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आजाद हिंद फौज के गठन में RSS का था अहम योगदान, देश के सामने आएगा संघ का सही पक्ष

स्वतंत्रता बाद सत्तारूढ़ दल ने आजादी के आंदोलन को अपने तरीके से तोड़-मरोड़ कर लिखा, जिसमें संघ और बाकी संगठनों व लोगों को भुला दिया गया।

By Amit MishraEdited By: Published: Tue, 05 Jun 2018 10:20 PM (IST)Updated: Wed, 06 Jun 2018 07:21 AM (IST)
आजाद हिंद फौज के गठन में RSS का था अहम योगदान, देश के सामने आएगा संघ का सही पक्ष
आजाद हिंद फौज के गठन में RSS का था अहम योगदान, देश के सामने आएगा संघ का सही पक्ष

नई दिल्ली [जेएनएन]। स्वतंत्रता आंदोलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भूमिका को नकारने वाले कथित तर्कों के बीच 'युग प्रवर्तक स्वतंत्रता सेनानी डॉ. हेडगेवार का अंतिम लक्ष्य भारतवर्ष की सर्वांग स्वतंत्रता' पुस्तक में दावा किया गया है कि आजाद हिंद फौज के गठन और उसके संचालन में संघ की महत्वपूर्ण भूमिका थी।

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20 से अधिक संगठनों में सक्रिय थे स्वयंसेवक

पुस्तक में यह दावा भी किया गया है कि स्वयंसेवक आजादी के आंदोलन में सक्रिय उस समय के अनुशीलन समिति, हिंदुस्तान समाजवादी प्रजातांत्रिक सेना, बब्बर खालसा, गदर पार्टी, कांग्रेस पार्टी व अभिनव भारत जैसे 20 से अधिक संगठनों में सीधे सक्रिय होकर आजादी के लक्ष्य को परिणति तक पहुंचा रहे थे। इस पुस्तक के लेखक नरेंद्र सहगल हैं।

आजाद हिंद फौज में भेजे गए हजारों स्वयंसेवक

पुस्तक के मुताबिक तब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशवराम बलिराम हेडगेवार, वीर सावरकर और सुभाष चंद्र बोस में देश की स्वतंत्रता के लिए सशस्त्र आंदोलन को लेकर सहमति बनी और संघ के तीन प्रचारक व हजारों स्वयंसेवक आजाद हिंद फौज में भेजे गए थे।

बलिदान का स्वर्णिम अध्याय

पुस्तक के मुताबिक सत्याग्रह व भारत छोड़ो आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लेने वाले स्वयंसेवक सेनानियों ने आजादी के बाद भी आंदोलन को गतिशील बनाए रखा और जम्मू-कश्मीर, हैदराबाद, गोवा समेत अन्य रियासतों के भारत में विलय में उनके बलिदान का स्वर्णिम अध्याय है। वर्धा में 13000 स्वयंसेवकों के साथ डॉ. हेडगेवार ने खुद असहयोग आंदोलन का नेतृत्व किया, जिसके कारण उन्हें जेल हुई। 1975 में आपातकाल और राममंदिर आंदोलन में भी स्वयंसेवकों ने यातनाएं सहीं।

नाम लिए बगैर काम करने का संदेश

आजादी के आंदोलन में संघ का योगदान खुलकर सामने न आने के सवाल पर लेखक नरेंद्र सहगल ने बताया कि हेडगेवार ने संघ का नाम लिए बगैर स्वयंसेवकों को काम करने का संदेश दिया था। इस कारण दूसरी संस्थाओं के माध्यम से आंदोलन को आगे बढ़ाया गया।

संघ और बाकी संगठनों को भुला दिया गया

डॉ. हेडगेवार की ही नीति के कारण स्वयंसेवकों ने कांग्रेस पार्टी के नेताओं की तरह जेलों में पुस्तकें लिखने या दस्तावेजी संकलन की जगह देश की चिंता की। स्वतंत्रता बाद सत्तारूढ़ दल ने आजादी के आंदोलन को अपने तरीके से तोड़-मरोड़ कर लिखा, जिसमें संघ और बाकी संगठनों व लोगों को भुला दिया गया।

देश के सामने लाएंगे संघ का सही पक्ष

पुस्तक में संघ का पक्ष रखते हुए कहा गया है कि संघ के सर्वांग स्वतंत्रता का लक्ष्य अभी जारी है। उन्होंने बताया कि संघ का सही पक्ष देशवासियों के सामने लाने के लिए इस तरह की और पुस्तकें उनके द्वारा लिखी जाएंगी। 

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