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दिल्ली को ‘महकाने’ से पहले ही ‘मुरझाने’ लगे चंदन के पौधे, योजना पर पहले ही उठे थे सवाल

उपराज्यपाल ने एनडीएमसी दिल्ली नगर निगम और दिल्ली विकास प्राधिकरण को मानसून के मौसम में शहरभर में चंदन के 10000 पौधे लगाने का निर्देश दिया था। पर्यावरण विशेषज्ञ प्रदीप कृष्ण दिल्ली में चंदन के पौधे लगाने की योजना की सफलता पर पहले ही सवाल उठा चुके हैं।

By sanjeev GuptaEdited By: Abhishek TiwariPublished: Thu, 30 Mar 2023 09:03 AM (IST)Updated: Thu, 30 Mar 2023 09:03 AM (IST)
दिल्ली को ‘महकाने’ से पहले ही ‘मुरझाने’ लगे चंदन के पौधे, योजना पर पहले ही उठे थे सवाल
दिल्ली को ‘महकाने’ से पहले ही ‘मुरझाने’ लगे चंदन के पौधे, योजना पर पहले ही उठे थे सवाल

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। इसे विडंबना कहें या अनदेखी... दिल्ली को ‘महकाने’ से पहले ही चंदन के पौधे ‘मुरझाने’ लगे हैं। इसकी मुख्य वजह राजधानी की मिट्टी और जलवायु का इनके अनुकूल न होना है। हालांकि जहां कहीं इनकी ठीक से देखभाल की जा रही है, वहां अपेक्षाकृत स्थिति कुछ बेहतर है।

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गौरतलब है कि उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने गत जुलाई माह में एनडीएमसी, दिल्ली नगर निगम और दिल्ली विकास प्राधिकरण को मानसून के मौसम में शहरभर में चंदन के 10,000 पौधे लगाने का निर्देश दिया था। एनडीएमसी ने करीब एक हजार पौधों का रोपण किया। डीडीए की ओर से भी अरावली बायोडायवर्सिटी पार्क में 500 पौधे लगाए गए जबकि यमुना व कमला नेहरू रिज बायोडायवर्सिटी पार्क में चंदन के बीज डालकर नर्सरी तैयार की गई।

वहीं नगर निगम की ओर से चंदन के कहां और कितने पौधे लगाए गए, इसे लेकर कुछ स्पष्ट नहीं है। बताया जाता है कि अभी तक दिल्ली में चंदन के जितने भी पौधे रोपे गए हैं, उनमें एक बड़ी संख्या में पौधे सूख गए हैं। खासतौर पर नर्सरी में बीज डालकर रोपे गए पौधे 20 से 30 प्रतिशत संख्या में ही जीवित बचे हैं।

एनडीएमसी में 10 से 20 प्रतिशत पौधों के सूख जाने की बात सामने आ रही है तो डीडीए द्वारा अरावली पार्क में रोपे गए पौधों में से भी अधिकांश की हालत बहुत संतोषजनक नहीं बताई जा रही। नाम न छापने के अनुरोध पर डीडीए और वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली की जलवायु और यहां की मिट्टी चंदन के पौधों के लिए बहुत अनुकूल नहीं है। ऐसे में उन्हें बड़ा करने के लिए बहुत देख- भाल की जरूरत है।

12 से 15 साल में तैयार होता है चंदन का पेड़

चंदन का एक पेड़ 12 से 15 साल में तैयार होता है। मौजूदा दरों के अनुसार 12-15 लाख रुपये में बिकता है। इस दर पर 10,000 चंदन के पेड़ तैयार होंगे तो इनसे 12 से 15 हजार करोड़ रुपये मिलेंगे। उपराज्यपाल ने कहा था कि चंदन का पौधरोपण, राजधानी की वनस्पति विविधता को जोड़ने और सामान्य वातावरण को समृद्ध करने के अलावा, सरकारी भूमि से आमदनी को बढ़ावा भी देगा। भूमि देने वाली एजेंसियों और किसानों, भूमि-धारकों के लिए वित्तीय संपत्ति भी खड़ा करेगा। यही नहीं, संसाधन की कमी वाले किसान चंदन के दो पेड़ों से ही अपने बच्चों की शिक्षा पूरी कर सकते हैं।

योजना पर पहले ही उठे थे सवाल

पर्यावरण विशेषज्ञ प्रदीप कृष्ण दिल्ली में चंदन के पौधे लगाने की योजना की सफलता पर पहले ही सवाल उठा चुके हैं। उन्होंने कहा था, ‘‘यदि आप एक ध्रुवीय भालू को दिल्ली में लाते हैं और उसे बर्फ के घर में रखते हैं, तो वह जीवित रह सकता है, लेकिन ऐसा करना मूर्खतापूर्ण होगा। इसी तरह पौधों के लिए मिट्टी, नमी और जलवायु अनुकूल रखने की जरूरत होती है। जिस वक्त आप पौधे की देखभाल करना बंद कर देंगे, वह सूख जाएगा।’’


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