Boycott Turkey: पाक से दोस्ती तुर्किये को पड़ी भारी! बहिष्कार अभियान में कूदा RSS का संगठन; सरकार से की ये 5 मांगें
Boycott Turkey तुर्किये को पाकिस्तान के साथ दोस्ती निभाना भारी पड़ रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सहयोगी संगठन स्वदेशी जागरण मंच तुर्किये के बहिष्कार अभियान में कूद पड़ा है। संगठन ने केंद्र सरकार से तुर्किये को सबक सिखाने को लेकर उड़ान और पर्यटन बहिष्कार का आह्वान किया है। इसे लेकर स्वदेशी जागरण मंच ने केंद्र सरकार के सामने पांच मांगें रखी हैं।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। आतंकवाद परस्त पाकिस्तान के साथ तुर्किये को खड़ा होना अब उसके लिए भारी पड़ता जा रहा है। वैसे तो पाकिस्तानियों द्वारा सीमा पार उसके ड्रोन की जो हालात भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने की उससे पहले ही वैश्विक स्तर पर तुर्किये के उत्पादों को लेकर हालत खराब है। जबकि, भारत में उसके उत्पादों पर्यटन समेत आर्थिक बहिष्कार का अभियान जोर पकड़ने लगा है।
विशेष बात कि अब इस बहिष्कार अभियान की कमान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने संभाल ली है। आरएसएस के सहयोगी संगठन स्वदेशी जागरण मंच को पाकिस्तान को तुर्किये का सैन्य समर्थन नागवार गुजरा है और उसने तुर्किये पर आर्थिक प्रतिबंध, उड़ान प्रतिबंध और पर्यटन बहिष्कार का आह्वान किया है। इस मामले में उसने केंद्र सरकार से हस्तक्षेप का आग्रह कर पांच सूत्रीय मांग रखी है।
नाटो का सदस्य देश है तुर्किये
ऐसे में तुर्किये को यह नापाक गठजोड़ भारी पड़ने लगा है। क्योंकि, लाखों भारतीय प्रत्येक वर्ष छुट्टियां मनाने तुर्किये जाते हैं, साथ ही कालीन व परिधानों से लेकर मार्बल व उसकी क्रोकरी भी भारत में काफी पसंद की जाती है। ऐसे में उसके इस कारोबार को धक्का लगना तय है। वैसे तो तुर्किये नाटो का सदस्य और खुद को कथित धर्मनिरपेक्ष गणराज्य बताता है।
जिस तरह से कट्टरपंथी इस्लामवादी शासनों और भारत की संप्रभुता के प्रति शत्रुतापूर्ण सैन्य प्रतिष्ठानों के साथ उसने गठजोड़ कर लिया है और हाल के वर्षों में, पाकिस्तान के साथ उसकी रणनीतिक रक्षा साझेदारी खतरनाक गति से बढ़ी है, वह भारत के लोगों को नहीं सुहा रहा है। तुर्किये की सरकार पाकिस्तान के सशस्त्र बलों को महत्वपूर्ण सैन्य हार्डवेयर, तकनीकी प्लेटफॉर्म और प्रशिक्षण की आपूर्ति करती है।
चीन के बाद पाक को हथियार सप्लाई करने वाला दूसरा देश तुर्किये
यह जानकर आश्चर्य होगा कि चीन के बाद पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश तुर्किये है, जिसने पाकिस्तान की नौसेना के आधुनिकीकरण और उसकी हवाई युद्ध क्षमताओं को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है।
सबसे परेशान करने वाली घटनाओं में से एक है कि तुर्किये ने 1.5 बिलियन डॉलर के सौदे के तहत पाकिस्तान को मिलजेम (MILGEM) श्रेणी के युद्धपोत दिए हैं, जिससे पाकिस्तान की नौसेना की हमला करने की क्षमता मजबूत हुई है।
तुर्किये ने की पाकिस्तान को ड्रोन की आपूर्ति
तुर्किये की कंपनी बायकर ने पाकिस्तान को बायरकटर टीबी 2 (TB2) और अकिनसी सशस्त्र ड्रोन की आपूर्ति की है। तुर्की की एसटीएम (STM) 350 मिलियन डालर के समझौते के तहत पाकिस्तान की अगोस्टा 90B पनडुब्बियों को अपग्रेड कर रही है।
तुर्किये की रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स प्रमुख कंपनी हवेलसन की मदद से पाकिस्तान में एक इलेक्ट्रॉनिक युद्ध परीक्षण रेंज स्थापित की गई है। इसी तरह 30टी 129 अटक (30 T129 ATAK) हेलीकाप्टरों के लिए 1.5 बिलियन डालर का सौदा किया गया था, हालांकि तीसरे पक्ष की मंजूरी के कारण डिलीवरी में देरी हुई है।
दक्षिण एशिया की स्थिरता को आघात करता है यह नापाक गठजोड़
