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    सेंट स्टीफेंस अस्पताल को मिली राहत, मरीज की लापरवाही पर जिला उपभोक्ता आयोग का फैसला रद

    Updated: Tue, 16 Sep 2025 04:54 PM (IST)

    दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने सेंट स्टीफेंस अस्पताल को चिकित्सकीय लापरवाही के आरोप से बरी कर दिया है। महिला ने आरोप लगाया कि पित्ताशय की सर्जरी के बाद उसे संक्रमण हुआ क्योंकि अस्पताल ने मधुमेह नियंत्रण के लिए दवा नहीं दी। आयोग ने पाया कि अस्पताल दोषी नहीं है और उसे समय पर फॉलोअप के लिए बुलाया गया था जिसमें महिला की लापरवाही पाई गई।

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    उपभोक्ता आयोग ने सेंट स्टीफेंस अस्पताल को चिकित्सकीय लापरवाही के आरोप से किया बरी।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने सेंट स्टीफेंस अस्पताल को चिकित्सकीय लापरवाही के आरोप से बरी कर दिया है।

    इस मामले में एक महिला ने अस्पताल पर आरोप लगाया था कि पित्ताशय की सर्जरी (कोलेसिस्टेक्टॉमी) कराने के बाद उन्हें गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं का सामना करना पड़ा।

    शिकायतकर्ता का दावा था कि अस्पताल ने उनकी मधुमेह नियंत्रण में रखने के लिए आवश्यक दवाइयां नहीं दीं, जिससे उन्हें सर्जरी के बाद सर्जिकल साइट (शल्य क्षेत्र) संक्रमण हुआ।

    इसके अलावा उन्होंने आरोप लगाया कि सर्जरी से पहले और बाद में जरूरी सतर्कता और देखभाल नहीं की गई। आयोग ने मामले की गंभीरता से जांच की और विशेषज्ञ चिकित्सकों की रिपोर्ट का अवलोकन किया।

    आयोग ने अपने आदेश में कहा कि मेडिकल रिपोर्ट में स्पष्ट उल्लेख था कि मधुमेह के मरीजों में सर्जिकल साइट संक्रमण की संभावना अधिक होती है, विशेष रूप से ओपन सर्जरी के बाद।

    साथ ही यह पाया गया कि मरीज का ब्लड शुगर नियमित रूप से प्रतिदिन चार बार जांचा गया और आवश्यकता पड़ने पर इंसुलिन दिया गया।

    आयोग ने देखा कि मरीज को 13 जुलाई 2007 को दोबारा फाॅलोअप जांच के लिए अस्पताल बुलाया गया था, लेकिन उसने समय पर रिपोर्ट नहीं किया।

    इसके परिणामस्वरूप शल्य क्षेत्र में संक्रमण उत्पन्न हुआ। आयोग ने कहा कि मरीज की सह-लापरवाही के चलते यह समस्या उत्पन्न हुई।

    आयोग ने स्पष्ट किया कि शल्य क्षेत्र संक्रमण के लिए अस्पताल या चिकित्सकों की चिकित्सकीय लापरवाही सिद्ध नहीं हुई।

    आयोग ने जिला उपभोक्ता आयोग की ओर से अस्पताल को एक लाख रुपये का मुआवजा देने के आदेश को रद कर दिया और अस्पताल को दोषमुक्त कर दिया।

    साथ ही भविष्य में चिकित्सीय रिकार्ड सही तरीके से रखने के निर्देश भी दिए गए ताकि ऐसी चूक दोबारा न हो।

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