सक्सेस मंत्रा: स्पष्ट उद्देश्य के साथ कारोबार में बढ़ाएं अपना कदम
2016 में एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरुआत हुई थी ‘खाओ गली’ वाट्सएप ग्रुप की। मकसद था गुरुग्राम के स्थानीय समुदायों को खाने के जरिये जोड़ना। लेकिन कोरोना काल में जब इनके घर में बने भोजन की मांग बढ़ गई तो इसे ‘हे होमी’ के रूप में लांच किया।

नई दिल्ली, अंशु सिंह। 2016 में एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरुआत हुई थी ‘खाओ गली’ वाट्सएप ग्रुप की। मकसद था गुरुग्राम के स्थानीय समुदायों को खाने के जरिये एक-दूसरे से जोड़ना। लेकिन कोरोना काल में जब इनके घर में बने भोजन की मांग एकदम से बढ़ गई, तो अनुज मेहता और उनके साथी ने मिलकर इसे ‘हे होमी’ के तौर पर लांच करने का फैसला लिया। कंपनी के सीईओ (चीफ एम्पावरिंग आफिसर) अनुज मेहता के अनुसार, ‘यह देश का पहला वाट्सएप कनवर्सेशनल कामर्स प्लेटफार्म है, जो कम्युनिटी आधारित माडल पर कार्य करता है। हमारा उद्देश्य ही होम शेफ का सशक्तीकरण है। हमारे वाट्सएप स्टोर के जरिये वे घर बैठे न सिर्फ अपनी डिजिटल पहचान बना सकते हैं, बल्कि लोगों को घर का खाना और उत्पाद उपलब्ध कराकर अच्छी कमाई भी कर सकते हैं।’ आज इनके प्लेटफार्म से जुड़े दिल्ली-एनसीआर के 500 के करीब होम शेफ लाखों घरों तक खाना पहुंचा रहे हैं, जिनकी संख्या आने वाले महीनों में और बढ़ने की उम्मीद है। अनुज के लिए सफलता वह है जब वे अपने जीवन के उद्देश्य को पूरा कर सकें। लाखों होम शेफ की जिंदगियों को संवार सकें।
जोधपुर के मूल निवासी अनुज न सिर्फ एक उद्यमी हैं, बल्कि समय-समय पर स्पीकर, कोच, मेंटर आदि की भूमिकाएं निभाते रहते हैं। इनके पास मैन्युफैक्चरिंग, सर्विस एवं रिटेल सेक्टर का 20 वर्षों से अधिक का अनुभव है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी अनुज को इनोवेशन और नवीन चीजें करने में मजा आता है। वे लीक से हटकर करने की कोशिश करते हैं। एनिमेशन की पढ़ाई करने के बाद इसी क्षेत्र में अपने करियर शुरुआत की। लेकिन 2001 में जब फारगो इलेक्ट्रानिक्स कंपनी में सेल्स में अवसर मिला, तो उसे स्वीकार करने में जरा भी देर नहीं की। यहां रीजनल सेल्स हेड के तौर पर कार्य करने के बाद वे कोडक में कंट्री सेल्स मैनेजर बने और तत्पश्चात एचपी के भारतीय महाद्वीप के सेल्स हेड। लेकिन करीब नौ वर्ष कारपोरेट जगत में काम करने के बाद उन्होंने अलग राह पर चलने का निर्णय लिया और वह राह थी उद्यमिता की। वर्ष 2009 की बात है। अनुज ने प्रिंट इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरिंग कंपनी शुरू की। 2017 में इनके द्वारा लाइट बल्ब कंसल्टिंग नामक साफ्टवेयर कंपनी की शुरुआत हुई।
‘खाओ गली’ से ‘हे होमी’ बनने का सफर
सिंगापुर से लौटने के बाद अनुज गुरुग्राम की एक सोसायटी में रह रहे थे। सोसायटी नई थी। तब 20 परिवार ही वहां रह रहे थे। लेकिन उनका आपस में काफी कम मिलना-जुलना होता था। अनुज जो खुद फूडी थे, उन्हें लगा कि क्यों न खाने के जरिये लोगों को जोड़ा जाए? इस तरह 2016 के आसपास उन्होंने ‘खाओ गली’ नाम से वाट्सएप ग्रुप बनाया, जिसमें अलग-अलग प्रांतों के लोग जुड़े थे। वे सभी खाना बनाते थे और एक-दूसरे के यहां डिलीवर करते थे। अनुज बताते हैं, ‘मैंने महसूस किया कि अलग-अलग प्रांतों से आने वाले परिवारों में खाने की कितनी विविधता होती है। होम शेफ कितने लजीज व्यंजन बनाते हैं, लेकिन न दूसरे उनका स्वाद चख पाते हैं और न ही उनकी कोई पहचान बनती है। कमाई