स्वदेशी जागरण मंच ने इस अपवित्र गठबंधन की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह सीधे तौर पर भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करता है। यह रक्षा सहयोग केवल व्यावसायिक नहीं है, बल्कि यह वैचारिक है, जो दक्षिण एशिया की स्थिरता को आघात करता है और पाकिस्तान के सैन्य दुस्साहस को बढ़ावा देता है।
ऐसे समय में जब भारत ने पाकिस्तान की ओर से बार-बार उकसावे के सामने जबरदस्त संयम बरता है - जिसमें आतंकी शिविरों को पनाह देना और नियंत्रण रेखा के पास आक्रामक रुख अपनाना शामिल है - में तुर्किये का समर्थन प्रत्यक्ष मिलीभगत कहा जा सकता है। स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक अश्विनी महाजन ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि तुर्किये ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए क्रूर आतंकी हमले की निंदा तक नहीं की, जिसमें 26 लोग मारे गए।
"धर्म के आगे तुर्किये भूल गया भारत का मानवीय समर्थन"
अश्विनी महाजन ने कहा कि ऐसा लगता है कि तुर्किये संकट के समय में उसको भारत की उदार और समय पर की गई मानवीय सहायता को भूल गया है। भारत न केवल एक व्यापारिक साझेदार के रूप में बल्कि वसुधैव कुटुम्बकम का पालन करने वाली एक जिम्मेदार वैश्विक शक्ति के रूप में तुर्किये के साथ खड़ा रहा है।
फरवरी 2023 में आए विनाशकारी भूकंप के दौरान, भारत उन पहले देशों में से एक था जिसने आपरेशन दोस्त शुरू किया, जिसमें राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), सेना की मेडिकल टीमें, फील्ड अस्पताल और मेडिकल सप्लाई, जनरेटर, टेंट और कंबल सहित 100 टन से अधिक राहत सामग्री भेजी गई। भारत के राजनयिक मिशन और नागरिक समाज ने तुर्किये के लोगों के साथ समर्थन और एकजुटता बढ़ाने के लिए प्रयास किया।
तुर्किये के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन।
जी20 और यूएन जैसे बहुपक्षीय मंचों पर, भारत ने ऊर्जा सुरक्षा और आतंकवाद-रोधी वार्ता सहित व्यापक पश्चिम एशियाई पड़ोस के हिस्से के रूप में तुर्किये के साथ समावेशी जुड़ाव का लगातार समर्थन किया है। एकजुटता और सद्भावना की इन कोशिशों के बावजूद, उसने ने राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्वपूर्ण मामलों में भारत के विरोधियों का साथ देना चुना है। विश्वासघात को नैतिक स्पष्टता और रणनीतिक दृढ़ता के साथ संबोधित किया जाना चाहिए।
दांव पर लगे आर्थिक और रणनीतिक निहितार्थ
भारत तुर्किये के पर्यटन राजस्व में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। 2024-25 में, लगभग 4 लाख भारतीय पर्यटक तुर्किये गए। तुर्किये एयरलाइंस और भारतीय वाहकों द्वारा संचालित प्रमुख भारतीय शहरों और इस्तांबुल के बीच दर्जनों साप्ताहिक सीधी उड़ानें संचालित होती हैं।
स्वदेशी जागरण मंच ने की पांच सूत्रीय मांग
- तुर्किये पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाए: तुर्किये से गैर-आवश्यक आयातों को प्रतिबंधित करें और संगमरमर, रसायन और मशीनरी जैसी प्रमुख तुर्किये वस्तुओं पर उच्च शुल्क लगाएं।
- नागरिक उड्डयन लिंक निलंबित करें: तुर्किये के लिए सीधी उड़ानों को अस्थायी रूप से निलंबित करें और विमानन कोडशेयर विशेषाधिकारों को रद्द करें जब तक कि तुर्किये पाकिस्तान को रक्षा आपूर्ति बंद नहीं कर देता।
- आउटबाउंड पर्यटन को हतोत्साहित करें: भारतीय नागरिकों को तुर्किये की यात्रा न करने की सलाह जारी करें; पर्यटन संवर्धन सहयोग वापस लें।
- राजनयिक संबंधों का पुनर्मूल्यांकन करें: तुर्किये के साथ राजनयिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के स्तर को कम करें, और सभी द्विपक्षीय समझौतों का पुनर्मूल्यांकन करें।
- घरेलू विकल्पों को बढ़ावा दें: भारतीय व्यवसायों और उपभोक्ताओं से तुर्किये के सामानों के लिए भारतीय विकल्पों को अपनाने का आग्रह करें, और इस्तांबुल, अंताल्या और कप्पाडोसिया के स्थान पर घरेलू गंतव्यों को बढ़ावा दें।
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