दिल्ली में लीजिए कविता, कहानी, म्यूजिक संग स्वाद का जायका, इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में लगा कला महोत्सव
स्वादिष्ट व्यंजन के शौकीन लोगों के लिए पूरे सप्ताह फूड फेस्टिवल भी आयोजित किया जा रहा है जिसमें देश-विदेश के बेहतरीन कुजीन का आनंद लिया जा सकता है। इस ...और पढ़ें

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। कला, संस्कृति, साहित्य और देश-विदेश के स्वादिष्ट-सुगंधित व्यंजनों के बीच अपना ठौर तलाशने वालों के लिए यह सप्ताह कुछ खास है। इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में शुक्रवार से शुरू हुआ कला महोत्सव बृहस्पतिवार तक चलेगा। इस महोत्सव में आपको एक तरफ पठन-पाठन के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध पटना की खुदाबख्श ओरियंटल पब्लिक लाइब्रेरी की खूबियों से रूबरू कराया जाएगा। वहीं, सांस्कृतिक कार्यक्रमों की कड़ी में नृत्य, फिल्म, रंगमंच और कविता से लेकर उपन्यास तक पर बात होगी। आप कलाकारों की प्रतिभा रंगमंच व पर्दे पर तो देखेंगे ही, उनसे साक्षात भी कर सकते हैं। स्वादिष्ट व्यंजन के शौकीन लोगों के लिए पूरे सप्ताह फूड फेस्टिवल भी आयोजित किया जा रहा है जिसमें देश-विदेश के बेहतरीन कुजीन का आनंद लिया जा सकता है। फूड फेस्टिवल में एक से बढ़कर एक स्वादिष्ट व्यंजन बनाने वाले शेफ से मिलने का मौका भी यहां मिल रहा है।
थ्री जनरेशन वायलिन
इस कार्यक्रम में एक ही परिवार की तीन पीढ़ियां वायलिन की प्रस्तुति देंगी। वायलिन कलाकार डा. एन राजम अपनी बेटी डा. संगीता शंकर व अपनी पौत्रियों नंदिनी शंकर व रागिनी शंकर के साथ वायलिन बजाएंगी। तबले पर अभिषेक मिश्रा संगत देंगे। चारों कलाकारों की वायलिन बजाने की अपनी विधा है, अलग-अलग अनुभव हैं। लेकिन जब ये एक मंच पर एक साथ अपनी कला का प्रदर्शन करेंगी तो जाहिर है कुछ नया सृजन होगा।
खुदाबख्श लाइब्रेरी का खजाना
बिहार की राजधानी पटना में गंगा के तट पर बनी देश के राष्ट्रीय पुस्तकालयों में एक विश्वप्रसिद्ध खुदाबख्श ओरियंटल पब्लिक लाइब्रेरी में अगर अभी तक आप यहां नहीं गए हैं तो उसकी एक झलक इस फेस्टिवल में देख लीजिए। यह प्राचीन पांडुलिपियों और दस्तावेजों के विशाल संग्रह के लिए विश्व प्रसिद्ध है। इसकी पहचान इस्लामी एवं भारतीय विद्या-संस्कृति के संदर्भ के प्रमुख केंद्र के रूप में है। यहां विभिन्न भाषाओं में करीब 21 हजार पांडुलिपियां हैं। इनमें से कई दुर्लभ भी हैं। बताया जाता है कि यहां एक पांडुलिपि औरंगजेब के शासन काल की भी है जिसे हिंदी भाषा का पहला शब्दकोष कहा जाता है।
तैमूर और उनके वंशजों के इतिहास का सचित्र पाठ
औरंगजेब ने अपने बेटे के लिए दरबारी गुरु मिर्जा खान बिन फखरुद्दीन मोहम्मद को रखा था। उन्होंने ही इस हिंदी शब्दकोष को तैयार किया था। पुस्तकालय उदार संग्रह में तारिख-ए-खानदान-ए-तिमुरियाह भी शामिल है जो तैमूर और उनके वंशजों के इतिहास का सचित्र पाठ है। कई पांडुलिपियों का डिजिटल संस्करण उपलब्ध हैं। यहां कागज, ताड़-पत्र, मृग चर्म, कपड़े और विविध सामग्रियों पर लिखित पांडुलिपियां भी हैं। इसके आधुनिक स्वरूप में जर्मन, फ्रेंच, पंजाबी, जापानी व रूसी पुस्तकों के अलावा अरबी, फारसी, उर्दू, अंग्रेजी और हिंदी में मुद्रित पुस्तकें भी हैं। यहां इसमें दो रीडिंग रूम हैं जिनमें से एक शोधार्थियों के लिए और दूसरा अनियमित पाठकों के लिए है। मुगल शासनकाल की कई ऐसी चीजें मौजूद हैं जो देश-दुनिया के शोधार्थियों को आकर्षित करती हैं। इसे सबसे पहले 1891 में आम लोगों के लिए खोला गया था।
एक छत के नीचे देश-विदेश का स्वाद
देश की राजधानी दिल्ली मिनी भारत की तरह है जहां हर राज्य के लोग रहते हैं। बंगाल, गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार हो या दक्षिण भारत व उत्तर-पूर्व के राज्य। जैसे हर राज्य की संस्कृति और पहनावे में भारत की विविधता झलकती है वैसे ही अलग-अलग राज्यों के व्यंजनों से भारत की खुशबू आती है। पूरे सप्ताह होने वाले इस फूड फेस्टिवल में भी विभिन्नता में एकता की यह झलक नजर आएगी।
इन डिशेज का ले सकते हैं मजा
यहां आप रुहेलखंड का महताब कबाब, जिमीकंद का शमी कबाब, चपली कबाब व कबाब हुसैनी हो या फिर सतरंगी सब्ज पुलाव और हुजूर पसंद दाल, दमपुख्त मुर्ग व पीली मिर्च की चटनी और हैदराबादी दावत में गलौटी कबाब, शिकमपुरी कबाब, चना का हलवा, कुब्बानी का मीठा, शीरमाल, बक्कारखानी और रोगनी नान, बघारी बैंगन का स्वाद ले सकते हैं।
फ्यूजन फूड से भी यहां होंगे रू-ब-रू
फ्यूजन फूड के मेन्यू में टरमरिक कंबूचा, प्लम चिली शाट के साथ रागी गोलगप्पा, गुंटूर चिली चिकन, सिंधी दाल पकवान, कटहल और सिंघाड़ा की पोटली बिरयानी, तिल्ली के साथ तैयार केले की टाफी खास डिशेज में शामिल हैं। वहीं, इटैलियन किचन से रोस्ट बेलपेपर सलाद, सिलिय ओरेंज एंड आलमंड केक, मशरूम सलाद, बटर फ्राइड चिकन, कटलेट उपलब्ध मेन्यू में शामिल हैं। फूड फेस्टिवल रोजाना रात आठ बजे से शुरू होता है।
(प्रस्तुति : अरविंद कुमार द्विवेदी)

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