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    Delhi Riots Case: कपिल मिश्रा को बड़ा झटका, कोर्ट ने दिया FIR दर्ज करने का आदेश

    Updated: Tue, 01 Apr 2025 02:56 PM (IST)

    दिल्ली दंगे 2020 में कथित भूमिका को लेकर दिल्ली के कानून मंत्री व भाजपा नेता Kapil Mishra की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। ताजा मामले में मंगलवार (1 अप्रैल) को राउज एवेन्यू कोर्ट ने कपिल मिश्रा के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि पुलिस की ओर से दिए गए तथ्य के अनुसार कपिल मिश्रा को इलाके में देखा गया था। आगे की जांच होनी चाहिए।

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    दिल्ली सरकार में कानून मंत्री हैं कपिल मिश्रा। फाइल फोटो सौ.- जागरण ग्राफिक्स

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली दंगे से जुड़े एक मामले में राउज एवेन्यू की विशेष अदालत ने दिल्ली सरकार के मंत्री कपिल मिश्रा व अन्य के विरुद्ध प्राथमिकी करने का आदेश दिया है। हालांकि, मामले में प्राथमिकी की मांग को लेकर दाखिल वाद में आरोपों का दिल्ली पुलिस ने पुरजोर विरोध करते हुए अदालत में हलफनामा दिया था कि दंगों में मिश्रा की कोई भूमिका नहीं थी। उनपर दोष मढ़ने के लिए एक साजिश रची जा रही थी।

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    पुलिस ने कहा था- दंगे में नहीं है मिश्रा की कोई भूमिका

    पुलिस के अनुसार, दंगों के पीछे की बड़ी साजिश में मिश्रा की भूमिका की पहले ही जांच की जा चुकी है, जिसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला। अदालत में मोहम्मद इलियास द्वारा दाखिल वाद में मंगलवार को अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया ने कहा कि मामले में कपिल मिश्रा के खिलाफ संज्ञेय अपराध पाया गया है और इसमें आगे की जांच करने की जरूरत है।

    हलफनामे में पुलिस ने तर्क दिया था कि दिल्ली विरोध समर्थन समूह की चैट से पता चलता है कि चक्का जाम की योजना 15 और 17 फरवरी 2020 को पहले से ही बनाई गई थी। साथ ही वाट्सएप मैसेज के जरिये यह अफवाह फैलाई जा रही थी कि कपिल मिश्रा के नेतृत्व वाली भीड़ ने उस समय हिंसा शुरू की थी।

    विरोध स्थल वाली जगह पर मौजूद थे मिश्रा

    अदालत ने पुलिस के दावे को ठुकराते हुए कहा कि रिकॉर्ड पर पेश तथ्यों से लेकर कपिल मिश्रा ने स्वयं स्वीकार किया है कि वह 23 फरवरी 2020 को न सिर्फ वह उत्तर पूर्वी दिल्ली जिले में मौजूद थे, बल्कि उनके आसपास लोग जमा थे और वे उन्हें जानते भी थे।

    मिश्रा ने यह भी स्वीकार किया था कि वह विरोध स्थल को खाली कराने के लिए वहां गए थे। यह आरोप है कि इस दौरान वहां पर गाड़ियां तोड़ी गई थीं। मिश्रा का बयान सीएए के समर्थन या विरोध में न होकर मुसलमानों की तरफ इंगित करते हुए था। अदालत ने यह भी कहा कि पूछताछ के दौरान शुरुआत में मिश्रा ने टालमटोल वाले जवाब दिए थे।

    इलियास ने कपिल मिश्रा के साथ ही दयालपुर के तत्कालीन एसएचओ, भाजपा विधायक मोहन सिंह बिष्ट, पूर्व भाजपा विधायक जगदीश प्रधान और सतपाल सहित पांच अन्य के खिलाफ प्राथमिकी की मांग की थी। आरोप लगाया गया था कि 23 फरवरी 2020 को उन्होंने मिश्रा और उनके साथियों को सड़क जाम करते और रेहड़ी-पटरी वालों की गाड़ियों को नष्ट करते देखा था।

    उन्होंने यह भी दावा किया था कि तत्कालीन पुलिस उपायुक्त (उत्तर-पूर्व) और अन्य पुलिसकर्मी मिश्रा के बगल में खड़े होकर प्रदर्शनकारियों को क्षेत्र खाली करने या परिणाम भुगतने की चेतावनी दे रहे थे।

    दंगों के तत्कालिक कारण न बता पाने पर पुलिस पर सवाल

    अदालत ने 1857 की क्रांति का जिक्र करते हुए कहा कि स्पष्ट था कि गाय की चर्बी से भरे कारतूस होने के कारण विद्रोह हुआ था, जबकि अभियोजन पक्ष की रिपोर्ट से दिल्ली दंगों का तात्कालिक कारण गायब है। अदालत ने नोट किया कि दंगे से एक दिन पहले कपिल मिश्रा उत्तर-पूर्वी जिले में थे और उन्होंने डीसीपी वेद प्रकाश सूर्या से बातचीत करते हुए अल्टीमेटम भी दिया था।

    ऐसे में डीसीपी से व्यक्तिगत पूछताछ जरूरी है, क्योंकि घटनाओं की श्रृंखला से पता चलता है कि अगर शिकायतकर्ता के आरोप सही पाए जाते हैं, तो डीसीपी को कुछ ऐसा पता है जो अदालत को नहीं पता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर शिकायतकर्ता की सूचना सही नहीं पाई जाए तो शिकायतकर्ता के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए पुलिस स्वतंत्र होगी।

    कांग्रेस ने मांगा इस्तीफा

    अदालत के आदेश के बाद दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कपिल मिश्रा से इस्तीफा मांगा है। उन्होंने कहा भाजपा और कपिल मिश्रा में जरा सी भी नैतिकता बची है तो कपिल मिश्रा को मंत्रीपद से तुरंत प्रभाव से इस्तीफा देना चाहिए, ताकि निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच सुनिश्चित हो सके।