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    विधानसभा चुनाव के बाद बंगाल में हुई हिंसा को लेकर फैक्ट फाइडिंग कमेटी की रिपोर्ट में हैरान कर देने वाले तथ्य उजागर, आप भी जानिए

    By Vinay Kumar TiwariEdited By:
    Updated: Wed, 30 Jun 2021 02:05 PM (IST)

    विधानसभा चुनाव के बाद बंगाल में हुई हिंसा को लेकर सिविल सोसाइटी की ओर से बनी फैक्ट फाइडिंग कमेटी ने रिपोर्ट में हैरान कर देने वाले तथ्य उजागर किए है। पाया गया है कि चुनाव के बाद सुनियोजित ढंग से घुसपैठियों की मदद से हिंसा को अंजाम दिया गया।

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    15 हजार हिंसा की घटनाओं में 14 लोगों की हुई मौत, 200 महिलाओं से दुष्कर्म की बात।

    नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। विधानसभा चुनाव के बाद बंगाल में हुई हिंसा को लेकर सिविल सोसाइटी की ओर से बनी फैक्ट फाइडिंग कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में हैरान कर देने वाले तथ्य उजागर किए है। जांच में पाया गया है कि चुनाव के बाद सुनियोजित ढंग से घुसपैठियों की मदद से हिंसा को अंजाम दिया गया। बंगाल के 16 जिलों में 15 हजार हिंसा की घटनाओं में 14 लोगों की मौत हुई। वहीं करीब 200 महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया गया।

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    हिंसा की वजह से अभी तक लोग अपने घरों को छोड़कर असम, ओडिशा और झारखंड में रहने को मजबूर है। पांच सदस्यीय कमेटी के चेयरमैन व सिक्किम के पूर्व मुख्य न्यायाधीश प्रमोद कोहली ने केंद्रीय गृहराज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी को यह रिपोर्ट सौंप दी है। जिस पर रेड्डी ने नियमानुसार कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

    प्रमोद कोहली ने बताया कि सिविल सोसाइटी का सदस्य होने के नाते यह जांच की गई है। हिंसाग्रस्त इलाकों, पीडि़तों से मुलाकात और अस्पतालों के निरीक्षण के आधार पर रिपोर्ट तैयार की है। रोहिंग्याओं व बंगलादेशी घुसपैठियों के माध्यम से यह सब अंजाम दिया गया। इसमें एक राजनीतिक दल विशेष का समर्थन करने से लोगों को चुन-चुन कर प्रताडि़त किया गया। उनके घर और सभी दस्तावेज जलाए गए। चूंकि इस घटनाक्रम में घुसपैठिए शामिल हैं, इसलिए इसकी जांच एनआइए को करनी चाहिए।

    झारखंड की सेवानिवृत डीजीपी निर्मल कौर ने कहा कि यह घटना लोकतंत्र का गला घोंटने वाली साबित हुई है। जिन लोगों को नीति लागू करने की जिम्मेदारी मिली थी, उन अधिकारियों ने एक दल विशेष के राजनीतिक एजेंडे को लागू किया। इसलिए इसकी विभागीय जांच के साथ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।

    बुजुर्ग महिलाओं का उनके परिवार के सदस्यों के सामने ही दुष्कर्म किया गया। लोगों को उनके घर पर वापस नहीं आने दिया जा रहा है। इससे कई जिलों की भौगोलिक स्थिति ही बदल गई है। वहां एक धर्म विशेष के लोगों की संख्या ज्यादा हो गई है।लोगों में बहाल को विश्वास कमेटी ने 15 सिफारिशें दी हैं। इसमें सबसे पहले मोहल्ला स्तर पर पीस कमेटियों का गठन कर पीडि़त लोगों में विश्वास बहाल करने को कहा गया है। साथ ही मुआवजा देने की सिफारिश है। जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। पीडि़त लोगों के मुकदमें दर्ज नहीं हुए हैं, वह किए जाए। विशेष पैकेज की घोषणा हो। गृहमंत्रालय द्वारा जांच कराई जाए और पूरी रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट के सामने रखा जाए।