Delhi: शर्मीले स्वभाव के थे सतीश कौशिक, करोल बाग की नाई वली गली में खेलते-कूदते बीता अभिनेता का बचपन
दिल्ली सतीश कौशिक जी के निधन की खबर से निस्तब्ध हूं। हमारा बचपन करोल बाग की नाई वाला गलियों में खेलते कूदते बीता है। उन्हें जब कभी भी टीवी पर देखती थी तो करोल बाग में बीते बचपन की सारी यादें ताजा हो जाती थी।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। 'सतीश कौशिक जी के निधन की खबर से निस्तब्ध हूं। हमारा बचपन करोल बाग की नाई वाला गलियों में खेलते कूदते बीता है। उन्हें जब कभी भी टीवी पर देखती थी, तो करोल बाग में बीते बचपन की सारी यादें ताजा हो जाती थी।' यह बातें दिल्ली विश्वविद्यालय के राम लाल आनंद कालेज की पूर्व प्रोफेसर डॉ. सरोज गुप्ता ने बालीवुड कलाकार व फिल्म निर्देशक सतीश कौशिक के निधन पर दुख जाहिर करते हुए कहीं।
डॉ. सरोज गुप्ता वर्तमान में अपने परिवार के साथ अमेरिका में रह रही हैं। उनका जन्म करोल बाग में ही हुआ और वह 26 वर्ष तक वहीं रहीं। उन्होंने बताया कि बचपन में उन्होंने सतीश कौशिक के साथ करोल बाग की नाई वाली गलियों में पिट्ठू, छिपम छिपाई और खूब दौड़ लगाई हैं। उनके साथ सारी गलियां नापी हैं। सतीश कौशिक नाई वाली गली नंबर 30 और वह 48 नंबर में रहती थी।

उनकी गली आमने-सामने थी। उन दिनों लड़के लड़कियां आपस में बोलते भी नहीं थे, लेकिन वह गली के सभी बच्चों से बात करती थी, जिनमें से एक सतीश कौशिक भी थे। सतीश कौशिक उनसे पांच-पांच वर्ष छोटे थे। करोल बाग में उन दिनों छप्पर वाला चौक और तांगा स्टैंड बहुत मशहूर था, वहां कई मंदिर, मलाई वाला कढ़ाई का दूध और देसी घी की जलेबियां मिलती थी। गली के हम सभी बच्चे वहां खाने जाते थे।


शर्मीले स्वभाव के थे सतीश कौशिक
सरोज गुप्ता ने बताया कि उनके अच्छे अंक आने पर उनके चाचा गली के सभी बच्चों को जलेबी खिलाया करते थे। सतीश कौशिश बहुत शर्मीले स्वभाव के थे, सब बच्चे हाथ फैलाकर जलेबी लेते लेकिन सतीश कभी ऐसे नहीं करते थे हालांकि जलेबी उन्हें पसंद और वह खाते भी थे। जैसे जैसे बड़े हुए अपनी पढ़ाई में व्यस्त हो गए और मिलना जुलना कम हो गया।
1977 में शादी के बाद साउथ एक्सटेंशन चली गई और सतीश नेशनल स्कूल आफ ड्रामा में अपनी भाग्य की रेखाएं लिखने चले गए। इसके बाद कई बार सोचा कि किसी भी तरह उनसे मिलकर पुरानी यादें ताजा की जाएं, लेकिन परिवार की जिम्मेदारी और दूसरी उलझनों में ऐसा उलझी कि उनसे मिलने की इच्छा मन में ही रह गई। इसके बाद तो उन्हें टीवी पर ही देखा। जब भी सतीश कौशिक टीवी पर इंटरव्यू देते हुए शान से कहते थे कि वह करोल बाग नाई वाली गली में रहते थे, वहां उनका बचपन बीता, तो उन्हें भी गर्व महसूस होता था।
सरोज गुप्ता ने बताया कि सतीश कौशिक जब एनएसडी में पढ़ने गए, तब उन्होंने करोल बाग की रामलीला में अभिनय करना शुरू किया। करोलबाग में एक रामलीला मैदान था, वहां डीसीएम की रामलीला होती थी। उसमें भाग लेते थे। हम लोग पास लेकर उनका अभिनय देखने जाते थे। हर बार अलग अलग अभिनय करते थे। कभी रावण की सेना में तो कभी कोई और अभिनय करते थे। हम लोगों को उनका अभिनय बहुत पसंद आता था। करोल बाग के सभी लोग खूब उत्साह से रामलीला देखने जाते थे। हमने तब कभी नहीं सोचा था कि वो किसी दिन बालीवुड के इतने बड़े सितारे बनेंगे। उन्होंने अपनी मेहनत से अपनी सफलता की कहानी लिखी है।

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