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    ट्रैक छोड़ धाविका दिव्या पांडेय लगा रही छत्रसाल स्टेडियम तक दौड़

    By Mangal YadavEdited By:
    Updated: Sat, 17 Jul 2021 02:52 PM (IST)

    दिव्या का कहना है कि दिल्ली सरकार की ओर से पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को 16 लाख रुपये की स्कालरशिप देने का वादा किया गया था। इसके लिए उन्होंने भी फार्म ...और पढ़ें

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    ट्रैक छोड़ धाविका लगा रही छत्रसाल स्टेडियम तक दौड़

    नई दिल्ली [सोनू राणा]। देश का नाम रोशन करने के लिए खिलाड़ी कड़ी मेहनत तो कर रहे हैं, लेकिन सरकार की ओर से समर्थन न मिल पाने की वजह से उनके हाथ मायूसी लग रही है। इन खिलाड़ियों को अपने करियर को रफ्तार देने के लिए स्कालरशिप की दरकार है। ऐसी ही एक खिलाड़ी हैं दिव्या पांडेय। दिव्या पांडेय धाविका हैं और पांच वर्ष से दिल्ली में ही अभ्यास कर रही हैं। उन्होंने दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में अभ्यास कर वर्ष 2017 में नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 800 मीटर दौड़ में स्वर्ण व 2018 में 1500 मीटर दौड़ में स्वर्ण समेत दर्जन भर से ज्यादा रजत एवं कांस्य पदक दिल्ली की झोली में डाले हैं, लेकिन आज हालात ऐसे हो गए हैं कि उनके पास खाने के लिए भी पैसे नहीं हैं।

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    दिव्या का कहना है कि दिल्ली सरकार की ओर से पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को 16 लाख रुपये की स्कालरशिप देने का वादा किया गया था। इसके लिए उन्होंने भी फार्म भरा था व सभी अनिवार्य दस्तावेज जमा करवाए थे, लेकिन उन्हें अभी तक स्कालरशिप नहीं मिली। स्कालरशिप के लिए अब वह दो साल से छत्रसाल स्टेडियम के चक्कर लगा रही हैं। कभी प्रयागराज, तो कभी भिवानी से उन्हें छत्रसाल स्टेडियम आना पड़ रहा है। अब तो उनके खाने के भी लाले पड़ने लगे हैं, मजबूरी में उन्हें हरियाणा के भिवानी की बैंक कालोनी में अपनी सहेली के घर में रहना पड़ रहा है।

    इस बारे में दिल्ली के शिक्षा निदेशक उदित प्रकाश राय का कहना है, मुङो इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। खिलाड़ी को हमारे पास भेजिए। उनसे बात करके पता किया जाएगा कि क्या मामला है।

    एशियन गेम्स की करनी है तैयारी

    दिव्या ने बताया कि एक तरफ सरकार खिलाड़ियों के लिए विश्वविद्यालय खोलने की बात कर रही है और दूसरी ओर उन्हें स्कालरशिप से वंचित रखा जा रहा है। ऐसे में खिलाड़ियों का हौसला टूटता है। उन्होंने बताया कि उन्हें अगले वर्ष होने वाले एशियन गेम्स की तैयारी करनी है। यदि उन्हें स्कालरशिप नहीं मिली तो वह तैयारी नहीं कर पाएंगी।