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    Delhi News: समय पर क्रेडिट कार्ड बिल भुगतान के बावजूद लेट फीस लगाना पड़ा बैंक को भारी, ग्राहक की शिकायत पर लगा 10 हजार का जुर्माना

    By Pradeep ChauhanEdited By:
    Updated: Thu, 16 Jun 2022 04:37 PM (IST)

    बैंक को बताया कि छुट्टी के दो दिन हटा दिए जाएं तो आरबीआइ के निर्देशानुसा देय तिथि निकलने के तीन दिन बाद तक लेट फीस व अन्य चार्ज नहीं लगाए जा सकते। साथ ही उन्होंने बैंक को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के निर्देशों से अवगत कराया।

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    इस पर बैंक ने उन्हें आश्वासन दिया था कि वह लगाए गए सभी चार्ज सात-आठ दिन में वापस ले लेंगे।

    नई दिल्ली [आशीष गुप्ता]। समय पर क्रेडिट कार्ड के बिल का भुगतान करने के बावजूद ग्राहक पर लेट फीस व अन्य शुल्क लगाना बैंक को भारी पड़ गया। ग्राहक की शिकायत पर जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने बैंक को आदेश दिया है कि वह लगाई गई लेट फीस व अन्य शुल्क वापस ले। साथ ही मानसिक उत्पीड़न के लिए ग्राहक को दस हजार रुपये मुआवजा दे।

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    इस तरह की प्रताड़ना कई लोगों ने झेली होगी, उनके लिए यह आदेश नजीर साबित होगा। सीबीडी शाहदरा के अंजय कुमार अग्रवाल के पास एचडीएफसी बैंक का क्रेडिट कार्ड है। नवंबर 2015 में क्रेडिट कार्ड का 47857 रुपये बिल जारी हुए था। इसके भुगतान की अंतिम तिथि 28 नवंबर 2015 थी।

    इससे पहले ही उन्होंने 26 नवंबर 2015 की शाम को बिल भुगतान के लिए चेक बैंक के ड्राप बाक्स में डाल दिया था। अगले दिन बैंक ने चेक नहीं निकाला। उसके अगले दो दिन छुट्टी के कारण बैंक बंद रहा। 30 नवंबर 2015 को बैंक ने चेक क्लियरिंग के लिए भेजा। दो नवंबर 2015 को चेक क्लियर हुआ।

    इस पर बैंक ने उन पर 700 रुपये लेट फीस, 1313.24 रुपये फाइनेंस चार्ज और 281.85 रुपये सर्विस चार्ज लगा दिया। अंजय कुमार ने बैंक को बताया कि वह देय तिथि से पहले ही भुगतान के लिए चेक जमा कर चुके थे, लेकिन बीच मे दो छुट्टियां आ गई थीं। इसकी वजह से चेक देरी से क्लियर हुआ। इसमें उनकी गलती नहीं है। साथ ही उन्होंने बैंक को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के निर्देशों से अवगत कराया।

    बैंक को बताया कि छुट्टी के दो दिन हटा दिए जाएं तो आरबीआइ के निर्देशानुसा देय तिथि निकलने के तीन दिन बाद तक लेट फीस व अन्य चार्ज नहीं लगाए जा सकते। इस पर बैंक ने उन्हें आश्वासन दिया था कि वह लगाए गए सभी चार्ज सात-आठ दिन में वापस ले लेंगे। बाद में उन्हें मैसेज प्राप्त हुआ कि उनकी प्रार्थना अस्वीकार कर दी गई है।

    इस पर अंजय कुमार ने जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग का रुख किया। यहां बैंक ने पक्ष रखा कि कार्ड धारक बैंक की नियम शर्तों से अवगत था। उसने क्रेडिट कार्ड के बिल का भुगतान करने में देरी की, जिसकी वजह से देय तिथि तक कार्ड के खाते में राशि जमा नहीं हुई थी।

    ऐसे में बैंक को लेट फीस समेत अन्य चार्ज लगाने का अधिकार है। बैंक ने देय तिथि निकलने के तीन दिन बाद तक भुगतान को लेकर आरबीआइ के निर्देशों की जानकारी होने से इन्कार कर दिया। आयोग ने तथ्यों और दस्तावेजों को देखने पर पाया कि आरबीआइ ने 16 जुलाई 2015 को इस बार में निर्देश जारी किया था, जिसका पालन करने के लिए यह बैंक भी बाध्य था।

    आयोग ने कहा कि बैंक को हर रोज शाम को ड्राप बाक्स खोल कर उसमें जमा चेक की लिस्ट बनानी चाहिए। शाम को यह ऐसा संभव नहीं होता तो अगले दिन सुबह यह काम करना चाहिए। चेक बैंक में जमा होने के बाद उस पर ग्राहक का उस पर कोई नियंत्रण नहीं होता।

    आयोग ने इस केस में बैंक को सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी मानते हुए आदेश दिया कि वह अंजय कुमार पर लगाई लेट फीस व अन्य शुल्क वापस ले और मुआवजे के तौर पर उन्हें दस हजार रुपये का भुगतान करे।