महरौली स्मारकों की निगरानी पर विचार करे ASI, सुप्रीम कोर्ट का आदेश; DDA से भी पूछा अहम सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से दिल्ली के महरौली पुरातात्विक पार्क में स्थित 13वीं सदी की आशिक अल्लाह दरगाह और बाबा फरीद की चिल्लागाह जैसे स्मारकों की देखरेख पर विचार करने को कहा। कोर्ट ने अधिकारियों को दरगाह और अन्य ऐतिहासिक स्मारकों को ध्वस्त करने से रोकने की मांग वाली अपीलों पर सुनवाई करते हुए यह बात कही।

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को दिल्ली के महरौली पुरातात्विक पार्क में स्थित 13वीं सदी के ''आशिक अल्लाह दरगाह'' और ''बाबा फरीद की चिल्लागाह'' जैसे स्मारकों की देखरेख पर विचार करना चाहिए, जो कि सूफी संत हैं।
कोर्ट दो अपीलों पर कार्रवाई कर रहा था, जिसमें अधिकारियों को महरौली या संजय वन में पृथ्वीराज चौहान के किले के पास स्थित दरगाह और अन्य ऐतिहासिक स्मारकों को ध्वस्त करने या हटाने से रोकने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और आर.महादेवन की पीठ ने मंगलवार को कहा कि शीर्ष अदालत ने 28 फरवरी को क्षेत्र में मौजूदा संरचनाओं में बिना अनुमति के कोई निर्माण, जोड़ या परिवर्तन न करने का आदेश दिया था। पीठ ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के वकील से पूछा, ''आप पहले से मौजूद इन निर्माणों को ध्वस्त क्यों करना चाहते हैं?''
डीडीए के वकील ने कहा कि प्राधिकरण दरगाह के खिलाफ नहीं है, लेकिन आसपास कई अन्य अवैध संरचनाएं जो कब्जा कर बनाई गई हैं। वकील ने कहा, ''वास्तव में जो प्रश्न उठता है, वह यह है कि इसमें से कितना संरक्षित स्मारक है और कितना अतिक्रमण है।''
जबकि पीठ ने कहा कि कोई और निर्माण नहीं किया जाना चाहिए। उस स्मारक को संरक्षित किया जाना चाहिए। हम केवल स्मारक के बारे में ¨चतित हैं।इस मामले से संबंधित दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील करनेवाले अपीलकर्ताओं के वकील ने तर्क किया कि प्रश्न में स्मारक अतिक्रमण नहीं है क्योंकि वे सदियों से क्षेत्र में मौजूद है।
एएसआई की स्थिति रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए अपीलकर्ताओं ने तर्क किया कि हालांकि संरचनाओं को केंद्रीय रूप से संरक्षित स्मारक के रूप में नहीं माना गया है। एएसआई उनकी मरम्मत और देखरेख कर सकता है। हालांकि, डीडीए के वकील ने तर्क किया कि प्राधिकरण केवल सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण करने वाली अवैध संरचनाओं के ध्वस्तीकरण के संबंध में उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित आदेशों के प्रति चिंतित हैं।
एएसआई ने पहले कहा था कि पुरातात्विक पार्क के भीतर स्थित दो संरचनाएं धार्मिक महत्व रखती हैं क्योंकि मुस्लिम भक्त प्रतिदिन इन दरगाहों में आते हैं। शेख शाहिबुद्दीन (आशिक अल्लाह) की कब्र पर एक शिलालेख है, जिसमें कहा गया कि इसे 1317 ईस्वी में बनाया गया था।
यह कब्र पृथ्वीराज चौहान के किले के निकट है और पुरातात्विक स्थलों और अवशेष अधिनियम के अनुसार 200 मीटर के नियंत्रित क्षेत्र में आती है। अत: किसी भी मरम्मत, नवीनीकरण या निर्माण कार्य के लिए सक्षम प्राधिकरण की पूर्व अनुमति आवश्यक है।
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