पढ़िए- फैयाज के एक बीमा कंपनी एजेंट से लेकर खूंखार आतंकी बनने का सफर
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जम्मू-कश्मीर राज्य के श्रीनगर से पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश ए मुहम्मद के आतंकी फैयाज अहमद लोन को गिरफ्तार किया है।
नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर से पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद के आतंकी फैयाज अहमद लोन को गिरफ्तार किया है। वर्ष 2007 में स्पेशल सेल ने दीन दयाल उपाध्याय मार्ग पर रंजीत सिंह फ्लाईओवर के नीचे मुठभेड़ के बाद फैयाज समेत चार आतंकियों को गिरफ्तार किया था। 2013 में निचली अदालत ने फैयाज समेत तीन आतंकियों को बरी कर दिया था, जिसके बाद वे फरार हो गए थे। मामला दिल्ली हाई कोर्ट में पहुंचा तो इन तीनों को भी सजा सुनाई गई।
शॉल बेची, एक बीमा कंपनी का एजेंट भी बना
पुलिस के मुताबिक, फैयाज ने वर्ष 2000 में जम्मू-कश्मीर बैंक से लोन लेकर कुपवाड़ा में इलेक्ट्रॉनिक सामान की दुकान खोली। घाटा होने पर फूफा अब्दुल जब्बार के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में शॉल बेचने का धंधा शुरू किया। इसके बाद एक बीमा कंपनी का एजेंट भी बना। वर्ष 2007 में जैश के कमांडर हैदर से संपर्क होने पर आतंकी बन गया था।
डीसीपी संजीव कुमार यादव के मुताबिक, फैयाज जम्मू-कश्मीर का रहने वाला है। 4 फरवरी 2007 को स्पेशल सेल के तत्कालीन जांबाज इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा (वर्ष 2008 में बटला हाउस मुठभेड़ में शहीद) को सूचना मिली थी कि जैश के कुछ आतंकी दिल्ली दहलाने की साजिश रच रहे हैं। वे रंजीत सिंह फ्लाईओवर के नीचे इकट्ठा होने वाले हैं।
फ्लाईओवर के नीचे हुई मुठभेड़ के बाद स्पेशल सेल ने सियालकोट (पाकिस्तान) निवासी शाहिद गफ्फूर, जम्मू-कश्मीर के बारामुला (जम्मू-कश्मीर) निवासी बशीर अहमद पोन्नू, कुपवाड़ा के फैयाज अहमद लोन व बारामुला निवासी अब्दुल मजीद बाबा को गिरफ्तार किया। उनके पास से तीन किलो विस्फोटक, चार नॉन इलेक्ट्रिक डेटोनेटर, एक टाइमर, छह हैंडग्रेनेड, एक स्टार पिस्टल, एक मैग्जीन, दो कारतूस, 50 हजार रुपये व 10 हजार अमेरिकी डॉलर मिले थे। उन्हें पाकिस्तान में बैठे जैश के आकाओं ने दिल्ली को दहलाने को कहा था। वे जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स के कैंप पर भी हमला करना चाह रहे थे।
शाहिद 1998-2002 के बीच दो बार राजस्थान के कोटा व जम्मू-कश्मीर के पुंछ के रास्ते भारत में प्रवेश कर चुका था। सात अगस्त 2013 को निचली अदालत ने शाहिद को उम्रकैद की सजा सुनाई थी और अन्य तीनों को बरी कर दिया था, जिसके बाद उन्हें जमानत मिलने पर वे फरार हो गए। सजा के खिलाफ पुलिस ने हाई कोर्ट में अपील की। वर्ष 2015 में हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए इन तीनों को भी उम्रकैद की सजा सुनाई। जब तीनों ने तिहाड़ जेल में समर्पण नहीं किया तो कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया।
दिल्ली पुलिस ने तीनों पर 2-2 लाख रुपये का इनाम घोषित किया। स्पेशल सेल की टीम तीनों आतंकियों की लगातार तलाश कर रही थी। 25 मार्च को स्पेशल सेल ने कोठीबाग (श्रीनगर) से फैयाज को दबोच लिया। शॉल बेची, एक बीमा कंपनी का एजेंट भी बना पुलिस के मुताबिक, फैयाज ने वर्ष 2000 में जम्मू-कश्मीर बैंक से लोन लेकर कुपवाड़ा में इलेक्ट्रॉनिक सामान की दुकान खोली। घाटा होने पर फूफा अब्दुल जब्बार के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में शॉल बेचने का धंधा शुरू किया। इसके बाद एक बीमा कंपनी का एजेंट भी बना। वर्ष 2007 में जैश के कमांडर हैदर से संपर्क होने पर आतंकी बन गया था।
वहीं, लुधियाना में खालिस्तानी कमांडो फोर्स (केसीएफ) के आतंकी गुरसेवक सिंह उर्फ बबला को दिल्ली पुलिस ने सोमवार को भारी सुरक्षा में जगराओं की अदालत में पेश किया। पेशी के बाद पुलिस उसे दिल्ली लेकर चली गई। बरनाला के व्यक्ति से चोरी की कार का सौदा कर पैसे ठगने के मामले में उसकी पेशी हुई है। गुरदीप सिंह निवासी कर्मगढ़, जिला बरनाला ने गुरसेवक सिंह उर्फ बबला के खिलाफ पुलिस को दी शिकायत में आरोप लगाया था कि उसके साथ गुरसेवक ने कार का सौदा 1.25 लाख में किया था। इसमें से 54 हजार रुपये उसने ले लिए, लेकिन उसको कार नहीं दी। बाद में आरोपित ने उसके पैसे भी नहीं लौटाए। जिस कार का सौदा तय किया गया था, वह दिल्ली से चोरी की हुई पाई गई थी। इसे बाद में पुलिस ने कार बरामद कर ली थी। चोरी की कार का सौदा कर पैसे ठगने के आरोप में 14 फरवरी 2014 को गुरसेवक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में अदालत ने आरोपित को भगोड़ा करार दे दिया था, जिसे बाद में दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। सोमवार को गुरसेवक को जगराओं अदालत में पेश करने के बाद दिल्ली ले जाया गया। गुरसेवक सिंह इस समय गांव डांगो से घुटाणी कलां में रहने लगा था। दिल्ली पुलिस को भी गुरसेवक की एक मामले में तलाश है।