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    दिल्ली एनसीआर के बाजारों में इमरजेंसी जैसे हालात, रोजमर्रा के काम भी प्रभावित

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Wed, 09 Nov 2016 06:48 PM (IST)

    500-1000 के नोट के मध्यरात्रि से चलन से बाहर करने के एलान के बाद आज सुबह से ही इसका असर देखने को मिल रहा है। ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली (जेएनएन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 500-1000 के नोट के मध्यरात्रि से चलन से बाहर करने के एलान के बाद आज सुबह से ही इसका असर देखने को मिल रहा है। पेट्रोल पंप और सीएनजी स्टेशनों पर भी खुले पैसों की दिक्कत आ रही है तो लोगों को ऑटो-बस का किराया जुटान में भी पसीने छूट रहे हैं।

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    लोग आज सुबह अंडा, ब्रेड व दूध जैसे रोजमर्रा के सामान लेने के लिए निकलने से खुले पैसे नहीं होने से बहुत परेशानी पेश आई।

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    पहले ही कहा जा रहा था कि बुधवार से दिल्ली के बाजारों में इमरजेंसी जैसे हालात होंगे। लेन देन में काफी मुश्किलें आएगी।

    इसके कारण थोक बाजारों के साथ खुदरा बाजार भी धड़ाम हो सकते हैं। मांग में कमी से इसका अच्छा असर महंगाई की दरों में कमी के रूप में दिखाई दे सकता है।

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    कारोबारियों के मुताबिक. कुछ दिनों के लिए चांदनी चौक, खारी बावली, नया बाजार, सदर बाजार, कश्मीरी गेट समेत दिल्ली के अन्य थोक बाजारों का कारोबारी स्वरूप बदल सकता है।

    हर वक्त हजारों की भीड़ वाले इन बाजारों में खरीदारों की संख्या में बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है, जिसके कारण कारोबार बुरी तरह प्रभावित होगा। इसके साथ खुदरा बाजार भी पस्त हो जाएगा, क्योंकि खुदरा दुकानदार प्रतिदिन के हिसाब से सामान खरीदते हैं। उनके पास सामान नहीं होंगे।

    साथ ही वह खरीदारी नहीं कर सकेंगे। वैसे, फैसला आने के बाद से ही इसका असर देखने को मिला। जब दुकानदारों ने 500 और 1000 का नोट लेने से मना कर दिया। इसके कारण दुकानदारों और खरीदारों में झड़प की स्थिति बनी रहीं।

    कारोबारियों के मुताबिक माहौल ठीक होने में कम से कम एक माह का समय लग सकता है। दिल्ली के थोक बाजारों से पूरे उत्तर भारत को सामान जाता है। ऐसे में करोड़ों रुपये के राजस्व का चपत लगने का भी अनुमान है। कारोबारियों के मुताबिक बाजार में अधिक लेन देन नगद और बिना रसीद के होता है।

    ऐसे में दुकानदार अगर वह पैसा बैंक में अदला बदली के जाए तो उसको व्हाइट मनी दिखाएंगे कैसे। कई कारोबारियों के पास कई करोड़ रुपये अटके हैं।

    बता दें कि थोक से लेकर फुटकर खरीदारी में बाजार में आम प्रचलन में 500 और 1000 का नोट ही प्रचलन में है। ऐसे में कैसे होगी खरीदारी और बिक्री यह दुकानदारों के साथ ही खरीदारों के सामने भी बड़ा सवाल है।

    सरकार के इस फैसले से भारत की अर्थव्यवस्था पूरी तरह ठप हो जाएगी। सबसे बड़ा सवाल कि दुकानदारों के साथ ही खरीदारों के पास भी 500 या 1000 का नोट है। ऐसे में लेन-देन कैसे होगा।

    सरकार ने विकल्प तो दिया है, लेकिन लोगों को इसमें परेशानी न आए इसका ध्यान रखना होगा। सरकार को यह फैसला लागू करने के लिए कुछ दिनों की मोहलत देनी चाहिए थी। काला धन पर रोक के अन्य रास्ते भी हो सकते थे।