी के नीचे जहां कल पीएम मोदी ने भारतीय स्वाधीनता संग्राम के नायक नेताजी सुभाष चंंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण किया उस जगह का इतिहास ब्रिटिश राज से जुड़ा़ है। इसे भारत के ब्रिटिश शासक रहे जार्ज पंचम की स्मृति में बनाया गया था।

नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime minister Narendra Modi) ने गुरुवार शाम को इंडिया गेट (India Gate) के सामने कर्तव्य पथ (Kartavya Path) का उद्घाटन किया जिसका नाम इससे पहले राजपथ हुआ करता था। इस प्रतिष्ठित मार्ग पर सन् 1950 के बाद से गणतंत्र दिवस (Republic Day) के मौके पर भारतीय सेना परेड करती है।
इसी के साथ पीएम मोदी ने गेट से पूर्व की दिशा में करीब 150 मीटर की दूरी पर बनी छतरी (Canopy) के नीचे नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) की 28 फीट ऊंची प्रतिमा का भी अनावरण किया जो काले रंग की ग्रेनाइट पत्थर से बनी है। आइए हम जानते हैं कि इस छतरी का क्या इतिहास रहा है:-
महाबलीपुरम की स्थापत्य से है प्रेरित
यह छतरी 73 फीट ऊंची है और इसकी बनावट महाबलीपुरम में छठवीं शताब्दी में बने एक भवन की स्थापत्य कला से प्रेरित है। इसे एडविन लुटियंस (Edwin Lutyens) ने डिजाइन किया था जिनके नाम पर दिल्ली के वीवीआइपी क्षेत्र को लुटियंस जोन कहा जाता है। बता दें कि यह छतरी सन् 1936 से इंडिया गेट का हिस्सा है।
ब्रिटिश शासक की स्मृति में निर्माण
कैनोपी यानि कि इस छतरी का निर्माण उस समय भारत के ब्रिटिश शासक रहे जार्ज पंचम (George V) की स्मृति में कराया गया था। जार्ज पंचम का इससे कुछ समय पहले ही निधन हुआ था इसलिए छतरी के नीचे उनकी प्रतिमा स्थापित कर दी गई थी। प्रतिमा में जार्ज पंचम को राज्याभिषेक की पोशाक और शाही मुकुट पहने दिखाया गया था।
देश की आजादी के बाद शुरू हुआ विरोध
भारत को ब्रिटिश राज से आजादी मिलने के बाद राष्ट्रीय राजधानी में इतने अहम स्थान पर बनी जार्ज पंचम की इस प्रतिमा का पूरजोर विरोध किया गया। बावजूद इसके जार्ज पंचम की प्रतिमा यहां से लंबे समय तक नहीं हटाई गई। वर्ष 1968 में इसे इंडिया गेट परिसर से उत्तरी दिल्ली में अंतरराज्जीय बस अड्डे के पास बने कोरोनेशन पार्क में ले जाया गया।
कोरोनेशन पार्क बनाने की वजह
कोरोनेशन पार्क भी ब्रिटिश शासन का ही प्रतीक है जो ब्रिटेन के शासकों को भारत का शासन सौंपने की घोषणा किए जाने का स्थल था। वर्ष 1877 में यहां क्वीन विक्टोरिया, वर्ष 1903 में किंग एडवर्ड तृतीय और वर्ष 1911 में जार्ज पंचम को भारत का शासक घोषित किया गया था। तीनों अवसरों में अकेले जार्ज पंचम ही कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कोरोनेशन पार्क आए थे।
कई नामों पर होती रही चर्चा
छतरी से जार्ज पंचम की प्रतिमा हटाए जाने के बाद किस भारतीय हस्ती की प्रतिमा स्थापित की जाएजाए, इसे लेकर लंबे समय तक ऊहापोह की स्थिति रही। इतिहास में झांके तो पता चलता है कि सबसे पहले महात्मा गांधी का नाम उठा। फिर जवाहर लाल नेहरु के नाम की भी चर्चा हुई कि उनकी प्रतिमा यहां स्थापित की जाए।
वर्ष 1984 में हत्या के बाद पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की प्रतिमा कैनोपी में स्थापित करने का विचार भी सामने आया। इतने विचार और चर्चा के बाद भी 1968 से वर्ष 2002 तक पांच दशक लंबे कालखंड में इंडिया गेट पर यह कैनोपी बिना किसी प्रतिमा के ही रही।
अब जाकर यहां भारतीय स्वाधीनता के नायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा स्थापित की गई है। इसी वर्ष जनवरी में कैनोपी में नेताजी की होलोग्राम वाली प्रतिमा स्थापित की गई थी।
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