सत्येंद्र जैन के जवाब से संतुष्ट नहीं हुई एसीबी, दोबारा होगी पूछताछ; अगली बार दस्तावेज साथ लाने को कहा
दिल्ली में दो हजार करोड़ रुपये के क्लासरूम घोटाले में एसीबी ने पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन से पूछताछ की। उनसे 35 सवाल पूछे गए लेकिन वे संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। जैन ने आर्किटेक्ट की नियुक्ति पर भी सवालों से इनकार किया। उन पर शिक्षा विभाग पर निर्णय थोपने और लागत में अनियमितता के आरोप हैं। एसीबी ने इस मामले में पहले ही केस दर्ज कर लिया है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दो हजार करोड़ रुपये से अधिक के क्लासरूम घोटाला मामले में शुक्रवार को पूर्ववर्ती दिल्ली सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री रहे सत्येंद्र जैन से एसीबी ने सिविल लाइंस स्थित अपने मुख्यालय में बुलाकर पांच घंटे तक गहन पूछताछ की। उनसे 35 से अधिक सवाल पूछे गए, जिनमें एक सवाल का भी वह सही तरीके से जवाब नहीं दे पाए। क्लासरूम बनाने के लिए उन्होंने ही आर्किटेक्ट कंसल्टेंट नियुक्त किया था। इसकी क्या जरूरत पड़ी। इन सवालों का जवाब देने से उन्होंने इनकार कर दिया।
कुछ सवाल के जवाब में उन्होंने कैबिनेट के निर्णय के अनुसार काम होने की बात कही। हालांकि वह कैबिनेट का कोई निर्णय लिखित में नहीं दिखा पाए। इसी तरह उन्होंने कई निर्णय शिक्षा विभाग पर थोपने की कोशिश की। उन्होंने संबंधित जिम्मेदार अधिकारियों पर काईवाई क्यों नहीं की और मामले को तीन साल तक क्यों दबाए रखा गया। इस सवाल का भी वह सही सही जवाब नहीं दे पाए।
शाम पांच बजे तक जैन से पूछताछ की गई
एसीबी चीफ संयुक्त आयुक्त मधुर वर्मा के मुताबिक, सत्येंद्र जैन को सुबह 11 बजे बुलाया गया था। वह 11.30 में मुख्यालय आए। इसके बाद उनसे पूछताछ शुरू की गई। शाम पांच बजे तक उनसे पूछताछ की गई। एसीबी के सवालों का जवाब देने से वह बचते रहे। आगे भी उनसे पूछताछ की जाएगी।
शुक्रवार को पूछे गए सवालों का उन्होंने जो जवाब दिया अगली बार उसके दस्तावेज लेकर आने को कहा जाएगा। क्लासरूम का निर्माण 1,200 रुपये प्रति स्क्वायर फीट की दर से सेमी परमानेंट स्ट्रक्चर के रूप में किया गया जबकि बिल का भुगतान 2,100 से 2,200 रुपये प्रति स्क्वायर फीट की दर से परमानेंट स्ट्रक्चर का किया गया। सभी बिलों पर सिसोदिया के हस्ताक्षर पाए गए हैं।
करीब 10 इंजीनियरों से पूछताछ की जा चुकी
इस मामले में निर्माण कार्य कराने वाले करीब 10 इंजीनियरों से पूछताछ की जा चुकी है। एसीबी ने दोनों नेताओं के खिलाफ सरकारी स्कूलों में 12,748 कक्षाओं के निर्माण में दो हजार करोड़ से अधिक के घोटाले को लेकर करीब ढाई माह पहले केस दर्ज किया था। 2019 में एसीबी को सरकारी स्कूलों में 2,892 करोड़ रुपये की लागत से 12,748 कक्षाओं के निर्माण में भ्रष्टाचार संबंधी शिकायतें प्राप्त हुई थीं।
निर्माण की लागत लगभग 24.86 लाख रुपये बताई
दिए गए टेंडर के अनुसार, एक क्लासरूम के निर्माण की लागत लगभग 24.86 लाख रुपये बताई गई, जबकि दिल्ली में ऐसे कमरे आमतौर पर लगभग पांच लाख रुपये में बनाए जा सकते हैं। लागत अधिक होने के बावजूद एक भी काम निर्धारित समयावधि में पूरा नहीं हुआ। पूरा निर्माण कार्य 34 ठेकेदारों को दिया गया, जिनमें अधिकांश आप से जुड़े हैं। इसके लिए सलाहकार और आर्किटेक्ट भी उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना नियुक्त किए गए और उनके माध्यम से लागत में वृद्धि की गई।
निर्धारित समय में काम पूरा नहीं होने से लागत में वृद्धि
मधुर वर्मा के अनुसार, सत्यापन के दौरान पता चला कि वित्त वर्ष 2015-16 के लिए व्यय वित्त समिति की बैठकों में यह निर्णय लिया गया था कि इस परियोजना को स्वीकृत लागत पर जून 2016 तक पूरा कर लिया जाएगा। इससे भविष्य में लागत वृद्धि की कोई गुंजाइश नहीं होगी। बावजूद इसके निर्धारित समयावधि के भीतर एक भी काम पूरा नहीं हुआ, जिसके कारण भी लागत में वृद्धि हुई।
जांच के दौरान पता चला कि इस मामले में मुख्य तकनीकी परीक्षक, केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की जांच रिपोर्ट सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी से 17 फरवरी 2020 को जारी की गई थी। लेकिन उस रिपोर्ट को तीन वर्ष तक दबा दिया गया। सीवीसी रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि निर्माण की वास्तविक लागत कमोबेश स्थायी संरचनाओं की लागत के बराबर थी।
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