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    एलजी को एल्डरमैन चुनने की शक्ति देने का मतलब है चुनी हुई एमसीडी को अस्थिर करना, सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी

    By Jagran NewsEdited By: Pooja Tripathi
    Updated: Wed, 17 May 2023 08:57 PM (IST)

    जस्टिस डीवाई चंद्रचूण जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी परडीवाला की बेंच ने दिल्ली सरकार की याचिका की सुनवाई करते हुए यह बातें कहीं। एल्डरमैन के एलजी द्वार ...और पढ़ें

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    सुप्रीम कोर्ट ने एल्डरमैन के चुनाव को लेकर कुछ बड़ी बातें कहीं।

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। उपराज्यपाल द्वारा दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में सदस्यों को मनोनीत किये जाने के मामले में सुनवाई के दौरान बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि उपराज्यपाल को सदस्यों को मनोनीत करने का अधिकार देने का मतलब होगा कि वे निर्वाचित नगर निगम को अस्थिर कर सकते हैं। क्योंकि मनोनीत सदस्यों के पास मतदान की शक्ति होगी।

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    कोर्ट ने यह भी कहा कि नगर निगम में पार्षद मनोनीत करने में केंद्र सरकार को क्यों दिलचस्पी है। कोर्ट ने मामले में बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

    ये टिप्पणियां प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, पीएस नरसिम्हा और जेबी पार्डीवाला की पीठ ने दिल्ली नगर निगम में उपराज्यपाल द्वारा दस सदस्यों को मनोनीत किए जाने को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए। कोर्ट ने मामले में दोनों पक्षों केंद्र और दिल्ली सरकार की बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

    मामले पर सुनवाई के दौरान जब दिल्ली सरकार उपराज्यपाल द्वारा राज्य सरकार की मंत्रिपरिषद से पूछे बगैर सदस्यों को मनोनीत किए जाने का विरोध करते हुए दलीलें रख रही थी और दूसरी ओर केंद्र सरकार की ओर से एमसीडी कानून का हवाला देते हुए उपराज्यपाल द्वारा दिल्ली नगर निगम में सदस्यों को मनोनीत किए जाने को सही ठहराया जा रहा था, तभी पीठ ने टिप्पणी की कि नगर निगम में पार्षद मनोनीत करने में केंद्र सरकार को इतनी क्यों दिलचस्पी है।

    पीठ ने कहा कि उपराज्यपाल को यह अधिकार देने का मतलब होगा कि वे लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित नगर निगम को अस्थिर कर सकते हैं क्योंकि मनोनीत सदस्यों के पास मतदान का अधिकार है। कोर्ट से सहमति जताते हुए दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनुसिंघवी ने कहा कि हां मनोनीत सदस्यों को मतदान का अधिकार प्राप्त है।

    इससे पहले दिल्ली सरकार की ओर से उपराज्यपाल द्वारा सदस्यों को मनोनीत किये जाने की अधिसूचना रद करने की मांग करते हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि पिछले 30 सालों में कभी ऐसा नहीं हुआ। हमेशा उपराज्यपाल ने राज्य मंत्रिपरिषद की सलाह पर सदस्यों को मनोनीत किया है।

    उन्होंने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ यह कह चुकी है कि उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार की सलाह और सहायता से काम करना है तो यह एमसीडी के मामले में भी लागू होता है। केंद्र की ओर से पेश एएसजी संजय जैन ने मंत्रिपरिषद की सलाह के बगैर उपराज्यपाल द्वारा सदस्यों को मनोनीत किए जाने को सही बताते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 239एए के तहत उपराज्यपाल की भूमिका और दिल्ली नगर निगम अधिनियम के अनुसार उपराज्यपाल की भूमिका में अंतर है।

    उन्होंने कहा कि स्थानीय निकाय में मनोनयन की बात आने पर उपराज्यपाल एक प्रशासक की भूमिका में काम करते हैं। उन्होंने एमसीडी एक्ट का हवाला देते हुए का कि इसमें प्रशासक के तौर पर काम करते वक्त उपराज्यपाल के लिए मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह की जरूरत नहीं है। जबकि अनुच्छेद 239एए में उपराज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह पर काम करते हैं।