शुरू हुआ गोल मार्केट संग्रहालय के सब-वे का काम, चार माह में होगा पूरा; दिव्यांगों के लिए लिफ्ट की सुविधा होगी
नई दिल्ली के गोल मार्केट में संग्रहालय तक सुगम पहुंच के लिए सब-वे का निर्माण शुरू हो गया है। एनडीएमसी द्वारा निर्मित इस सब-वे से नागरिकों पर्यटकों और छात्रों को सुरक्षित मार्ग मिलेगा। दिव्यांगों के लिए लिफ्ट की सुविधा भी होगी। यह परियोजना फरवरी 2026 तक पूरी होने की उम्मीद है जिसके बाद लोग आसानी से संग्रहालय पहुंच पाएंगे।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। लुटियंस दिल्ली के गोल मार्केट में बन रहे संग्रहालय में सुगमता से प्रवेश के लिए सब-वे का काम शुरू हो गया है। एनडीएमसी के चेयरमैन केशव चंद्रा ने बृहस्पतिवार को सब-वे के कार्य की नींव रखी।
एनडीएमसी के चेयरमैन केशवचंद्रा ने बताया कि एनडीएमसी मौजूदा गोल मार्केट भवन को राष्ट्रीय महत्व के संग्रहालय के रूप में पुनर्विकास कर रही है। नागरिकों, आगंतुकों, छात्रों और पर्यटकों आदि के लिए सुरक्षित और सुविधाजनक मार्ग तथा आधुनिक पहुंच के लिए संग्रहालय तक एक सबवे का निर्माण किया जाएगा।
इस सब-वे में प्रवेश और निकास बिंदुओं पर दिव्यांग व्यक्तियों के लिए लिफ्ट की सुविधा भी होगी। सबवे की निर्माण लागत लगभग 1.90 करोड़ रुपये होगी और इसे चार माह में पूरा किया जाएगा।
सबवे की लंबाई 40 मीटर, ऊंचाई लगभग तीन मीटर और चौड़ाई 3.5 मीटर होगी। सबवे सहित गोल मार्केट संग्रहालय भवन की कुल परियोजना लागत 21.67 करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि पूरी परियोजना फरवरी 2026 में पूरी हो जाएगी।
उल्लेखनीय है कि एनडीएमसी गोल मार्केट में देश की महान महिलाओं पर केंद्रित वीरागंना संग्रहालय का निर्माण कर रही है। वर्ष 2023 में उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इसकी नींव रखी थी। इसमें सुचेता कृपलानी, मदर टेरेसा, इंदिरा गांधी, कल्पना चावला, किरण बेदी और मैरीकाम के जीवन और उपलब्धियों को प्रदर्शित किया जाएगा।
एनडीएमसी द्वारा बनाए जाने वाले इस संग्रहालय को पूरी तरह सेंट्रल एसी से युक्त किया जाएगा। साथ ही इसमें जो ऊपर की छत होगी वह कांच की होगी। इसमें लोगों को ऐसा लगेगा कि वह खुले आसमान के नीचे भ्रमण कर रहे हैं। इसमें भूतल से पहली मंजिल पर जाने के लिए लिफ्ट भी होगी।
गोल मार्केट 100 साल से ज्यादा पुरानी मार्केट है। वर्ष 2006 में इस गोल मार्केट को संग्रहालय में तब्दील करने की योजना पर काम शुरू हुआ था। गोल मार्केट को वर्, 1921 में बनाया गया था। इसे नौकरशाह और भारतीय सरकारी कर्मियों को यहां पर सब्जी, मछली अंडे की बिक्री के लिए उपयोग किया जाता था।
इसे संग्राहलय बनाने के लिए बंद कर दिया गया था। यहां पर 60 दुकानें थी, जिनके पुनर्वास की भी मांग और विभिन्न अदालती मामलों के चलते इसे संग्राहलय के तौर पर बदलने में देरी हुई।
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