'बंगाल फाइल्स पर बंगाल में प्रतिबंध लगा तो कानूनी रास्ता अपनाएंगे', विवेक रंजन अग्निहोत्री की चेतावनी
फिल्म निर्माता विवेक रंजन अग्निहोत्री ने द बंगाल फाइल्स की रिलीज रोकने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है। उन्होंने टीएमसी सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया है। फिल्म 1946 के कोलकाता दंगों पर आधारित है। अग्निहोत्री ने कहा कि फिल्म सत्य उजागर करने का प्रयास है और वे भारत की अनकही कहानियों को दिखाना चाहते हैं।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। फिल्म निर्माता विवेक रंजन अग्निहोत्री ने कहा कि यदि उनकी फिल्म द बंगाल फाइल्स की रिलीज को बंगाल में रोका गया तो वह कानूनी रास्ता अपनाएंगे। वह संविधान के अनुसार चलेंगे। आगे उन्होंने कहा कि वह आम नागरिक हैं, और क्या कर सकते हैं? वह प्रार्थना करते हैं कि सरकार समझदारी दिखाए और फिल्म की रिलीज को न रोके।
कोलकाता में शनिवार को फिल्म के ट्रेलर लांच को बाधित किया गया था। अग्निहोत्री ने दावा किया कि पहले एक मल्टीप्लेक्स ने समारोह रद किया, फिर इसे एक होटल में स्थानांतरित किया गया, जहां बिजली आपूर्ति बाधित हुई और पुलिस व टीएमसी कार्यकर्ताओं ने आकर रोका।
उन्होंने जनपथ मार्ग स्थित एक होटल में पत्रकार वार्ता में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ऐसा वह तुष्टिकरण के चलते कर रही है।
पांच सितंबर को रिलीज होने वाली द बंगाल फाइल्स 16 अगस्त 1946 के कोलकाता दंगों पर आधारित है, जो आल-इंडिया मुस्लिम लीग द्वारा 'डायरेक्ट एक्शन डे' के आह्वान के बाद शुरू हुए थे, जिसमें अलग मुस्लिम राष्ट्र की मांग की गई थी।
द कश्मीर फाइल्स और द ताशकंद फाइल्स जैसी फिल्में बनाने वाले विवेक अग्निहोत्री ने बंगाल फाइल्स से संबंधित विवाद पर कहा कि यह राज्य सत्ता प्रेरित है। गोपाल चंद्र मुखर्जी के पोते शांतनु मुखर्जी द्वारा दर्ज की गई एक एफआइआर पर उन्होंने कहा कि फिल्म में गोपाल मुखर्जी का किरदार प्रेरित है और कहानी का केंद्र नहीं है। मैंने गोपाल मुखर्जी को एक नायक के रूप में दिखाया है। जो तथ्य आधारित है। उनके पोते टीएमसी के साथ काम करते हैं, शायद वहां कोई मजबूरी है। उन्होंने कानूनी कदम उठाया है, हम भी कानूनी जवाब दे रहे हैं।
अग्निहोत्री ने दावा किया कि यह फिल्म छिपे हुए सत्य को उजागर करने की उनकी कोशिश है। उनके उद्देश्य भारत की अनकही कहानियों को दिखाना है। वह हिंदू सभ्यता और इतिहास पर फिल्में बनाते हैं क्योंकि उन्हें खुद में इस्लामिक या ईसाई इतिहास पर फिल्में बनाने की क्षमता नहीं लगती हैं।
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