Delhi News: पीएमओ में खुद को सचिव बताकर सरकारी अधिकारियों से लाभ लेने वाले ठग को मिली जमानत
सीबीआइ की ओर से उपस्थित सहायक लोक अभियोजक ने तर्क दिया गया है कि आरोपित ने जांच एजेंसी को गुमराह करने के लिए अपने मोबाइल फोन के खो जाने के संबंध में स्थानीय पुलिस में झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई है।उन्होंने आगे तर्क दिया गया कि आरोपित को सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत कई नोटिस दिए गए थे लेकिन वह जांच एजेंसी के सामने पेश होने में विफल रहा।

रीतिका मिश्रा, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में खुद सचिव होने और वाराणसी लोकसभा क्षेत्र का कामकाज संभालने का दावा कर वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों से अपना काम निकलवाने वाले ठग को अदालत ने जमानत दे दी।
राउज एवेन्यू कोर्ट के अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) दीपक कुमार ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आरोपित अंकित कुमार सिंह को 50 हजार रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही धनराशि की जमानत राशि पर जमानत दी।
"आरोपित की स्वतंत्रता की रक्षा की जाए"
एसीएमएम ने कहा कि इस अदालत का न्याय के प्रति एक बड़ा कर्तव्य है जो यह सुनिश्चित करता है कि जांच एजेंसी के अधिकारों के साथ संतुलन बनाते हुए आरोपित की स्वतंत्रता की रक्षा की जाए। अदालत ने कहा कि सभी सुबूत सीबीआइ की हिरासत में हैं।
ऐसे में अभियुक्त द्वारा सुबूतों से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है और रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे यह पता चले कि आरोपित गवाहों को प्रभावित कर सकता है। अदालत ने कहा कि मामले में जांच पूरी हो चुकी है क्योंकि आरोपपत्र पहले ही दायर किया जा चुका है और कुछ भी बरामद करने की आवश्यकता नहीं है।
अदालत ने आरोपित पर जमानत की शर्तें भी लगाई। अदालत ने कहा कि आरोपित समान प्रकृति के अपराधों में शामिल नहीं होगा। जमानत के दौरान गवाहों को प्रभावित नहीं करेगा और आगे की जांच में शामिल होगा। आरोपित की अदालत की पूर्व अनुमति के बिना देश छोड़ने की अनुमति भी नहीं होगी।
"मुवक्किल की समाज में गहरी जड़ें"
आरोपित की ओर से पेश अधिवक्ता वे अपने मुवक्किल की जमानत की मांग करते हुए तर्क दिया कि उसके मुवक्किल की समाज में गहरी जड़ें हैं और वह एक एनजीओ चलाता है, जिसे खुद पीएमओ ने भी स्वीकार किया है। अधिवक्ता ने तर्क दिया कि मामले में जांच पूरी हो चुकी है और उसे आगे न्यायिक हिरासत में रखने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होने वाला है।
वहीं, सभी सभी सुबूत भी सीबीआइ की हिरासत में है। अधिवक्ता ने कहा कि उसके मुवक्किल ने कोई अपराध नहीं किया है क्योंकि उसका मोबाइल फोन खो गया था जिसके लिए उसने पहले ही स्थानीय पुलिस के पास गुम होने की रिपोर्ट दर्ज करा दी थी और चिकित्सा कारणों के कारण वह जांच के दौरान जांच अधिकारी के सामने उपस्थित नहीं हो सका था।
सीबीआइ की ओर से उपस्थित सहायक लोक अभियोजक ने तर्क दिया गया है कि आरोपित ने जांच एजेंसी को गुमराह करने के लिए अपने मोबाइल फोन के खो जाने के संबंध में स्थानीय पुलिस में झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई है।उन्होंने आगे तर्क दिया गया कि आरोपित को सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत कई नोटिस दिए गए थे, लेकिन वह जांच एजेंसी के सामने पेश होने में विफल रहा।
उसके खिलाफ जारी किए गए एनबीडब्ल्यू (गैर जमानती वारंट) भी बिना निष्पादित किए वापस कर दिए गए थे। उन्होंने कहा कि आरोपित को अगर जमानत दी गई तो संभावना है कि वह सुबूतों से छेड़छाड़ कर सकता है और गवाहों को प्रभावित कर सकता है।
यह है मामला-
पीएमओ में सहायक निदेशक अनिल कुमार शर्मा ने शिकायत दर्ज कराई थी कि आरोपित अंकित कुमार सिंह खुद को दिनेश राव, 1997 बैच के बिहार कैडर का आइएएस अधिकारी और वाराणसी जिले की देखरेख के लिए पीएमओ में सचिव बताकर वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों से लाभ ले रहा था। उसने आगरा के जिलाधिकारी प्रभु नारायण सिंह से अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए मदद मांग रहा था।
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