जनजाति समाज और पंजाब में सिखों के मतांतरण पर RSS चिंतित, संघ के प्रयासों को बढ़ाने पर दिया जोर
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने झारखंड छत्तीसगढ़ और पंजाब में जनजाति समाज और सिखों के मतांतरण के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त की है। दिल्ली में प्रांत प्रचारकों की बैठक में यह मुद्दा उठा। मणिपुर हिंसा पर भी चर्चा हुई। संघ शताब्दी वर्ष में सामाजिक समरसता और स्वदेशी जैसे पंच परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। जनजाति समाज में मतांतरण रोकने के प्रयासों पर जोर दिया गया।
नेमिष हेमंत, नई दिल्ली: झारखंड व छत्तीसगढ़ समेत देश के अन्य राज्यों के जनजाति समाज के साथ ही पंजाब में सिखों के मतांतरण के बढ़ते मामलों ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की चिंता बढ़ा दी है।
दिल्ली स्थित संघ कार्यालय केशवकुंज में प्रांत प्रचारकों की अखिल भारतीय बैठक के दूसरे दिन यह मामला प्रमुखता से उठा। इसी तरह, मणिपुर में जारी हिंसा के बीच ''संवाद के जरिये समाधान'' के हो रहे प्रयासों पर भी रिपोर्ट रखी गई।
यह बैठक रविवार तक चलेगी। जिसमें, संघ के शताब्दी वर्ष के आयोजनों तथा समाज के लिए तय पंच परिवर्तन-सामाजिक समरसता, स्वदेशी, नागरिक कर्तव्य, पर्यावरण और कुटुंब प्रबोधन को जन- जन तक पहुंचाने पर मंथन जारी है।
32 वैचारिक संगठनों के मंत्री रहे मौजूद
बैठक को सरसंघचालक मोहन भागवत व सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले का मार्गदर्शन मिल रहा है। जबकि, सभी सहसरकार्यवाह और प्रांत प्रचारक तथा 32 वैचारिक संगठनों के अखिल भारतीय संगठन मंत्री भी मौजूद हैं। इसमें, राष्ट्र सेविका समिति, भाजपा, विद्यार्थी परिषद, विहिप समेत अन्य संगठन के प्रतिनिधि हैं।
संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के अनुसार, जिस तरह से जनजाति समाज में प्रलोभन, लालच व डर दिखाकर उनका मतांतरण किया जा रहा है। वह काफी चिंताजनक है।
जनजाति समाज में भारतीय संस्कृति की जड़े हैं। जिन्होंने देश की परंपरा को बचाए रखा है। उनका मतांतरण गंभीर है। इसी तरह, पंजाब में सिखों का ईसाईकरण बढ़ रहा है।
पंजाब में ईसाई समाज 15 प्रतिशत से ऊपर पहुंचा
कुछ ही वर्षों में पंजाब में 1.5 प्रतिशत आबादी वाला ईसाई समाज वर्तमान में 15 प्रतिशत से भी ऊपर पहुंच गया है। देश के अन्य कई स्थानों पर धोखे से नाम छुपाकर विवाह कर मतांतरण के मामले भविष्य में गंभीर संकट पैदा करने वाले हैं।
बैठक में जनजाति समाज में मतांतरण को रोकने लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों पर तो चर्चा हुई साथ ही समाज के साथ मिलकर संघ के प्रयासों को साझा किया गया, जिसे और बढ़ाने पर जोर है।
हाल ही में सरसंघचालक मोहन भागवत ने नागपुर में आयोजित संघ कार्यकर्ता विकास वर्ग-2 के समापन अवसर पर भी इस मुद्दे को प्रमुखता उठाया था तथा यथा संभव सहयोग व जुड़े लोगों को इस काम में तेजी लाने का आह्वान किया था।
मणिपुर में शांति के लिए मैतई व कूकी समाज में सद्भाव बढ़ाने की दिशा में संघ ने काफी प्रयास किए हैं, जो जारी है। उसपर विमर्श के साथ प्रयासों को आगे ले जाने पर बैठक में बल दिया गया है।
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