देश के सबसे चर्चित अस्पताल AIIMS में 2 अप्रैल से बदल जाएगा नियम, जानें पूरा मामला
प्रतिदिन सिर्फ 50 फीसद मरीजों का इलाज पहले से लिए गए अप्वाइंटमेंट के आधार पर होगा। ...और पढ़ें

नई दिल्ली (रणविजय सिंह)। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में मरीजों की सुविधा के लिए अप्वाइंटमेंट सिस्टम में बदलाव किया गया है। इसके तहत प्रतिदिन सिर्फ 50 फीसद मरीजों का इलाज पहले से लिए गए अप्वाइंटमेंट के आधार पर होगा। शेष 50 फीसद स्लॉट अप्वाइंटमेंट के बगैर सीधे अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों के लिए आरक्षित किया गया है। दो अप्रैल से यह नई व्यवस्था मुख्य अस्पताल में लागू हो जाएगी।
इसके तहत मरीजों को अब अप्वाइंटमेंट डॉक्टरों के नाम पर नहीं बल्कि विभाग के नाम पर मिलेगा। एम्स प्रशासन का कहना है कि अप्वाइंटमेंट सिस्टम में सुधार मरीजों की सुविधा के लिए किया गया है। इसका मकसद यह है कि संस्थान में अप्वाइंटमेंट या बिना अप्वाइंटमेंट के पहुंचे हर मरीज का इलाज सुनिश्चित हो सके।
एम्स ने वर्ष 2014 में अप्वाइंटमेंट सिस्टम शुरू किया था। इसके तहत ऑनलाइन, टेलीफोन व अस्पताल के काउंटर से इलाज के लिए समय लेने की व्यवस्था की गई है। यह सुविधा शुरू होने के कुछ समय पश्चात एम्स प्रशासन ने प्रतिदिन इलाज के लिए मरीजों की संख्या निर्धारित कर दी थी और अप्वाइंटमेंट के आधार पर ही इलाज किया जा रहा था।
इसके बगैर इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों का पीआरसी (मरीज पंजीकरण काउंटर) सेंटर में ओपीडी कार्ड नहीं बन पाता था। मगर अब ऐसा नहीं होगा।
30 दिन से ज्यादा का समय नहीं
50 फीसद मरीज इलाज के लिए अधिक से अधिक 30 दिन पहले तक का समय ऑनलाइन या टेलीफोन पर ले सकेंगे। अप्वाइंटमेंट उपलब्ध नहीं होने पर मरीज को समय लेने के लिए अगले महीने में दोबारा प्रयास करना पड़ सकता है या वे सीधे एम्स में इलाज के लिए पहुंच सकेंगे।
सीधे एम्स पहुंचने वाले मरीजों के लिए 30 फीसद संख्या निर्धारित की गई है। एम्स के कंप्यूटरीकरण समिति के चेयरमैन डॉ. निखिल टंडन ने कहा कि एम्स में अनेकों मरीजों को एक विभाग से दूसरे विभाग में स्थानांतरित करना पड़ता है। ऐसे मरीजों के लिए 20 फीसद ओपीडी पंजीकरण की संख्या निर्धारित की गई है।
अप्वाइंटमेंट मिलने पर पंजीकरण की जरूरत नहीं
पहले से अप्वाइंटमेंट लेकर एम्स पहुंचने वाले मरीजों को ओपीडी कार्ड बनाने के लिए पीआरसी में जाकर इंतजार करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ऐसे मरीज निर्धारित तिथि को सीधे ओपीडी ब्लॉक (राजकुमारी अमृत कौर ओपीडी ब्लॉक, पेडियाटिक व मेडिसिन ओपीडी) में पहुंचेंगे, जहां अलग से काउंटर खोले गए हैं।
ओपीडी ब्लॉक में ही ओपीडी कार्ड बन जाएगा। तब मरीज को बताया जाएगा कि उसे कितने नंबर रूम में किस डॉक्टर को दिखाना है। इसके पीछे एम्स का तर्क है कि पहले मरीजों को दो-तीन महीने का एडवांस अप्वाइंटमेंट दिया जा रहा था।
कई बार मरीज के पहुंचने पर संबंधित डॉक्टर उपलब्ध नहीं होते थे। इस वजह से मरीजों को परेशानी हो रही थी। इसलिए विभाग के नाम पर अप्वाइंटमेंट देने का फैसला किया गया है। इससे मरीजों की परेशानी कम होगी।

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