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बवाना आगः 17 मौतों को लेकर खुलासा- हादसे से वक्त पटाखों की पैकिंग हो रही थी

शनिवार को दिल्ली के बवाना में दो प्लास्टिक और एक पटाखा फैक्ट्री में भीषण आग लग गई, जिसकी चपेट में आने से 17 लोग की मौत हो गई।

By JP YadavEdited By: Published: Sun, 21 Jan 2018 08:07 AM (IST)Updated: Sun, 21 Jan 2018 02:43 PM (IST)
बवाना आगः 17 मौतों को लेकर खुलासा- हादसे से वक्त पटाखों की पैकिंग हो रही थी
बवाना आगः 17 मौतों को लेकर खुलासा- हादसे से वक्त पटाखों की पैकिंग हो रही थी

नई दिल्ली (जेएनएन)। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के बाद अब दिल्ली के बवाना में शनिवार को लगी भीषण आग ने 17 लोगों की जिंदगी लील ली है। इससे पहले 29 दिसंबर 2017 को मुंबई के पब में लगी आग में 14 लोगों की जलकर मौत हो गई थी, जबकि 55 लोग झुलस गए थे। जानकारी सामने आ रही है कि दिल्ली के बवाना में चल रही इस फैक्ट्री का लाइसेंस ही नहीं लिया गया था। बता दें कि दिल्ली सरकार के श्रम विभाग का फैक्ट्री निदेशालय फैक्ट्रियों को लाइसेंस जारी करता रहा है। औद्योगिक विभाग के फैक्ट्री एक्ट कार्यालय से भी उद्योगों को मंजूरी लेनी होती है। 

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वहीं, भीषण अग्निकांड के बाद दिल्ली पुलिस ने कार्रवाई करते हुए फैक्ट्री मालिक मनोज को गिरफ्तार कर लिया है। मनोज जैन ने पूछताछ में बताया है कि यह फैक्‍ट्री एक जनवरी से किराए पर ली थी और वह बड़े पैमाने पर होली और स्‍टेज शो के लिए बड़े पैमाने पर पटाखों की पैकिंग करवा रहा था।

इससे पहले हादसे में अफसोस जताते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये, जबकि घायलों को 1-1 लाख रुपये मुआवजा देने का एलान किया है। उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर घटना पर दुख जताया है। विभिन्न अस्पतालों में भर्ती घायलों को देखने के लिए रविवार सुबह दिल्ली के उपराज्यपाल पहुंचे। उन्होंने कहा कि मामले की जांच प्रधान सचिव (गृह) करेंगे। 

वहीं,  दिल्ली सरकार ने जांच के ऑर्डर दिए हैं। 17 मौतों पर दिल्ली महिला आयोग ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम को नोटिस भेजने का फैसला लिया है। 

 

जानकारी के मुताबिक, दिल्ली के बवाना में पहले एक प्लास्टिक की फैक्ट्री में आग लगी और फिर उसने दूसरी प्लास्टिक की फैक्ट्री व एक पटाखा की फैक्ट्री को अपनी चपेट में ले लिया। इन तीन फैक्ट्रियों में आग लगने से हड़कंप मच गया। इन फैक्ट्रियों के अंदर मौजूद लोग इधर-उधर भागने लगे। कुछ लोगों ने तो छत से छलांग लगा दी। 

जानकारी के मुताबिक, इस हादसे में 13 लोग पहली मंजिल, 3 ग्राउंड फ्लोर और एक की मौत बेसमेंट में हुई है। मौके पर बेसमेंट से एक शव मिला तो 13 लोगों के शव पहली मंजिल व तीन लोगों के शव भूतल पर मिले। मरने वालों में दस महिलाएं शामिल हैं।

इनमें पहली मंजिल पर दो महिलाओं के शव एक-दूसरे से लिपटे मिले। ऐसा लग रहा था कि दोनों ने एक-दूसरे को बचाने के लिए काफी जद्दोजहद की हो।

पहली मंजिल पर कुछ लोगों के शव मलबे में दबे थे और पूरी तरह से जल चुके थे, जबकि कुछ लोगों की मौत बैठे-बैठे ही दम घुटने से हो गई। उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था कि उन्होंने बाहर निकलने की पूरी कोशिश की होगी, लेकिन चारों तरफ आग से घिरे होने के कारण जब उन्हें बाहर निकलने का रास्ता नहीं मिला तो वे थक-हार कर बैठ गए होंगे। फैक्ट्री के अंदर भारी मात्र में पटाखे के पैकेट मिले हैं। इस कारण आग ने कुछ ही मिनटों में भीषण रूप धारण कर लिया।

मौतों के बाद कहां है दिल्ली सरकारः प्रीति अग्रवाल

बवाना में आग लगने के बाद तत्काल मौके पर पहुंची उत्तरी दिल्ली नगर निगम की महापौर प्रीति अग्रवाल ने दिल्ली सरकार पर निशाना साधा है। प्रीति अग्रवाल ने कहा कि दुख की बात है कि इतनी बड़ी घटना के बाद दिल्ली सरकार का कोई भी प्रतिनिधि यहां मौजूद नहीं है। न तो डीएम मौजूद हैं और न ही दिल्ली सरकार का कोई प्रतिनिधि है। अग्रवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री जवाब दें कि आखिर दिल्ली सरकार कहां है? क्या यह दिल्ली का इलाका नहीं है।

गोदाम के नाम पर पटाखे की फैक्ट्री

भीड़-भाड़ भरे बवाना औद्योगिक क्षेत्र के सेक्टर पांच स्थित पटाखा फैक्ट्री में लगी भीषण आग के पीछे बड़ी लापरवाही सामने आ रही है। यहां प्लास्टिक सामानों के गोदाम के नाम पर बिना लाइसेंस के पटाखे की फैक्ट्री चलाई जा रही थी। फैक्ट्री में सुरक्षा मानकों का बिल्कुल भी पालन नहीं किया गया था। पुलिस के अनुसार फैक्ट्री के मालिक मनोज जैन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

वहीं ऐसे में बड़ा सवाल यह भी है कि इतने दिनों से यह फैक्ट्री चल रही थी, तो संबंधित विभाग के अधिकारियों ने इस ओर कभी ध्यान क्यों नहीं दिया या कोई जांच-पड़ताल क्यों नहीं की। सूत्रों की मानें तो बवाना औद्योगिक क्षेत्र में ऐसी कई फैक्ट्रियां चल रही हैं, जिनका लाइसेंस किसी और काम के लिए जारी हुआ है और वहां अंजाम किसी और काम को दिया जा रहा है।

पहले-पहल दमकल विभाग को प्लास्टिक फैक्ट्री में आग लगने की सूचना मिली थी, लेकिन बाद में यहां पटाखे बनाए जाने की बात सामने आई। शनिवार को आम तौर पर बवाना औद्योगिक क्षेत्र की फैक्ट्रियां बंद रहती हैं और कर्मियों का साप्ताहिक अवकाश रहता है।

इसके बावजूद शनिवार को इस फैक्ट्री में काम चल रहा था। स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्हें यहां पटाखा बनने के बारे में नहीं पता था। उन्होंने बताया कि यहां रात में भी काम चलता था।

फैक्ट्री में आग जैसी अनहोनी से निपटने के लिए भी यहां कोई उपकरण मौजूद नहीं थे। इस हादसे ने जहां जान-माल को बड़ी क्षति पहुंचाई है, वहीं अग्निशमन विभाग व स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान लगा दिया है।


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