Union Budget 2018: NCR में प्रदूषण पर जागी मोदी सरकार, वित्त मंत्री ने किया बड़ा एलान
इस विशेष योजना में हरियाणा, पंजाब और यूपी की सरकारों का भी सहयोग लिया जाएगा।
नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली के साथ समूचे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में प्रदूषण की समस्या हर साल विकराल रूप लेती जा रही है। खासकर अक्टूबर के आसपास दिल्ली-एनसीआर में आपात स्थिति पैदा हो जाती है। ऐसे में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में लगातार पांचवां बजट पेश करने के दौरान दिल्ली की आब-ओ-हवा दुरुस्त रखने के लिए खास एलान किया गया।
विशेष योजना में पंजाब-हरियाणा भी करेंगे सहयोग
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने Union Budget 2018 पेश करने के दौरान कहा कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को खत्म करने के लिए विशेष योजना लॉन्च की जाएगी। साथ ही यह भी कहा कि इस विशेष योजना में हरियाणा, पंजाब और यूपी की सरकारों का भी सहयोग लिया जाएगा।
योजना के अंतर्गत किसानों को पराली या फसलों के अवशेष निपटाने के विकल्प दिए जाएंगे, जिससे पराली जलाने की नौबत नहीं आए। इन विकल्पों में पराली से बिजली व बायोगैस बनाए जाने का विकल्प भी शामिल है।
गौरतलब है कि पंजाब, हरियाणा व पश्चिमी उलार प्रदेश मे अक्टूबर और नवंबर माह के दौरान बडे़ पैमाने पर पराली जलाई जाती है। पराली का धुआं दिल्ली तक आता है और यहां की हवा को प्रदूषित करता है। आलम यह है कि गत दो साल से सर्दी के मौसम मे दिल्ली गैस चैबर बन रही है
चार दिन पहले ही जारी की गई एक रिपोर्ट मे ग्रीनपीस इंडिया ने भी दिल्ली को देश का सर्वाधिक प्रदूषित शहर बताया है। इस सूची में हरियाणा के फरीदाबाद को दूसरा और राजस्थान के भिवाड़ी को तीसरा स्थान दिया है। यह दोनों शहर भी एनसीआर के हिस्सा है।
जानकारों के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर के वायु प्रदूषण में वाहनों का धुआं और भवन निर्माण के दौरान उड़ने वाली धूल का भी काफी बड़ा हिस्सा रहता है, लेकिन सर्दी के मौसम मे पराली का धुआं तात्कालिक स्तर पर दिल्ली को गैस चैंबर बनाने की सबसे बड़ी वजह बनता है।
दैनिक जागरण के सतत प्रयास का नतीजा
दैनिक जागरण दिल्ली-एनसीआर के पूरे इलाके मे वायु व जल प्रदूषण को लेकर लबे समय से समाचारीय अभियान का सचालन करता रहा है। खासकर दिल्ली में प्रदूषण की लाइलाज दिख रही प्रदूषण की समस्या को लेकर दैनिक जागरण ने समय-समय पर केंद्र व संबंधित राज्य सरकारों को सचेत करने के लिए विशेष अभियान भी चलाया है।
अभी बीते दिनो स्मॉग का सकट पूरे दिल्ली- एनसीआर को अपनी चपेट में लिए हुए था, तब इस समस्या पर कई तथ्यपरक खबरें प्रकाशित की गई और पराली से हो रही परेशानी के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया गया। दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण को नियत्रित करने के लिए बजट मे वित्त मंत्री की घोषणा को दैनिक जागरण के इस सतत प्रयास का नतीजा माना जा सकता है।
बता दें कि धान की कटाई के बाद हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने से दिल्ली-एनसीआर में सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलता है। वायु में प्रदूषण की मात्रा में इजाफा होने से लोगों को सांस संबंधी समस्या उत्पन्न हो जाती है।
अक्टूबर महीने में पिछले साल दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण इस कदर बढ़ा कि दिवाली पर पटाखे फोड़ने पर बैन तक लगाना पड़ा। इतना ही नहीं, दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश पर भी रोक लगा दी। बावजूद इसके प्रदूषण में कोई खास कमी नहीं आई।
बता दें कि दिल्ली की आबोहवा नए साल पर बेहद खराब रही। पिछले दिनों दिल्ली में भीषण कोहरे के कारण वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर होने पर इसे आपात श्रेणी में रखा गया था।
सुप्रीम कोर्ट भी देश में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर चिंता जाहिर कर चुका है, इसमें दिल्ली में प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त टिप्पणी कर चुका है।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि देश के स्तर पर वायु प्रदूषण बड़ी समस्या है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि हमने अखबार में पढ़ा कि देश के दिल्ली से ज्यादा प्रदूषित शहरों में से एक रायपुर है। केवल दिल्ली ही सबसे प्रदूषित नहीं है, बल्कि कई ऐसे शहर है जो दिल्ली से ज्यादा प्रदूषित है।
पर्यावरण के लिहाज से वर्ष 2017 अधिक सुर्खियों में रहा। वर्ष 2016 की भांति इस साल राजधानी स्मॉग चैंबर न बने, इसके लिए साल की शुरुआत के साथ ही बैठकों का दौर शुरू हो गया था। एक्शन प्लान भी बनाए जाने लगे, लेकिन तमाम सरकारी व गैर सरकारी दावों से परे दिल्ली-एनसीआर की आबोहवा बद से बदतर होती गई। चाहे वह वाहनों से निकलने वाला धुआं हो या सड़क पर उड़ने वाली धूल, सूक्ष्म और अतिसूक्ष्म कणों की बढ़ती संख्या ने आबोहवा को ढाई गुणा तक जहरीला कर दिया।
चिंताजनक यह है कि पहले से प्रदूषित और जहरीली हवा में कैंसर कारक तत्व भी तेजी से बढ़ रहे हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की शोध रिपोर्ट में सामने आया कि दिल्ली-एनसीआर की आबोहवा में पोलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाईड्रोकार्बन, डायोक्सीन, बैंजीन और पेस्टीसाइड की मात्रा काफी खतरनाक स्तर पर पहुंच रही है।
सीपीसीबी ने इन सभी प्रदूषक तत्वों को कार्सेजैनिक अर्थात कैंसरजन्य की श्रेणी में रखा है। शायद यही वजह है कि दिल्ली-एनसीआर की जहरीली होती हवा को लेकर संसद भी गंभीरता जता चुकी है। वहीं केंद्र सरकार का थिंक टैंक नीति आयोग भी अब गंभीर हो गया है। आयोग ने वर्ष 2017-20 के अपने तीन वर्षीय एजेंडे में इस दिशा में पांच सूत्रीय फॉर्मूला भी पेश किया है।
सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के बाद जनवरी 2017 में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रलय ने ग्रेप को अधिसूचित किया था। 17 अक्टूबर से 2017 से पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण-संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) ने इसे समूचे दिल्ली-एनसीआर में लागू कर दिया है। यह 15 मार्च 2018 तक लागू रहेगा।
इसके अलावा इस वर्ष दिल्ली में 20 नए एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन भी शुरू किए गए हैं। यह बात अलग है कि पुख्ता व्यवस्था नहीं होने के कारण उक्त दोनों का ही अभी तक कोई फायदा सामने नहीं आया है।