की बात तो दूर रही, जबकि लोग आज क्षेत्रीय व्यंजनों का स्वाद लेने के लिए लालायित रहते हैं। इसका अपना एक बाजार विकसित हो चुका है। तभी हमने होम शेफ को वाट्सएप ग्रुप से जोड़ना शुरू किया, जहां वे अपनी डिशेज शेयर करते थे। धीरे-धीरे उन्हें घर बैठे आर्डर मिलने लगे और फिर दिसंबर 2021 में हमने वाट्सएप कामर्स प्लेटफार्म (वाट्सएप स्टोर) के तौर पर ‘हे होमी’ लांच कर दिया। शुरुआत बार्टर सिस्टम से हुई, जिसे बाद में प्राइस माडल में तब्दील कर दिया गया। लेकिन इसका सबसे बड़ा फायदा यह भी रहा कि कम्युनिटी के लोग एक-दूसरे को जानने लगे। संपर्क बढ़ने से किसी को नौकरी मिली, तो किसी को लाइफ पार्टनर।‘
वाट्सएप स्टोर से होम शेफ को दिलाई पहचान
अनुज बताते हैं, ‘होम शेफ की संख्या दिनों दिन बढ़ रही है। मगर चुनौतियां कम नहीं हुई हैं। इसमें फूड डिलीवर कराने से लेकर पेमेंट की दिक्कतें शामिल हैं। क्योंकि कहने को तो सब कुछ डिजिटली हो रहा है। बावजूद इसके, बहुत से लोग अब भी उतने टेकसेवी नहीं हैं। यही वजह रही कि हमने बिजनेस के लिए फूड एप की बजाय वाट्सएप (स्टोर) प्लेटफार्म को चुना। पूरी प्रक्रिया को आटोमेटेड किया। डिलीवरी एवं पेमेंट को लेकर कंपनियों से टाईअप किया। इससे हम होम शेफ के आर्डर्स, डिलीवरी, पेमेंट को बेहतर मैनेज कर पाते हैं। हमारे यहां तीन श्रेणियों के शेफ हैं-हाबी शेफ (महीने में एक-दो मील शेयर करने वाले), इंटरमीडिएट शेफ (हफ्ते में पोस्ट करने वाले) और तीसरे पेशेवर होम शेफ, जिनसे पांच प्रतिशत का कमीशन लिया जाता है। इसमें दो प्रतिशत हिस्सा पेमेंट गेटवे का होता है। बाकी श्रेणी के शेफ से आर्डर का पेमेंट मिलने पर कमीशन लिया जाता है।‘ आज इनके 287 के करीब वाट्सएप ग्रुप द्वारा एनसीआर की 100 से अधिक सोसायटीज में होम शेफ की सर्विस उपलब्ध करायी जा रही है। ये देश भर के होम शेफ को डिजिटल स्टोर लिंक प्रोवाइड करा रहे हैं। दिलचस्प यह भी है कि महिलाओं के साथ-साथ पुरुष भी बतौर होम शेफ अच्छी कमाई कर पा रहे हैं।
अपने सपने को पूरा करने का अवसर देती है उद्यमिता
‘हे होमी’ फिलहाल बूटस्ट्रैप्ड है। निजी पूंजी से इसे चलाया जा रहा है। इस समय अनुज और उनकी 30 सदस्यीय टीम का सारा फोकस दिल्ली-एनसीआर पर है। लेकिन देश भर से होम शेफ की आ रही इंक्वायरी एवं इनकी बढ़ती मांग को देखते हुए वे आने वाले समय में बेंगलुरु एवं हैदराबाद में भी सर्विस शुरू करने की योजना बना रहे हैं। साथ ही मुंबई, पुणे एवं चेन्नई को एक्सप्लोर करने का भी इरादा है। इसके अलावा, कुछेक निवेशकों ने भी फंडिंग को लेकर रुचि दिखाई है। अनुज कहते हैं, ‘मैंने जिंदगी में कितनी ही नाकामियां देखी हैं। लेकिन सबसे कुछ न कुछ सीखा है और उस पर गहराई से चिंतन-मंथन किया है। मेरा हमेशा से स्पष्ट सोच रहा कि क्या करना है। कारपोरेट की नौकरी ईमानदारी से की। लेकिन कहते हैं न कि जब हम दूसरों के लिए काम करते हैं, तो उनके सपने पूरे कर रहे होते हैं और जब खुद का काम करते हैं, तो अपने सपने को पूरा करते हैं। नि:संदेह बिजनेस में रिस्क होते हैं। मुझमें उस जोखिम को उठाने का साहस आ गया है। महामारी ने वैसे भी बहुत-सी सीख दे दी है हमें। लेकिन बाहर देखने के बजाय मैं अपने अंदर झांकने में विश्वास करता हूं। युवा पीढ़ी से यही कहना चाहूंगा कि उद्यमिता में आने से पहले यह जरूर सोचें कि वे क्यों आ रहे हैं? उद्देश्य साफ होगा, तो आगे बढ़ना भी आसान होगा।
अनुज मेहता
सीईओ, हे होमी

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