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1984 anti Sikh riots : सुप्रीम कोर्ट ने 15 दोषियों को बरी किया, दिल्ली HC का फैसला पलटा

सजा पाने वाले लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में सजा के खिलाफ चुनौती दी थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट और निचली अदालत के फैसले को पलट दिया है।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 30 Apr 2019 06:01 PM (IST)Updated: Wed, 01 May 2019 09:16 AM (IST)
1984 anti Sikh riots : सुप्रीम कोर्ट ने 15 दोषियों को बरी किया, दिल्ली HC का फैसला पलटा
1984 anti Sikh riots : सुप्रीम कोर्ट ने 15 दोषियों को बरी किया, दिल्ली HC का फैसला पलटा

नई दिल्ली, जेएनएन। 1984 anti Sikh riots :  दिल्ली के त्रिलोकपुरी में 1984 में हुई सिख विरोधी हिंसा में सुप्रीम कोर्ट ने दोषी ठहराए गए 15 लोगों को बरी कर दिया है, इन सभी को सबूतों के अभाव में बरी किया गया। इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने नवंबर, 2018 में इन लोगों के दोषी होने और निचली अदालत से मिली सज़ा को सही ठहराया था और पांच साल की सजा बरकरार रखी थी। सजा पाने वाले लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में सजा के खिलाफ चुनौती दी थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट और निचली अदालत के फैसले को पलट दिया है।  सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि इनके खिलाफ दंगों में शामिल रहने के न तो सीधे सबूत मिले और ना ही गवाहों ने उनकी पहचान की, ऐसे में इन्हें बरी किया जाए।

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मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने 15 दोषियों की ओर से दाखिल पांच अपीलों को मंजूरी दे दी। इन लोगों ने हाई कोर्ट के 28 नवंबर 2018 के फैसले को चुनौती दी थी।

इससे पहले हाई कोर्ट ने निचली अदालत द्वारा जिन 89 लोगों को पांच साल जेल की सजा गई सुनाई थी, उनमें से 70 की सजा को बरकरार रखा था। निचली अदालत के 27 अगस्त 1996 के फैसले के खिलाफ दायर अपील लंबित रहने के दौरान शेष 19 में से 16 की मौत हो गई थी। हाई कोर्ट ने फरार शेष तीन की अपील खारिज कर दी थी। हाई कोर्ट ने पिछले 22 साल से लंबित अपील खारिज करते हुए दोषियों को शेष सजा भुगतने के लिए समर्पण करने को कहा था। ये सभी 31 अक्टूबर और तीन नवंबर 1984 के बीच त्रिलोकपुरी में विभिन्न आवासीय ब्लॉक में दंगा, लूटपाट और घरों में आग लगाने के दोषी करार दिए गए थे।

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के थे दंगे
1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के सिख विरोधी दंगे में त्रिलोकपुरी इलाके के लोग भी शिकार हुए थे। मामले में दर्ज रिपोर्ट के अनुसार 2 नवंबर 1984 को यहां हुए दंगे में 95 लोगों की मौत हुई थी और 100 घर जला दिए गए थे। घटना के बाद दंगा, आगजनी और क‌र्फ्यू के उल्लंघन की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की गई थी और 107 लोगों को आरोपित बनाया गया था। मामले में लंबी सुनवाई के बाद कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एसएल ढींगरा ने 88 लोगों को पांच साल की सजा सुनाई थी और पांच हजार का जुर्माना लगाया था।

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