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    भाषा विवाद पर RSS ने कह दी बड़ी बात, प्रांत प्रचारक बोले- नक्‍सलवाद पर एक्‍शन से ही होगी शांति

    Updated: Tue, 08 Jul 2025 11:58 AM (IST)

    महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में भाषा को लेकर विवाद चल रहा है। RSS ने कहा है कि उसकी नजर में सभी भाषाएँ राष्ट्रीय भाषाएँ हैं। संघ ने नई शिक्षा नीति के भाषा फार्मूले का विरोध करने वाले राज्यों की आलोचना की। संघ शताब्दी वर्ष में एक लाख से अधिक स्थानों पर हिंदू सम्मेलन आयोजित करेगा और सामाजिक सद्भाव बैठकों का आयोजन भी करेगा।

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    संशोधित: भाषा विवाद पर संघ ने कहा, सभी भाषा राष्ट्रीय

    नेमिष हेमंत, जागरण। महाराष्ट्र समेत विभिन्न राज्यों में भाषा को लेकर मचे घमासान के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कहा कि उसकी नजर में सभी भाषा, राष्ट्रीय भाषा है। संघ का यह स्पष्ट रुख ऐसे वक्त में है जब तमिलनाडु के बाद अब महाराष्ट्र में हिंदी के विरोध में विपक्षी दल महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) व शिवसेना (उद्धव) ने मोर्चा खोला है।

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    'प्राथमिक शिक्षा अपनी भाषा में लें'

    संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि संघ की बहुत पहले से यह भूमिका है कि देश की सारी भाषा राष्ट्रीय भाषा है। और अपनी-अपनी जगहों पर अपनी भाषा में बात करनी चाहिए। प्राथमिक शिक्षा, उसी में लेनी चाहिए। यह बात पहले से स्थापित है।

    क्‍या है भाषा विवाद?

    यह विवाद नई शिक्षा नीति (एनईपी) में त्रिसूत्रीय भाषा फार्मूले से आरंभ हुआ है, जिसमें स्थानीय मातृ भाषा के साथ ही एक देश तथा एक विदेश की भाषा को पाठ्यक्रम में अनिवार्य किया गया है। इसका अधिकतर गैर राजग राज्य सरकारें विरोध कर रही हैं। इसे राजनीतिक मुद्दा बनाया जा रहा है। इस क्रम में महाराष्ट्र में हिंदी भाषियों पर हमले भी शुरू हो गए हैं।

    प्रतिबंध लगाने की धमकी पर इतिहास दिलाया याद

    अपने शताब्दी वर्ष में भी प्रतिबंध की धमकी का सामना कर रहे संघ ने पलटवार कर अपने राजनीतिक आलोचकों को इतिहास का आईना दिखाया है। सुनील आंबेकर ने कहा कि संघ पर पहले भी प्रतिबंध लगाया गया था।

    मगर कभी कोर्ट, कभी कानून व्यवस्था और कभी आंदोलन के कारण उसे वापस लेना पड़ा था। यह प्रतिबंध कानूनी रूप से वैध नहीं थे।

    आगे उन्हाेंने केरल में वामपंथी सरकार के मंत्रियों द्वारा भारत माता को संघ से जोड़ने पर इतिहास पढ़ने की नसीहत देते हुए कहा कि भारत माता की कल्पना संघ से प्रारंभ नहीं हुई है, बल्कि अपनी परंपरा में हम सभी भारत को एक माता के रूप में देखते आए हैं।

    शताब्दी वर्ष में क्‍या करेगा आरएसएस?

    शताब्दी वर्ष में देशभर में एक लाख तीन हजार 19 स्थानों पर हिंदू सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। यह निर्णय संघ कार्यालय केशव कुंज में हुई अखिल भारतीय प्रांत प्रचारकों की तीन दिवसीय बैठक में लिया गया है।

    सुनील आंबेकर ने बताया कि ये हिंदू सम्मेलन मंडल व शहर की बस्तियों में होंगे। इनके आयोजन में समाज का हर वर्ग सहभागी होगा। संघ रचना के अनुसार, पूरे देश में 58,964 मंडल और 44,055 बस्तियां हैं।

    इसी तरह, खंड और नगर स्तर पर कुल 11,360 सामाजिक सद्भाव बैठक और संगठनात्मक रूप से 924 जिलों में विभिन्न संस्थाओं, पेशे व विषय आधारित गोष्ठियों का आयोजन भी है। इसका उद्देश्य राष्ट्र के विभिन्न मुद्दों पर समग्र दृष्टि तैयार करना है।

    आंबेकर ने बताया कि गृह संपर्क अभियान में अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचा जाएगा। पूर्व में वर्ष 2000 में संघ के 75 वर्ष पूरे होने पर भी गृह संपर्क अभियान चला था।

    प्रांत प्रचारकों की बैठक : नक्सलवाद के खात्मे की प्रगति पर संतुष्टि

    उधर, प्रांत प्रचारकों की बैठक में मणिपुर में शांति तथा प्रभावित राज्यों में नक्सलवाद के खात्मे की प्रगति पर संतुष्टि व्यक्त की गई। संबंधित राज्यों के प्रांत प्रचारकों ने इससे संबंधित जानकारी बैठक में साझा की थी।

    आंबेकर ने कहा कि जब किसी स्थान पर परिस्थितियां बिगड़ती है तो जल्द ठीक नहीं होती, लेकिन एक वर्ष में देखें तो मणिपुर में शांति आने लगी है, धीरे-धीरे वहां शांति आने लगी है। मैतेयी व कुकी में दोनों तरफ से संवाद हो रहा है। इस दिशा में संघ के स्वयंसेवक संवाद से समाधान की दिशा में काम कर रहे हैं।