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जागरूकता की तरकीब से साफ्टवेयर इंजीनियर ने उठाया प्रदूषण कम करने का बीड़ा

युवा शक्ति को जोड़ लोगों को जागरुक करने की तरकीब साफ्टवेयर इंजीनियर आरजे रावत पिछले साल शुरू की जिससे सैकड़ों की संख्या में लोग जुड़कर घर में ही खाद बनाकर राजधानी की आबोहवा को स्वच्छ रखने में योगदान दे रहे हैं।

By Ashish singhEdited By: Prateek KumarPublished: Sun, 06 Mar 2022 03:17 PM (IST)Updated: Sun, 06 Mar 2022 03:17 PM (IST)
मुहिम से 500 से अधिक लोग अभी तक जुड़ चुके हैं।

नई दिल्ली [आशीष सिंह]। पेड़ों से गिरे पत्तों को जलता देख एक साफ्टवेयर इंजीनियर को इतना नगवार गुजरा कि उसने इसी के खिलाफ अभियान छेड़ दिया। अब वह लोगों को पत्तों जलाने की बजाय इससे काला सोना (खाद) बनाने की सीख दे रहे हैं। युवा शक्ति को जोड़ लोगों को जागरुक करने की तरकीब साफ्टवेयर इंजीनियर आरजे रावत पिछले साल शुरू की जिससे सैकड़ों की संख्या में लोग जुड़कर घर में ही खाद बनाकर राजधानी की आबोहवा को स्वच्छ रखने में योगदान दे रहे हैं। ऐसे में उन पत्तों को खाद में तब्दील करने पर जोर दिया जा रहा है जो पेड़ों से गिर रहे हैं। उन्हें सड़को, पार्कों और रिहायशी इलाकों से एकत्रित कर खाद में परिवर्तित किया जाता है।

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एक साल पहले की है अभियान की शुरुआत

अभियान को शुरू करने वाले पेशे से साफ्टेवयर इंजीनियर हैं। उन्होंने इग्नू से कंप्यूटर एप्लीकेशन में स्नातक की बात की है। रावत ने अभियान की शुरुआत एक साल पहले की थी।उन्होंने बताया कि वह महारानी बाग में रहते हैं वहां उनके आस-पास के लोग गिरे हुए पत्तों को जला देते थे, जिससे धुआं भी काफी होता था। इसके बाद उन्होंने इन पत्तों से खाद बनाने का सोचा।वह बताते हैं कि उनकी इस मुहिम से 500 से अधिक युवा जुड़ चुके हैं। लोगों को इस मुहीम से जोड़ने के लिए एप भी बनाया है, जिससे लोग उनसे जुड़ सकते हैं और पत्तों के बदले खाद ले सकते हैं।

सड़क किनारे पौधों में डाल रहे हैं खाद

साफ्टवेयर इंजीनियर की पढ़ाई व द समझ युवा संगठन के संस्थापक आरजे रावत ने बताया कि वह अब तक 50 किलों से अधिक खाद बना चुके हैं।वह लोगों की घर की छत पर खाद बनाने के कार्य को करते हैं। वह कहते हैं कि पत्तों की खाद बनाने में तीन से चार महीने लगते हैं। खाद को वह लोगों को वितरित करने के साथ ही पार्क व सड़कों के किनारे लगे पेड़ों को खाद देते हैं।

पर्यावरण को रखना चाहते हैं स्वच्छ

उन्होंने कहा कि पहले परिवार वालों ने इस कार्य में उनका साथ नहीं दिया था। जिसके बाद उनकी मुहिम को देख वह भी प्रभावित हुए और अब इस कार्य में उनका परिवार भी साथ दे रहा है। वह कहते हैं कि पर्यावरण लगातार दूषित होता जा रहा है। मनाव सभ्यता प्रकृति के साथ कई प्रकार से खिलवाड़ कर रही है। ऐसे में जो चीज इंसानों के हाथों में है, उससे पर्यावरण को बचाया जा सकता है। वह अब तक कनाट प्लेस, करोल बाग, लोधी गार्डन व नेहरू पार्क में पत्तों को लेकर जागरूकता अभियान भी चला चुके हैं। वह कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन से बचने के लिए युवा अहम भूमिका निभा सकते हैं।


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