वायु प्रदूषण से होता है स्ट्रोक का खतरा, देश में मौत का तीसरा सबसे बड़ा कारण; 18 लाख लोग पीड़ित
स्ट्रोक से देश में करीब 18 लाख लोग पीड़ित हैं और यह मौत का तीसरा बड़ा कारण बन रहा है। वायस ऑफ हेल्थकेयर व इंडियन स्ट्रोक एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के विशेषज्ञ डॉ. गणेश कुमार ने बताया कि प्रदूषण स्ट्रोक होने का दूसरा बड़ा जोखिम भरा कारक बन रहा है। प्रदूषण पर लगाम लगाना जरूरी हो गया है।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। स्ट्रोक से देश में करीब 18 लाख लोग पीड़ित होते हैं और यह मौत का तीसरा बड़ा कारण बन रहा है। वैसे तो इस बीमारी के कई कारण होते हैं। हाइपरटेंशन इसका सबसे बड़ा कारण है। इसके बाद प्रदूषण स्ट्रोक होने का दूसरा बड़ा जोखिम भरा कारक बन रहा है। स्ट्रोक की बीमारी को लेकर वायस आफ हेल्थकेयर व इंडियन स्ट्रोक एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के विशेषज्ञ डॉ. गणेश कुमार ने कही।
उन्होंने बताया कि स्ट्रोक को लेकर वैश्विक स्तर पर अब जो अध्ययन सामने आ रही है उसमें प्रदूषण को दूसरा बड़ा कारण माना जा रहा है। इसलिए प्रदूषण के कारण स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा यहां लोग प्रतिदिन पांच मिलीग्राम से अधिक नमक खाते हैं। यह हाइपरटेंशन का कारण बनता है। इसके अलावा डायबिटीज, धूम्रपान सहित कई अन्य कारण होते हैं।
स्ट्रोक मरीजों की तुलना में डॉक्टर बहुत कम
इंडियन स्ट्रोक एसोसिएशन डॉ. अरविंद शर्मा ने बताया कि स्ट्रोक मरीजों की तुलना में डाक्टर बहुत कम हैं। देश में सिर्फ करीब चार हजार न्यूरोलाजी के डाक्टर हैं। इस वजह से मरीजों की संख्या और इलाज पाने वाले मरीजों के बीच बहुत अंतर है। जनरल फिजिशियन डाक्टरों को प्रशिक्षित कर कमी को दूर किया जा सकता है। ब्लॉक व जिला स्तर के अस्पतालों में जनरल फिजिशियन डाक्टरों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए और उनमें क्लाट बस्टर दवाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा स्ट्रोक के एक बड़े अस्पताल के नेटवर्क से पांच प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को जोड़ना होगा। ताकि शुरूआती इलाज के बाद मरीज को जल्दी अस्पताल में स्थानांतरित कर इलाज उपलब्ध कराया जा सके।
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