Ayushman Card Benefits: आयुष्मान कार्ड बुजुर्गों के लिए नई उम्मीद, इन बीमारियों का भी हो रहा फ्री इलाज
पूर्वी दिल्ली में आयुष्मान वय वंदना योजना बुजुर्गों के लिए वरदान साबित हो रही है। शाहदरा की 81 वर्षीय सुरेंद्र कांता सचदेवा ने योजना का लाभ उठाकर अपना पेसमेकर बदलवाया। आयुष्मान कार्ड की मदद से राम मनोहर लोहिया अस्पताल में उनकी सर्जरी हुई। यह योजना बुजुर्गों के इलाज के खर्च को कम करने में सहायक है जिससे कमजोर परिवारों पर बोझ कम हो रहा है।

आशीष गुप्ता, पूर्वी दिल्ली। आयुष्मान वय वंदना योजना से बुजुर्ग 'आयुष्मान' बन रहे हैं। शाहदरा विधानसभा क्षेत्र की दिलशाद कॉलोनी की 81 वर्षीय सुरेंद्र कांता सचदेवा ने योजना का लाभ उठाकर अपना पेसमेकर बदलवाया है।
लोगों ने लिए कार्ड के फायदे
उनकी सर्जरी राम मनोहर लोहिया अस्पताल में हुई। वह इस योजना को बुजुर्गों के लिए वरदान मानती हैं। उनका कहना है कि बुजुर्गों के इलाज पर होने वाला खर्च कमजोर वर्ग के परिवारों पर बोझ की तरह होता है। लेकिन योजना के लागू होने से यह बोझ खत्म हो गया है।
सुरेंद्र कांता सचदेवा को 15 साल पहले दिल की धड़कन धीमी होने के कारण पेसमेकर लगाया गया था। उनके बेटे संजय सचदेवा ने बताया कि 22 अप्रैल की रात को उनकी मां की तबीयत अचानक खराब हो गई। वह उन्हें तुरंत दिलशाद गार्डन स्थित जीटीबी अस्पताल ले गए।
वहां से उन्हें ताहिरपुर स्थित राजीव गांधी सुपरस्पेशलिटी अस्पताल रेफर कर दिया गया। इस अस्पताल से उन्हें यह कहकर रेफर कर दिया गया कि रात में डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं। वहां से वह उन्हें राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले गए, जहां उन्हें भर्ती कर लिया गया।
उन्हें तीन दिन तक निगरानी में रखा गया और कई जांचें कराई गईं। इसमें पता चला कि पुराना पेसमेकर खराब हो गया था, जिसकी वजह से उनकी धड़कन धीमी हो रही थी।
यह फिर से कम हो रहा है। डॉक्टरों ने पेसमेकर बदलवाने की सलाह दी है। साथ ही बताया है कि इसमें करीब 90 हजार रुपए का खर्च आएगा।
संजय ने बताया कि वह स्वरोजगार करता है। डॉक्टरों की सलाह पर उसने मां का पेसमेकर बदलवाने के लिए पैसों का इंतजाम करना शुरू कर दिया। इसी बीच उसे पता चला कि दिल्ली में 70 साल या इससे अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों के लिए वय वंदना कार्ड बनाए जा रहे हैं।
25 अप्रैल की रात को उसने इंटरनेट पर काफी देर तक योजना की जानकारी ली। फिर वह आयुष्मान भारत योजना के पोर्टल पर गया और मां का कार्ड बनवाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराने का प्रयास किया। थोड़ी मशक्कत के बाद रात 12:33 बजे कार्ड बन गया। दो दिन बाद वह कार्ड लेकर अस्पताल पहुंचा, जहां उसका इलाज किया गया और एस्टीमेट बनाकर दे दिया गया।
इसके आधार पर उसके लिए इतना बजट स्वीकृत हुआ। बुधवार (30 अप्रैल) को उसकी मां की सर्जरी कर उनका पेसमेकर बदला गया। शुक्रवार को अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद सुरेंद्र कांता सचदेवा घर लौट आए हैं।
उत्तर पश्चिमी जिले में सबसे ज्यादा कार्ड बने
दिल्ली में आयुष्मान वय वंदना योजना के तहत अब तक 27400 कार्ड बनाए जा चुके हैं। सबसे ज्यादा कार्ड उत्तर पश्चिम जिले में बुजुर्गों के बने हैं। इस जिले में 5189 कार्ड बनाए गए हैं। सबसे कम कार्ड 496 दक्षिण पूर्व जिले में बनाए गए हैं।
बुजुर्गों के लिए यह अच्छी योजना है। उन्हें इसका लाभ मिलना शुरू हो गया है। हमारी सरकार जो कहती है, वह करती है।
- संजय गोयल, विधायक, शाहदरा
किस जिले में कितने कार्ड धारक
जिला | कार्ड धारक |
उत्तर पश्चिमी | 5189 |
पश्चिमी | 5105 |
पूर्वी | 3994 |
दक्षिणी पश्चिमी | 3168 |
उत्तर | 3160 |
उत्तर पूर्वी | 1790 |
शाहदरा | 1482 |
दक्षिणी | 1452 |
मध्य | 1311 |
नई दिल्ली | 753 |
दक्षिणी पूर्वी | 796 |
(स्रेात : दो मई तक के प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के पोर्टल से लिए गए आंकड़े)
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