जामिया हिंसा मामले में शरजील इमाम को मिली जमानत, लेकिन अभी जेल में ही रहना होगा
मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दिनेश कुमार ने शरजील को 25 हजार रुपये के मुचलके और इतनी ही जमानत राशि पर जमानत दी है। अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि अपराध की प्रकृति और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए जमानत याचिका मंजूर की जाती है।

नई दिल्ली [अरविंद द्विवेदी]। नागरिकता संशोधन कानून विरोधी आंदोलन के दौरान जामिया मिल्लिया इस्लामिया में हुई कथित हिंसा के मामले में बृहस्पतिवार को दिल्ली की एक अदालत ने आरोपित जेएनयू छात्र शरजील इमाम को जमानत दे दी। मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दिनेश कुमार ने शरजील को 25 हजार रुपये के मुचलके और इतनी ही जमानत राशि पर जमानत दी है। अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि अपराध की प्रकृति और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए जमानत याचिका मंजूर की जाती है कि उसे जांच के दौरान गिरफ्तार नहीं किया गया था।
हालांकि जमानत मिलने के बावजूद शरजील इमाम को फिलहाल जेल में ही रहना होगा क्योंकि वह दिल्ली में हुई हिंसा से जुड़े तीन अन्य मामलों में भी आरोपित है। दरसअसल, दिसंबर- 2019 में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ छात्रों के विरोध-प्रदर्शन के दौरान जामिया मिल्लिया इस्लामिया में हिंसा हुई थी। अक्टूबर में अदालत ने 2019 में सीएए-एनआरसी विरोधी प्रदर्शन के दौरान कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने और हिंसा भड़काने के मामले में इमाम को जमानत देने से इनकार कर दिया था।
तब अदालत ने कहा था कि सांप्रदायिक सौहार्द और सद्भाव की कीमत पर स्वतंत्र भाषण के अधिकार का उपयोग नहीं किया जा सकता है। इस मामले के अलावा शरजील इमाम पर फरवरी 2020 के दंगों का मास्टरमाइंड होने का भी आरोप है जिसमें 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक लोग घायल हो गए थे। शरजील के खिलाफ यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है।

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