Delhi News: गुड टच और बैड टच के बारे में जागरूक कर बचा रही बच्चों की मासूमियत
ज्योति ने बताया कि आए दिन बच्चों के साथ दुर्व्यवहार व छेड़छाड़ की खबरों को सुनकर उन्हें बहुत बुरा लगता था।इसी दौरान उन्होंने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर शुरुआत की और स्कूलों व अन्य माध्यमों से छोटे बच्चों को इससे संबंधित कार्यशालाओं का आयोजन कर जागरूक करना शुरू किया।

नई दिल्ली [रजनीश पाण्डेय]। गुड टच और बैड टच के बारे में बच्चों को जानकारी देकर 28 वर्षीय आनंद एनजीओ की संस्थापक ज्योति आनंद बच्चों की मासूमियत को बचाने का काम कर रही हैं। उनका कहना है कि अक्सर कम उम्र में बच्चों को इस विषय में जानकारी न होने की वजह से वे अपने ही आसपास मौजूद लोगों द्वारा ही शिकार बना लिए जाते हैं। इससे कहीं न कहीं उनके पूरे जीवन पर काफी बुरा असर पड़ता है, इसलिए बच्चों को इस बारे में जागरूक करना बेहद आवश्यक है। इससे संबंधित जागरूकता अभियान के तहत वह अपने संस्थान के साथ मिलकर अब तक उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली व कश्मीर सहित कई राज्यों के करीब 60 हजार बच्चों को जागरूक कर चुकी हैं। गुड टच व बैड टच में अंतर बताने के साथ ही वह खुद एक मार्शल आर्ट की एक्सपर्ट होने के नाते विशेषकर लड़कियों को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग भी देती हैं।
ज्योति आनंद ने बताया कि आए दिन बच्चों के साथ दुर्व्यवहार व छेड़छाड़ की खबरों को सुनकर उन्हें बहुत बुरा लगता था। इसी दौरान उन्होंने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर साल 2014 में इस एनजीओ की शुरुआत की और अलग-अलग स्कूलों व अन्य माध्यमों से छोटे बच्चों को इससे संबंधित कार्यशालाओं का आयोजन कर जागरूक करना शुरू किया। उनकी इस टीम में ज्यादातर कालेज जाने वाले छात्र-छात्राएं शामिल रहीं।
इस क्षेत्र में अनुभवों को साझा करते हुए ज्योति ने बताया कि करीब 60 प्रतिशत मामलों में बच्चों को बैड टच से प्रताड़ित करने वाले मामलों में प्राय: करीबी रिश्तेदार, खास पड़ोसियों या बेहद करीब लोग ही दोषी पाए जाते हैं। उनकी सलाह है कि सभी अभिभावकों को अपने बच्चों के ऊपर भरोसा रखना चाहिए। बच्चों को ज्यादातर अपने साथ रखना चाहिए और उन्हें समाज की इन बुराइयों से यथासंभव अवगत कराना चाहिए।
गुड टच, बैड टच अभियान के साथ ही वह झुग्गीवासी, भीख मांगने वाले व बेसहारा बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था कराने में भी जुटी हुई हैं। वह अपने संस्थान आनंद एनजीओ के माध्यम से करीब इन बेसहारा बच्चों के यथासंभव शिक्षा की व्यवस्था भी कर रही हैं। वर्तमान में उनके एनजीओ के सुखदेव विहार में तीन केंद्र हैं जहां करीब 300 बेसहारा बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जा रही है।
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