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    राजधानी में हिंसा के पीछे रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों का हाथ मगर कार्रवाई के नाम पर सब शून्य, जानें अन्य डिटेल

    By Vinay Kumar TiwariEdited By:
    Updated: Wed, 27 Apr 2022 01:20 PM (IST)

    रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों की धरपकड़ को लेकर देश की राजधानी में ही पुलिस की अनमनयस्कता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बीते दो-तीन सा ...और पढ़ें

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    बांग्लादेशी व रोहिंग्या घुसपैठियों की अधिक आबादी वाले इलाकों में आपराधिक घटनाएं ज्यादा हो रही हैं।

    नई दिल्ली, जागरण टीम। सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने पर आग में घी डालने का काम खूब होता है। राजनीतिक दलों के विरोध के स्वर इतने ऊंचे हो उठते हैं कि मानो ऐसी घटनाओं का अब अंत निश्चित है, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात। कुछ समय बीतता है और सांप्रदायिक सौहा्र्द्र बिगाड़ने वाली घटनाएं फिर होती हैं। आखिर जो घुसपैठिये सुरक्षा और सामाजिक सद्भाव के लिए खतरा बने हुए हैं, उन्हें सिर्फ चुनावी माहौल के एजेंडे तक क्यों सीमित रखा जाता है?

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    पहले शाहीन बाग, उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगा और फिर हनुमान जन्मोत्सव के दिन जहांगीरपुरी में हिंसा। हिंसा की ये घटनाएं क्यों दोहराने दी जाती हैं? राष्ट्रीय राजधानी में इनकी संख्या बढ़ती जा रही हैं। बांग्लादेशी व रोहिंग्या घुसपैठियों की अधिक आबादी वाले इलाकों में आपराधिक घटनाएं ज्यादा हो रही हैं। ऐसे में सवाल यही उठता है कि सरकार की नाक के नीचे और पुलिस व खुफिया एजेंसियों की सक्रियता के बीच इतनी बड़ी संख्या में घुसपैठिये आकर दिल्ली-एनसीआर में कैसे बस गए? इसके लिए कौन जिम्मेदार है? इन्हें यहां बसने से क्यों नहीं रोका गया? अब जो हालात हैं, राजनीतिक प्रश्रय के कारण बड़ी संख्या में इन घुसपैठियों को भारतीय दस्तावेज भी प्राप्त हो गए हैं। ऐसे में इन्हें क्षेत्र से निकाला जाना कितना चुनौतीपूर्ण है और इसके लिए क्या कारगर उपाय होने चाहिए? इस खबर के माध्यम से हम ऐसे ही पहलुओं को छूने की कोशिश करेंगे।

    पुलिस की नींद टूटने का इंतजार

    रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों की धरपकड़ को लेकर देश की राजधानी में ही पुलिस की अनमनयस्कता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बीते दो-तीन साल से कार्रवाई के नाम पर सब शून्य है। दो साल में तीन बार सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने की पुरजोर कोशिशें हुई हैं और इसमें इन्हीं की मिलीभगत पाई गई है। इसके बावजूद कहीं सतर्कता नहीं है। इससे पूर्व वर्ष 2003 से 18 तक जब अभियान चले तो व्यवस्था आंकड़ों में नियंत्रित नजर आती है। पुलिस को अब एक बार फिर स्पेशल सेल बनाकर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र को सुरक्षित माहौल देना ही होगा।

    यहां है बांग्लादेशियों का डेरा

    यमुना बाजार लोहे के पुल के आसपास बसी झुग्गी बस्तियां बवाना, जहांगीरपुरी, सीमापुरी,आली गांव, दया बस्ती, सराय रोहिल्ला, यमुना पुस्ता, शशि गार्डन, सोनिया कैंप, संजय बस्ती, सोनिया विहार, शकरपुर, केशवपुरम समेत कई इलाकों में बहुतायत संख्या में बांग्लादेशी रहते हैं।

    राजधानी में रोहिंग्याओं का बसेरा

    - सीमापुरी रेलवे लाइन

    - विकासपुरी, नजफगढ़

    - जहांगीरपुरी, भलस्वा डेयरी, जेजे कालोनी

    - प्रेम नगर, केशवपुरम, कालिंदी कुंज के श्रम विहार

    वारदातों की डिटेल

    छह मार्च 2021: दिल्ली-एनसीआर में लूटपाट, डकैती की दर्जनों वारदात को अंजाम दे चुके तीन बांग्लादेशी बदमाशों को दबोचा गया

    22 अक्टूबर 2020: राजधानी के कई इलाकों में एटीएम उखाड़कर ले जाने वाले तीन बांग्लादेशी बदमाशों को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पकड़ा

    24 नवंबर 2018: देशभर में गत 18 वर्षों में 100 से अधिक संगीन आपराधिक वारदात को अंजाम दे चुके पांच बांग्लादेशी बदमाशों को क्राइम ब्रांच ने मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया।

    छह अगस्त 2019: जनवरी 2021 में कनार्टक में डकैती के दौरान कनार्टक के गृह मंत्री के रिश्तेदार की गला दबाकर हत्या करने वाले दो बांग्लादेशी बदमाशों को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया

    विश्व हिंदूू परिषद के नेता का बयान

    सिलोखरा, चकरपुर, नाथूपुर, सोहना चौक के आसपास, रेलवे लाइनों के किनारे, सदर बाजार सहित कई इलाकों में काफी संख्या में बांग्लादेशी हैं। पैसे कमाने के चक्कर में देश के ही लोगों ने फर्जी कागजात के आधार पर सभी को आधार कार्ड और वोटर कार्ड बनाकर दे दिए। पुलिस केवल आधार कार्ड और वोटर कार्ड न देखे, बल्कि यह पता करे कि दोनों किस आधार पर बनाए गए। अपने आप पूरी सच्चाई सामने आ जाएगी। फर्जी कागजात के आधार पर आधार कार्ड और वोटर कार्ड बनाने वाले गिरोह का कई बार भंडाफोड़ हो चुका है। उनसे गहराई से पूछताछ की जानी चाहिए।

    अजीत सिंह, जिलाध्यक्ष,विश्व हिंदूू परिषद, गुरुग्राम

    एनसीआर में इनके ठिकाने

    - गाजियाबाद के लोनी में सबसे बड़ी ठौर।

    - लोनी : प्रेम नगर, मुस्तफाबाद, टोली मोहल्ला, अशोक विहार, इकराम नगर व दरी फैक्ट्री समेत अन्य मोहल्लों में इनके रहने का अनुमान।

    - शहर: अर्थला, मसूरी, डासना, गोविंदपुरम, शहीदनगर, कैला भट्ठा, खोड़ा कालोनी भी ठिकाना।

    - पांच साल में : 9 बांग्लादेशी, रोहिंग्या गिरफ्तार।

    - पूर्व में लोनी विधायक ने उठाया था मुद्दा : पूर्व में लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने इस संबंध में मुद्दा उठाया था। पुलिस इसमें उदासीन रवैया अपनाती है, कार्रवाई नहीं करती। इसका भी आरोप लगाया था।

    - फरीदाबाद : घुसपैठियों की आबादी 100 के आसपास ही है, फिर भी पुलिस ने पांच साल में इनकी धरपकड़ के लिए अभियान नहीं चलाया।

    - मुजैड़ी गांव के आसपास हैं रोहिंग्या मुस्लिमों के 45 परिवार।

    - 2021:15 से अधिक बांग्लादेशी घुसपैठिये गांजा तस्करी या चोरी में पकड़े गए हैं। किसी अन्य अपराध में इनकी संलिप्तता नहीं मिली है।