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    दृष्टिबाधित सिमरन शर्मा ने रच इतिहास रोशन किया नाम, वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स में भारत को दिलाया स्वर्ण

    Updated: Sat, 04 Oct 2025 08:42 PM (IST)

    गाजियाबाद की सिमरन शर्मा ने वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतकर इतिहास रचा है। दृष्टिबाधित होने के बावजूद उन्होंने 100 मीटर दौड़ में 11.95 सेकेंड का समय निकालकर यह उपलब्धि हासिल की। सिमरन ने पहले भी पैरालिंपिक में पदक जीते हैं। उनके पिता ने हमेशा उनका साथ दिया। अब उनका लक्ष्य 200 मीटर दौड़ में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना है।

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    जन्म से दृष्टिबाधित, फिर भी सिमरन ने की दुनिया फतेह

    लोकेश शर्मा, नई दिल्ली। जन्म से ही दृष्टिबाधित भारत की एक बेटी ने दुनिया में अपना और देश का नाम रोशन कर दिया है। यह कहानी है गाजियाबाद के मोदीनगर की सिमरन शर्मा की, जिन्होंने अपने हौसले से सब बाधाओं को पीछे छोड़ते हुए वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 में भारत को स्वर्ण पदक दिलाया।

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    100 मीटर में रचा इतिहास

    शुक्रवार को महिलाओं की 100 मीटर टी-12 स्पर्धा के फाइनल में सिमरन ने 11.95 सेकेंड का अपना सर्वश्रेष्ठ समय निकालते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया। इस जीत के साथ न केवल उन्होंने देश का मान बढ़ाया, बल्कि पैरा खेलों में भारत की नई ताकत बनकर उभरीं। 25 वर्षीय सिमरन पहले भी बड़े मंचों पर अपनी प्रतिभा दिखा चुकी हैं। जापान में हुए पैरालिंपिक में उन्होंने 200 मीटर में स्वर्ण पदक जीता जबकि 2024 पैरालिंपिक में कांस्य पदक हासिल किया। टी-12 वर्ग में वे एथलीट हिस्सा लेते हैं जिन्हें दृष्टि संबंधी विकार होता है और यह दौड़ गाइड धावक के साथ पूरी की जाती है। सिमरन के साथ उनके गाइड उमर सैफी ट्रैक पर दौड़े।

    बचपन से लड़ाई और पिता का साथ

    सिमरन का बचपन बेहद कठिनाइयों से भरा रहा। जन्म से दृष्टिबाधित होने के कारण उन्हें समाज के ताने सुनने पड़े। लोग अक्सर उनका मजाक उड़ाते थे लेकिन पिता मनोज शर्मा मेडिकल क्षेत्र से जुड़े थे। उन्होंने हार नहीं मानी और बेटी को खेल की राह पर आगे बढ़ाया। संघर्ष के समय में पिता उनकी असली ताकत और प्रेरणा बने। सिमरन की पढ़ाई मोदीनगर के रूकमणि मोदी महिला इंटर कालेज से हुई। काॅलेज के दिनों में ही उन्होंने एथलेटिक्स में अपनी असली पहचान खोजी।

    अब लक्ष्य 200 मीटर दौड़ पर

    प्रतियोगिताओं में भाग लेने के दौरान उन्हें अपनी गति का एहसास हुआ और उन्होंने ठान लिया कि अब यही उनका करियर होगा। नियमित कड़ी मेहनत और अनुशासन ने उन्हें जल्द ही कालेज स्तर से राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचा दिया। लगातार मिलते पदकों ने साबित कर दिया कि भारत की दृष्टिबाधित बेटियां भी मेहनत से विश्व मंच पर अपनी छाप छोड़ सकती हैं।

    सिमरन ने कहा अपने देश के लिए दौड़ना मजेदार है। मैं हमेशा से अपने देश के लिए कुछ करना चाहती थी। मैंने 100 मीटर में स्वर्ण जीता है और अब मेरा ध्यान 200 मीटर में भी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने पर है।

    अंतरराष्ट्रीय सफलता की उड़ान

    सिमरन का सफर 2021 टोक्यो पैरालिंपिक से शुरू हुआ, जहां वह 100 मीटर टी-13 में 11वें स्थान पर रहीं। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और खुद को और मजबूत किया। जून 2023 में जापान में हुई विश्व चैंपियनशिप में उन्होंने 200 मीटर टी-12 में स्वर्ण पदक जीतकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुद को साबित कर दिया।

    इसके बाद से सिमरन लगातार शानदार प्रदर्शन कर रही हैं। 2022 से अब तक वह 100 और 200 मीटर दोनों में राष्ट्रीय चैंपियनशिप और इंडियन ओपन जीत रही हैं। वहीं, हांगझोउ एशियाई पैरा खेलों 2023 में उन्होंने दो रजत पदक अपने नाम किए।

    नए कीर्तिमान और उपलब्धियां

    कर्नाटक में आयोजित 5वीं इंडियन ओपन पैरा एथलेटिक्स इंटरनेशनल चैंपियनशिप 2023 में उन्होंने 100 मीटर टी-12 वर्ग में 12.12 सेकेंड का समय निकालकर नया रिकाॅर्ड बनाया। वहीं, खेलो इंडिया पैरा गेम्स 2023 में उन्होंने 100 मीटर, 200 मीटर और लंबी कूद में तीन स्वर्ण पदक हासिल किए। उनकी इन उपलब्धियों को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें टारगेट ओलिंपिक पोडियम स्कीम में शामिल किया है।

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