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    सक्‍सेस मंत्रा: समस्याओं को हल करने से मिलेगी कामयाबी

    By Dheerendra PathakEdited By:
    Updated: Fri, 13 May 2022 04:21 PM (IST)

    अब तक रेलवे स्टेशन एयरपोर्ट बस अड्डों मेट्रो स्टेशन पर क्लाकरूम की सुविधा मिलती थी लेकिन देश की आबादी एवं उसकी जरूरतों को देखते हुए वह नाकाफी लगती है। ऐसे में दिल्ली स्थित स्टार्टअप ‘लग्स्टो’ इस कमी को दूर करने के प्रयास में जुटा है।

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    दिन-रात काम करके समस्याओं का समाधान निकाला। फोटो: फ्रीपिक

    अंशु सिंह। अब तक रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, बस अड्डों, मेट्रो स्टेशन पर क्लाकरूम की सुविधा मिलती थी, लेकिन देश की आबादी एवं उसकी जरूरतों को देखते हुए वह नाकाफी लगती है। ऐसे में दिल्ली स्थित स्टार्टअप ‘लग्स्टो’ इस कमी को दूर करने के प्रयास में जुटा है। इसके द्वारा दिल्ली-एनसीआर समेत देश के कई अन्य शहरों में यात्रियों को क्लाकरूम की सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है। दरअसल, कंपनी के सह-संस्थापक एवं सीईओ मनीष अग्रवाल को खुद इस समस्या से दो-चार होना पड़ा, जिसके बाद उन्होंने इसका समाधान निकालने का निर्णय लिया। इनका विजन यात्राओं को लगेज फ्री बनाना है। वह कहते हैं कि सफलता का मतलब सिर्फ किसी व्यक्ति का विकास या उन्नति और दूसरों को नुकसान पहुंचाना नहीं है, बल्कि उससे है जिसमें सर्वसमाज का हित पूरा हो। सभी मिलकर लक्ष्य को प्राप्त कर सकें। बिजनेस वह जरिया है जिससे हम दूसरों के लिए रोजगार पैदा कर सकते हैं।

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    मनीष ने आइआइएमएस बरेली से एमबीए किया। उसके बाद करीब 18 वर्ष आइटी कंसल्टेंसी सर्विस एवं इंटरनेट मार्केटिंग कंपनियों को दिए। इन्होंने इंडिया मार्ट में करीब 12 वर्ष बतौर रीजनल मैनेजर काम किया। लेकिन एक बिजनेस फैमिली से होने के कारण वह हमेशा से उद्यमी बनना चाहते थे। ऐसे में दिल्ली से मुंबई की एक यात्रा के दौरान उनकी फ्लाइट लेट हो गई। वह देर से मुंबई पहुंचे। बताते हैं, ‘मेरी मीटिंग अंधेरी में थी और होटल कोलाबा में। मैं कोई ऐसी जगह ढूंढ़ रहा था जहां अपना सामान रख सकूं, ताकि मूवमेंट में कोई दिक्कत न आए। लेकिन ऐसी कोई जगह नहीं मिली और मैंने पूरे लगेज समेत मीटिंग अटेंड की। इससे थोड़ा असहज महसूस किया। उसी समय एकदम से आइडिया आया कि अन्य लोगों को भी इस प्रकार की समस्या आती होगी। क्या इसका कोई हल नहीं हो सकता है? विदेश में तो इसके लिए कई विकल्प होते हैं, लेकिन भारत में कोई सुविधा नहीं। इस प्रकार लग्स्टो (lugsto) और उद्यमिता में मेरा सफर शुरू हुआ।‘

