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    दिल्ली से खदेड़े जाएंगे सुरक्षा के लिए नासूर बने घुसपैठिये, इन जगहों पर है रोहिंग्या और बांग्लादेशियों का ठिकाना

    Updated: Wed, 11 Dec 2024 07:40 AM (IST)

    दिल्ली में रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों की बढ़ती आबादी सुरक्षा के लिए खतरा बन गई है। इनकी वजह से कुछ इलाकों की जनसांख्यिकी में तेजी से बदलाव आया है। इन घुसपैठियों को चिह्नित कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जरूरत है। इसी क्रम में दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना में दो महीने अभियान चलाकर घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें खदेड़ने का निर्देश दिया है।

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    केशव पुरम, वजीरपुर, आजादपुर की रेलवे पटरी किनारे बस रहे है घुसपैठिए बांग्लादेशी। फोटो- जागरण आर्काइव

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली में रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों की आबादी दो दशक में इतनी तेजी से बढ़ी है कि ये सुरक्षा के साथ ही समाज के लिए बड़ा खतरा हो गए हैं। इससे दिल्ली के कुछ क्षेत्रों की जनसांख्यिकी में तेजी से बदलाव आया है। दिल्ली में यदि उन्हें चिह्नित कर धरपकड़ कर उनके देश वापस भेजा जाए, तो यमुना खादर क्षेत्र का बड़ा हिस्सा खाली हो जाए।

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    झुग्गी बस्ती काफी कम हो जाएंगी और अपराध के ग्राफ में गिरावट आएगी, लेकिन राजनीतिक शह व शरण से दिल्ली समेत देश के भविष्य को दांव पर लगाया जा रहा है। 2003 में तत्कालीन पुलिस आयुक्त अजय राज शर्मा ने हर जिले में एक-एक बांग्लादेशी सेल का गठन करवाया था। बांग्लादेशी सेल उन दिनों खूब सक्रिय था।

    जहांगीरपुरी में हुई हिंसा में मिली थी घुसपैठियों की संलिप्तता

    2003 में बांग्लादेशी सेल द्वारा 50 हजार घुसपैठियों को पकड़ा गया था, लेकिन विगत कुछ वर्षों से यह सेल भी बंद है, जिससे दिल्ली में घुसपैठियों की संख्या और अपराध में उनकी संलिप्ता बढ़ती चली गई। यहीं नहीं, ये दिल्ली के साथ देश को सांप्रदायिक आधार पर अस्थिर करने के स्तर तक चले गए कि 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा तथा 2022 में जहांगीरपुरी में हुई हिंसा में भी घुसपैठियों की संलिप्तता मिली थी।

    कालिंदी कुंज स्थित इसी जगह पर रह रहे है बांग्लादेशी। फोटो- जागरण आर्काइव

    इन जगहों पर है रोहिंग्या और बांग्लादेशियों का ठिकाना

    पुलिस सूत्रों की मानें तो यमुना बाजार लोहे के पुल के आसपास बसी झुग्गी बस्तियों, बवाना, जहांगीरपुरी, सीमापुरी, अली गांव, दया बस्ती, सराय रोहिल्ला, यमुना पुस्ता, शशि गार्डन, सोनिया कैंप, संजय बस्ती, सोनिया विहार, खजुरी खास, शकरपुर, केशवपुरम, सीमापुरी रेलवे लाइन, विकासपुरी, नजफगढ़, भलस्वा डेयरी जेजे कालोनी, प्रेम नगर, केशव पुरम, कालिंदी कुंज के श्रम विहार आदि इलाकों में रोहिंग्या व बांग्लादेशी घुसपैठिये बड़ी संख्या में रहते हैं।

