Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    श्रद्धा को न्याय दिलाने और बेटे का भविष्य संवारने के बीच आर्थिक तंगी से जूझ रहे पिता, दुकान भी हुई ठप

    By Jagran NewsEdited By: Geetarjun
    Updated: Fri, 11 Aug 2023 01:04 AM (IST)

    अपनी बेटी श्रद्धा विकास वालकर को न्याय दिलाने और बुढ़ापे का एकमात्र सहारा बेटे श्रीजे विकास वालकर का भविष्य संवारने के बीच उनके पिता विकास मदन वालकर आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। उनका कहना है कि बेटी को खो दिया है लेकिन उसे न्याय दिलाकर वह अपनी बेटी को सर्वश्रेष्ठ श्रद्धांजलि देना चाहते हैं। बेटे श्रीजे विकास वालकर का भविष्य संवारने की जिम्मेदारी को भी बखूबी निभाना चाहते हैं

    Hero Image
    श्रद्धा को न्याय दिलाने और बेटे का भविष्य संवारने के बीच आर्थिक तंगी से जूझ रहे पिता

    नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। अपनी बेटी श्रद्धा विकास वालकर को न्याय दिलाने और बुढ़ापे का एकमात्र सहारा बेटे श्रीजे विकास वालकर का भविष्य संवारने के बीच उनके पिता विकास मदन वालकर आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। उनका कहना है कि बेटी को खो दिया है, लेकिन उसे न्याय दिलाकर वह अपनी बेटी को सर्वश्रेष्ठ श्रद्धांजलि देना चाहते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    साथ ही बेटी के साथ हुए इस वारदात के प्रभाव से बेटे श्रीजे विकास वालकर को बचाकर उनका भविष्य संवारने की जिम्मेदारी को भी बखूबी निभाना चाहते हैं और इसके लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं। इस सबके बीच उनकी आर्थिक तंगी आड़े आ रही है।

    खर्चा उठाने वाली दुकान भी हुई ठप

    विकास बताते हैं कि 2020 में उनकी पत्नी का स्वर्गवास होने के बाद कोरोना महामारी और फिर बेटी के साथ हुई बर्बरता के चलते परिवार का खर्च वहन करने वाली उनकी इकलौती इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान अब पूरी तरह से ठप हो चुकी है। यह दुकान ही उनके पूरे परिवार के खर्च वहन का एकमात्र सहारा थी।

    दिल्ली-आने-जाने में हो रहा खर्च

    जिसके बाद अब पूर्व की जमापूंजी व स्वजन द्वारा कर्ज के रूप में की गई आर्थिक मदद से ही बेटे की पढ़ाई और परिवार का खर्च चल रहा है। इस दौरान बार-बार दिल्ली आने-जाने, रहने व अन्य में काफी पैसा खर्च हो चुका है।

    85 वर्षीय मां को है भूलने की बीमारी

    विकास के अनुसार, मुंबई में रह रही उनकी 85 वर्षीय मां को भूलने की बीमारी है। उनकी देखरेख व इलाज की जिम्मेदारी को भी वह बखूबी निभा रहे हैं। उनका कहना है कि वह जब भी दिल्ली आते हैं तो उन्हें उनकी मां को किसी स्वजन के पास छोड़ कर आना पड़ता है। इन सब परिस्थितियों में वह जल्द से जल्द अपनी बेटी को न्याय दिलाना चाहते हैं।

    उनका कहना है कि उन्हें जिस भी परिस्थिति से होकर गुजरना पड़े लेकिन उनकी बेटी के साथ जो अन्याय हुआ है, कानून की मदद से वह उसकी क्षतिपूर्ति करते हुए अपनी बेटी को न्याय दिलाने के बाद ही चैन की सांस लेंगे।