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    SC के आदेश ने बढ़ाई चांदनी चौक के व्यापारियों की टेंशन, नेशनल क्लब में जुटेंगे 150 से ज्यादा संगठनों के प्रतिनिधि

    Updated: Tue, 22 Jul 2025 07:43 AM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चांदनी चौक में अवैध निर्माणों पर कार्रवाई से व्यापारी डरे हुए हैं उन्हें मरम्मत पर भी कार्रवाई का डर है। एमसीडी पर परिभाषा तय करने का दबाव है। व्यापारियों ने महापंचायत बुलाई है जिसमें आगे की रणनीति पर विचार होगा। कैट का कहना है कि कई इमारतें नियमानुसार हैं फिर भी कार्रवाई का डर है।

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    कार्रवाई के डर से व्यापारियों में दहशत का माहौल |

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा चांदनी चौक में अवैध निर्माणों पर दिल्ली पुलिस और एमसीडी पर कार्रवाई के आदेश से व्यापारियों और निवासियों में भय का माहौल है। डर का माहौल इसलिए भी कि कहीं मरम्मत के मामले में भी भवन मालिकों पर कार्रवाई न हो जाए।

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    सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद अवैध निर्माणों पर निगरानी के लिए दिल्ली पुलिस ने टीमें गठित कर दी हैं। जबकि, एमसीडी की टीमों के आने की अफवाह की उड़ती खबरें दहशत पैदा कर दे रही। चांदनी चौक में अवैध निर्माण की परिभाषा तय कराने को लेकर एमसीडी पर सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध करने का दबाव भी बढ़ता जा रहा है।

    दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने बकायदा महापौर को पत्र लिखकर अनुरोध किया है। इस बीच, शुक्रवार को व्यापारियों ने महापंचायत भी बुलाई गई है। यह महापंचायत पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के सामने स्थित नेशनल क्लब में शुक्रवार को बुलाई गई है। जिसमें चांदनी चौक के सांसद प्रवीन खंडेलवाल भी मौजूद रहेंगे।

    इस संबंध में कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के चांदनी चौक के संयोजक गोपाल गर्ग ने बताया कि बैठक में चांदनी चौक के 150 से अधिक संगठनों के 200 से अधिक लोगों की मौजूदगी रहेगी। इसमें सुप्रीम कोर्ट के आदेश से उत्पन्न परिस्थितियों पर विमर्श करते हुए आगे की रणनीति बनाई जाएगी।

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक आदेश में चांदनी चौक में अवैध निर्माणों पर नाराजगी जताते हुए दिल्ली पुलिस व एमसीडी को कड़ी कार्रवाई करने को कहा है। साथ ही अवैध निर्माणों पर स्टेट्स रिपोर्ट मांगा है।

    गोपाल गर्ग के अनुसार, चांदनी चौक क्षेत्र में बहुत सारी इमारतें नियमानुसार बनी है। क्या उन्हें भी अवैध निर्माण माना जाएगा। साथ ही आगे निर्माणों तथा मरम्मत कार्यों पर क्या स्थिति रहेगी। ऐसे कई मामलों पर अस्पष्टता है। इसलिए हमारी मांग है कि एमसीडी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को वर्तमान स्थिति बताते हुए आदेश को स्पष्ट करें, जिससे भ्रम की स्थिति दूर हो।