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    ढाबे पर जूठे बर्तन धोकर जुटा रहे सपनों को पूरा करने की फीस, दिल को छू लेेगी रियाज के जज्बे की कहानी

    By Prateek KumarEdited By:
    Updated: Tue, 14 Jul 2020 09:12 PM (IST)

    रियाज दूसरों के जूठे बर्तन धोकर साइकिलिंग सेंटर के लिए फीस जुटा रहे हैं। गत जनवरी में हुए दिल्ली स्टेट साइकिलिंग चैंपियनशिप 2020 में रजत पदक हासिल किया अब और आगे बढ़ना चाहते हैं।

    ढाबे पर जूठे बर्तन धोकर जुटा रहे सपनों को पूरा करने की फीस, दिल को छू लेेगी रियाज के जज्बे की कहानी

    नई दिल्ली [पुष्पेंद्र कुमार]। किनारे पर बैठकर समुद्र की गहराई का पता नहीं लगाया जा सकता। उसके लिए पानी में उतरना पड़ता है। इसी तरह अपने सपनों को पूरा करने के लिए इंसान को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। इस दौरान मनचाही सफलता न मिलने पर इंसान कई बार विचलित भी होता है और अपने कदमों को पीछे खींच लेता है, कुछ यही कहानी ढाबे पर काम करने वाले रियाज (16) के संघर्षों की भी है। अपनी परिस्थियों, आर्थिक हालातों से मजबूर रियाज ने सपने तो देखे, लेकिन लहरों में गोते लगाने से डरते थे। आखिरकार उन्होंने अपने कदम आगे बढ़ाए। परेशानी रूपी किनारों को पीछे छोड़ा और चल पड़े समुद्र में सपनों के मोती तलाशने।

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    परिवार की आर्थिक स्‍थिति नहीं है ठीक

    आनंद विहार के जेजे कॉलोनी निवासी रियाज ने बताया कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है पिता मोहम्मद रुस्तम व माता मुन्नी खातून दोनों मजदूरी का काम करते हैं, जिससे सिर्फ परिवार का ही खर्च चल पाता है। वह खुद सरकारी स्कूल में कक्षा नौ में पढ़ते हैं। उन्होंने कहा कि उनके पास इतने पैसे नहीं है कि पढ़ाई के साथ साइकिलिंग सेंटर में अभ्यास कर सकूं। उन्होंने कहा कि उनका सपना है साइकिलिंग में देश के लिए स्वर्ण पदक लाने का है और इस सपने को पूरा करने के लिए वह घर के पास के ढ़ाबे पर पार्ट टाइम काम करते हैं।

    जूठे बर्तन धोकर जुटाते हैं फीस

    वह दूसरों के जूठे बर्तन धोकर साइकिलिंग सेंटर के लिए फीस जुटा रहे हैं। गत जनवरी में हुए दिल्ली स्टेट साइकिलिंग चैंपियनशिप 2020 में रजत पदक हासिल किया और भविष्य में और आगे बढ़ने के लिए अभ्यास कर रहे हैं। वह सुबह पांच बजे से लेकर आठ बजे तक साइकिल चलाकर अभ्यास करते हैं और साढ़े नौ बजे ढाबे पर पार्ट टाइम काम भी करते हैं और दोपहर में स्कूल जाते हैं।

    आफताब से मिली प्रेरणा

    रियाज बताते हैं कि राष्ट्रीय खिलाड़ी आफताब फरीदी ने करीब एक साल पहले पर्यावरण संरक्षण व सैनिकों के सम्मान में देश के 27 राज्यों में साइकिल दौड़ाकर नया रिकॉर्ड कायम कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। उन्हीं से प्रेरणा लेकर दिल्ली स्टेट साइकलिंग चैंपियनशिप में रजत पदक हासिल किया है। वह फरीदी को अपना प्ररेणास्त्रोत मानते हैं।