सेवा ही साधना है : प्रो. अच्युत सामंत
“जब आप खुद को ईश्वर के प्रति समर्पित कर देते हैं तो आप चिंता करना बंद कर देते हैं। आप काम करना शुरू करते हैं।” यह कथन ओडिशा के शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ता प्रो. अच्युत सामंत का है जिनका जीवन और काम कई सामाजिक और शैक्षिक क्षेत्रों में लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है। सतत मेहनत ही सफलता का मंत्र है

“जब आप खुद को ईश्वर के प्रति समर्पित कर देते हैं, तो आप चिंता करना बंद कर देते हैं। आप काम करना शुरू करते हैं।” यह कथन ओडिशा के शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ता प्रो. अच्युत सामंत का है, जिनका जीवन और काम कई सामाजिक और शैक्षिक क्षेत्रों में लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है। पिछले दो दशकों में सामंत ने ओडिशा में दो प्रमुख संस्थानों कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी और कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की स्थापना की।
सामंत के कार्य सिर्फ शिक्षा तक सीमित नहीं रहे। उन्होंने समय-समय पर कई सामाजिक अभियानों की शुरुआत की, जिनमें 'Art of Giving', 'Kanya Kiran', और 'Education for All' जैसे कार्यक्रम शामिल हैं। इन अभियानों का उद्देश्य समाज में सकारात्मक सोच, महिला सशक्तिकरण और शिक्षा को बढ़ावा देना रहा है।
KIIT और KISS के सहयोग से तैयार किया गया खेल इन्फ्रास्ट्रक्चर भी हाल के वर्षों में चर्चा में रहा है। इस इन्फ्रास्ट्रक्चर में प्रशिक्षण पाने वाले 24 खिलाड़ियों में से 15 को पेरिस ओलंपिक 2024 के लिए चुना गया, जो ओडिशा जैसे राज्य के लिए उल्लेखनीय उपलब्धि मानी जा रही है।
इन संस्थानों को यूनेस्को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। साथ ही, दोनों संस्थानों को संयुक्त राष्ट्र ECOSOC का कंसल्टेटिव स्टेटस भी प्राप्त है, जिससे वैश्विक मंचों पर इनकी भागीदारी को मान्यता मिली है। गौर करने वाली बात यह है कि सार्वजनिक जीवन में सक्रिय रहने के बावजूद प्रो. सामंत एक किराए के घर में रहते हैं और ब्रह्मचारी जीवन अपनाते हैं। उनकी जीवनशैली और सार्वजनिक कार्यों के बीच संतुलन अक्सर चर्चाओं में रहता है।
शिक्षा नीति विशेषज्ञों का मानना है कि सामंत का मॉडल कई राज्यों के लिए केस स्टडी बन सकता है, खासकर आदिवासी और हाशिये पर रहने वाले समुदायों की शिक्षा और समावेशी विकास के संदर्भ में।
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