    कुछ ही दिनों में बन जाते हैं आधार कार्ड से लेकर राशन कार्ड तक

    बांग्लादेशी व रोहिग्याओं को पकड़ना आसान नहीं है। यूनाइटेड हिंदू फ्रंट के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जयभगवान गोयल के अनुसार, वोट बैंक की आड़ में राजनीतिज्ञों द्वारा पूरा सिस्टम उनकी सेवा में लगा दिया जाता है। ऐसे में फटाफट आधार कार्ड व राशन कार्ड तक बन जाते हैं। उनके अनुसार, सबसे पहले यहां पर बंगाल में बनवाए गए फर्जी दस्तावेज की मदद से राशन कार्ड, आधार कार्ड में पता, पहचान पत्र आदि बनवा लेते हैं।

    राजधानी की गलियों में गुम हैं सैकड़ों शरणार्थी

    सिर्फ घुसपैठिये ही नहीं बल्कि शरणार्थी के तौर पर रहने आए रोहिंग्या शरणार्थी भी गुम हो चुके हैं, जिन्हें दिल्ली पुलिस नहीं तलाश पा रही है। खजूरी खास के श्रीराम कालोनी व राजीव नगर में कुल 300 रोहिंग्या शरणार्थी रहते थे। उसमें से 169 ही बचे हैं। बाकी का पता नहीं है।

    दिल्ली से खदेड़े जाने पर एनसीआर को बना सकते हैं ठिकाना

    एनसीआर के शहरों में बांग्लादेशी घुसपैठियों की गहरी जड़ों के साक्ष्य तमाम सामने आ चुके हैं। आलम यह है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों ने यहां पर अपनी बहन-बेटियों की शादी कर स्थायी ठिकाना तक बना लिया है। वह अन्य बांग्लादेशियों को लाकर पनाह दे रहे हैं। अब दिल्ली से बांग्लादेशी घुसपैठिये खदेड़े जाएंगे, तो वह एनसीआर को अपना ठिकाना बना सकते हैं।

    उनकी घुसपैठ रोकना स्थानीय पुलिस-प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती साबित होगी। लोनी के ऋषि मार्केट से अगस्त 2017 में म्यांमार का अबू ताहिर व आयूब गिरफ्तार हुआ था। अबू ताहिर 15 साल पहले हाजीपुर बेहटा में अवैध रूप से रहता था। उसने ऋषि मार्केट के साधो से अपनी बहन मनीषा की शादी कर दी थी। रिश्तेदारी हो जाने पर वह आयूब को अवैध तरीके से यहां लेकर आया।

    बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्या को चिह्नित कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। उनकी मूवमेंट पर नजर रखकर ऐसा किया जा सकता है। - डॉ.विक्रम सिंह, पूर्व पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश

    बनवा रखे हैं फर्जी दस्तावेज

    एनसीआर के शहरों में बांग्लादेशी घुसपैठियों को फर्जी दस्तावेज बनाने वाले गिरोह भी सक्रिय हैं। गिरोह आठ से 20 हजार रुपये में उन्हें आधार, वोटर आइडी, पैन कार्ड बनाकर देता है। बांग्लादेशी घुसपैठिये इससे बैंक खाता आदि खोलकर अन्य प्रमाणपत्र बनवा लेते हैं।

    जनवरी, 2017 में पुराना बस अड्डा के पास से अलीगढ़ में पांच साल से अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी दंपती नजरूल शेख उर्फ नजरूल अबू शेख व रिया उर्फ वर्षा बेगम के साथ गिरफ्तार इब्राहिम से यह पता चल था। इब्राहिम ने उनसे उक्त दस्तावेज बनवाने के लिए 40 हजार रुपये लिए थे।

    इसके पहले जून 2016 में लोनी के अशोक विहार से गिरफ्तार बांग्लादेशी मोहम्मद आलामीन ने भी 20 हजार रुपये में उक्त दस्तावेज तैयार करवाए थे। लोनी विधायक नंद किशोर गुर्जर घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन तक को पत्र लिख चुके हैं।

    बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर पूरी तरह से सतर्कता बरती जा रही है। मिश्रित आबादी व मलिन बस्तियों में छानबीन भी की जा रही है। लोगों को पहचान पत्र व अन्य पहचान पत्रों की जांच की जा रही है। सत्यापन किया जा रहा है। - हृदेश कठेरिया, एडिशनल डीसीपी, गौतमबुद्ध नगर