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    Sharad Purnima 2023: इस बार भूलकर भी रातभर खुले आसमान में न रखें खीर, जानिए इसका सही समय और जरूरी बातें

    Sharad Purnima 2023 शरद पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। हर वर्ष अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है। शदर पूर्णिमा पर खीर बनाने की परंपरा है। इस दिन चावल की खीर बनाई जाती है। आज (28 अक्टूबर) पूर्णिमा है और रात को ही चंद्रग्रहण (Lunar Eclipse 2023) भी पड़ रहा है।

    By GeetarjunEdited By: GeetarjunUpdated: Sat, 28 Oct 2023 07:05 PM (IST)
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    इस बार भूलकर भी न रखें पूरी रात खुले आसमान में खीर, जानिए सही समय और जरूरी बातें

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Sharad Purnima 2023: शरद पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। हर वर्ष अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है। शदर पूर्णिमा पर खीर बनाने की परंपरा है। इस दिन चावल की खीर बनाई जाती है। आज (28 अक्टूबर) पूर्णिमा है और रात को ही चंद्रग्रहण भी पड़ रहा है।

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    इन दिन खीर को चंद्रमा की रौशनी में रखते हैं। फिर खीर को अगले दिन सुबह प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। इस पूर्णिमा पर चंद्र देव धरती के सबसे नजदीक होते हैं। शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं।

    आपको बता दें कि कई वर्षों बाद शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण भी पड़ रहा है। पूर्णिमा पर रात में खुले आसमान में खीर रखी जाती है, ताकि उसमें चंद्रमा से अमृत वर्षा हो। लेकिन इस बार चंद्रग्रहण की वजह से खीर को पूरी रात बाहर न रखें, नहीं तो वह दूषित हो जाएगी।

    कब लगेगा चंद्रग्रहण?

    29 अक्टूबर की रात एक बजकर छह मिनट पर लगेगा और दो बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगा। ग्रहण एक घंटे 16 मिनट तक रहेगा। चंद्रग्रहण का सूतक काल आज शाम चार बजकर छह मिनट पर शुरू हो गया। सूतक काल नौ घंटे का होगा। दो बजकर 22 मिनट पर इसका समापन होगा।

    ग्रहण खत्म होने के बाद ही स्नान करके खीर बनाएं, इसके बाद उसे खुले आसमान में रखें। फिर सुबह भगवान का भोग लगाकर खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।

    शरद पूर्णिमा और खीर की क्या है मान्यता

    मान्यता है कि शरद पूर्णिमा भगवान कृष्ण को भी समर्पित है। इस दिन भक्त नदी में स्नान करते हैं, परिवार की सुख और समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं। इस दिन कई श्रद्धालु उपवास भी रखते हैं।

    पौराणिक कथाओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा सर्दियों की शुरुआत माना जाता है। शरद पूर्णिमा की रात बहुत ही खूबसूरत होती है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात में अमृत की वर्षा होती है, इसलिए लोग रात में चावल की खीर बर्तन में रखकर खुले आसमान के नीचे रखते हैं और अगली सुबह स्नान कर इसे खाते हैं। यह भी मान्यता है कि इस खीर को चांदी के बर्तन में रखना चाहिए।

    ये भी पढ़ें- Sharad Purnima 2023: शरद पूर्णिमा के दिन खीर की तुलना क्यों होती है अमृत से, जानिए इससे होने वाले लाभ

    ज्योतिष विद्वानों के अनुसार, यह खीर शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करती है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देती है। साथ ही, यह भी माना जाता है कि चंद्रमा की रोशनी में मौजूद गुण मानव शरीर को पोषण देते हैं।