    यात्रियों की सुविधा के लिए क्लाकरूम

    आइडिया तो था, लेकिन उसे अमली जामा पहनाने में वक्त लगा। बताते हैं मनीष, ‘बिजनेस सेट अप करते समय तमाम प्रकार की चुनौतियों से दो चार होना पड़ा। टेक्नोलाजी विकसित करने के अलावा, सामान की सुरक्षा एवं स्टोर्स के साथ टाईअप करने के चैलेंज रहे। लेकिन अपनी समर्पित टीम की वजह से सभी बाधाओं को हमने पार कर लिया। दिन-रात काम करके समस्याओं का समाधान निकाला।‘ लग्स्टो अपने ग्राहकों को अलग-अलग शहरों में क्लाकरूम की सुविधा उपलब्ध कराता है। ये क्लाकरूम ऐसे स्थानों पर होते हैं, जहां आसानी से और कम समय में पहुंचा जा सकता है। मनीष के अनुसार, देश में अपनी तरह का यह पहला प्रयोग है, जिसमें कंपनी लगेज स्टोरेज नेटवर्क की सुविधा प्रदान करती है। हम ट्रैवलर्स को होटल्स एवं दुकानों से कनेक्ट करते हैं, जहां वे अपने सामान को सुरक्षित रख पाते हैं। सामान का इंश्योरेंस (क्षति, खोने या चोरी होने की आशंका को देखते हुए) भी कराया जाता है, जिससे यात्री बेफिक्र होकर नये शहर में घूम सकते हैं या मीटिंग आदि कर सकते हैं। इस समय कंपनी टियर 1 एवं 2 शहरों के 200 से अधिक स्टोरेज पार्टनर्स कंपनी के साथ जुड़े हुए हैं। उन सबको एक सर्टिफिकेट दिया जाता है। फिलहाल, देश के 90 शहरों में क्लाकरूम की सुविधा प्रदान की जा रही है।

    महामारी के दौरान रहीं चुनौतियां

    मनीष की मानें, तो 2019 के जुलाई महीने में उन्होंने अपना मोस्ट वायबल प्रोडक्ट लांच कर दिया था, जिसका काफी अच्छा रिस्पांस भी मिल रहा था। वह अपने प्रोडक्ट एवं सर्विस में प्रयोग हो रही टेक्नोलाजी एवं अन्य फीचर्स में सुधार लाना चाहते थे। लेकिन कोविड के दस्तक देने के कारण उसमें विलंब हो गया। बताते हैं मनीष, कोरोना काल में हमें जो समय मिला, उसमें हमने टेक्नोलाजी के विकास पर ध्यान दिया। एक मोबाइल एप डेवलप किया गया, जिससे कस्टमर्स तक आसानी से पहुंच बन सके। वेबसाइट पर भी काम किया गया। नये फीचर्स एड किए गए। लोगों द्वारा की जा रही पूछताछ को आसान बनाने के लिए बैकएंड साफ्टवेयर डेवलपमेंट पर भी काम किया गया, जिससे समय की काफी बचत हो सकी। अब जब मार्केट खुल चुके हैं, तो हर दिन हमारी बुकिंग्स बढ़ रही है। हम ग्राहकों को बेहतर सर्विस दे पा रहे हैं।

    कस्टमर्स से मिलता है असली फीडबैक

    कंपनी फिलहाल बूटस्ट्रैप्ड है। दोस्तों एवं रिश्तेदारों से पूंजी की व्यवस्था की गई है। हालांकि कुछ एंजेल इनवेस्टर्स से निवेश को लेकर बातचीत चल रही है। कुछेक ने सकारात्मक रिस्पांस दिया है। उम्मीद है कि आने वाले छह महीनों में सीड राउंड की फंडिंग को अंतिम रूप दिया जा सकेगा। मनीष के साथ तीन अन्य को-फाउंडर्स मुकेश गोयल, विद्यानंद त्रिपाठी, अलो गोयल जुड़े हैं। नये उद्यमियों को सलाह देते हुए मनीष कहते हैं, ‘हमारे समाज में अनेक प्रकार की समस्याएं हैं, जिनमें से एक समस्या को चुनना है और उस पर काम करना है। इससे बहुत से लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाया जा सकता है। उनकी समस्याओं को दूर किया जा सकता है। कुल मिलाकर हमें पहले समाज के बारे में सोचना होगा। असली फीडबैक आपको आपके कस्टमर्स ही देते हैं। उसी से अपनी गलतियों में सुधार लाया जा सकता है।‘

    मनीष अग्रवाल,सह संस्‍थापक एवं सीईओ,लग्‍स्‍टो