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    आइए जानें, उन तीन स्किल्स के बारे में, जो व्यक्ति में लीडरशिप के गुणों को विकसित करने में हैं मददगार

    बड़ा बिजनेस के सीईओ एवं मोटिवेशनल स्‍पीकर डा. विवेक बिंद्रा ने बताया कि ‘अच्छा लीडर वह नहीं होता जो अपने दबाव से काम कराए बल्कि वह होता है जो अपने प्रभाव और व्यवहार से काम कराए।‘ सही मायने में यह लीडरशिप की सर्वोत्तम व्याख्या है।

    By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Sat, 07 Aug 2021 08:54 AM (IST)
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    लीडरशिप के गुणों को विकसित करने में मददगार...

    नई दिल्‍ली, जेएननएन। एक सफल लीडर अपनी टीम के लिए प्रिय होता है। वह न केवल सहयोगियों की मन:स्थिति को समझते हुए उनकी हर परेशानी का समाधान सुझाता है, बल्कि बड़ी आसानी से उनसे बेहतर प्रदर्शन भी करा लेता है। आइए जानें, कैसे बढ़ें प्रभावी नेतृत्वकर्ता बनने की राह पर... लीडरशिप की क्वालिटी किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व में निखार लाती है। एक अच्‍छा लीडर अपनी टीम, एम्पलायी और अपने लोगों का हमेशा प्रिय होता है, क्योंकि वह अपने लोगों की मन:स्थिति को समझते हुए उनकी हर परेशानी का सही समाधान भी निकालता है।

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    अच्छी लीडरशिप के गुणों वाला लीडर व्यवसायिक तौर उन्नति करता है और युवाओं के लिए एक मिसाल भी कायम करता है। लेकिन कोई भी युवा, एम्पलायी या सामान्य व्यक्ति लीडरशिप के उन बेहतरीन गुणों को अपने अंदर विकसित कैसे कर सकता है? आइए जानें, उन तीन लीडरशिप स्किल्स के बारे में, जो किसी भी व्यक्ति में लीडरशिप के गुणों को विकसित करने में मददगार हो सकते हैं…

    1. कम्‍युनिकेशन के महत्‍वपूर्ण गुण: साहस और विचारों के बीच कम्‍युनिकेशन सबसे ज्यादा अहम भूमिका निभाता है। लेकिन यह तभी सफल हो पाता है, जब उसे अपनाने वाला व्यक्ति कम्‍युनिकेशन के सभी गुणों को भली प्रकार से समझता हो यानी हमें कभी-कभी सामने वाले व्यक्ति की कुछ अनकही बातों को भी सुनना और समझना पड़ता है। ऐसे में प्रभावी कम्‍युनिकेटर या वक्‍ता वही होगा, जो धैर्य से पूरा वर्णन सुनेगा और फिर विस्तार से सभी जिज्ञासाओं को दूर करेगा। वार्तालाप के बीच में किसी भी तरह की बाधा उत्पन्न नहीं करेगा। दरअसल, जब दो व्यक्ति एक साथ बोलते हैं, तो इससे कम्‍युनिकेशन में समस्या होती है। लेकिन जब एक व्यक्ति सुनता है और दूसरा बोलता है, तो बड़ी आसानी से किसी भी परेशानी के समाधान को तलाश लिया जाता है और सभी सवालों के जवाब भी पा लिये जाते हैं। कारोबारी दृष्टि से इस गुण की व्याख्या अगर की जाए तो यह काफी महत्वपूर्ण गुण है, जिसे युवाओं को अपने भीतर शामिल करना चाहिए।

    2. लीडरशिप का एमसीडी माडल (मैनेजिंग पावर, कोचिंग और डेलिगेटिंग) : एक अच्छे लीडर की क्या परिभाषा होती है? हम सभी की अपनी-अपनी अलग परिभाषा हो सकती है, लेकिन एक अच्छा और कुशल लीडर वही है, जो लीडरशिप के कुछ खास गुणों को अपने अंदर समाकर चलता है और उनका हमेशा पालन भी करता है। लीडरशिप के गुणों में तीन सवालों का उत्तर बखूबी छुपा होता है और ये तीन सवाल हैं- क्या करना है, कब करना है और कैसे करना है? इन तीनों सवालों के जवाबों को व्यवस्थित करना हमें आना चाहिए :

    मैनेजिंग पावर : लीडरशिप में मैनेजिंग पावर अधिक काम आती है, क्‍योंकि लीडरशिप चाहे बिजनेस में हो या फिर अन्य स्थानों पर लेकिन मैनेजिंग क्षमता का होना एक अनिवार्य शर्त होती है। मैनेजिंग गुण ही हमें सभी क्षेत्रों में ख्याति प्राप्‍त करवाता है। हमें आखिर कब और क्या करना है? इस सवाल के जवाब की तलाश इसी चरण के दौरान करनी पड़ती है। मैनेजिंग पावर ही काम में होने वाली गलतियों को भी पहचानने का काम करता है और फिर उन्हें सुधार कर अगली कड़ी पर काम किया जाता है।

    कोचिंग : मैनेजिंग पावर के बाद बारी आती है कोचिंग की। इस चरण में हमें कार्य करने की स्वतंत्रता प्रदान की जाती है। अगर हम एक एम्पलायी के रूप में काम करते हैं, तो यह स्वतंत्रता हमें हमारे कोच द्वारा दी जाती है और अगर हम एक बिज़नेस लीडर के तौर पर टीम को संभालने का काम करते हैं, तो हमारा कर्तव्य है कि हमें वही स्वतंत्रता अपनी टीम को भी देनी चाहिए। काम में मिली स्वतंत्रा को ही कोचिंग कहा जाता है, जिसमें हम लगातार प्रैक्टिस के दम पर काम में महारत हासिल करते हैं।

    डेलिगेटिंग : मैनेजिंग पावर और कोचिंग के बाद डेलिगेटिंग के तहत हमें काम की प्रैक्टिस नहीं, बल्कि जिम्मेदारी के साथ उसे पूरा करना होता है, जो भी हमने ट्रेनिंग में सीखा है, उस दक्षता को काम में लगाकर खत्म करने के साथ ही नवीनता लाकर उसे मिसाल के तौर पर कायम करना होता है।

    3. टैलेंट प्रोग्रेरेशन : बिजनेस माडल के इस चरण में स्‍मार्ट माडल पर काम किया जाता है। इस माडल के माध्यम से टीम लीडर अपनी टीम के निपुण कर्मचारी की पहचान कर उसके कौशल का सदुपयोग करने का काम करता है। कुल मिलाकर, अच्छा लीडर वही है, जो कर्मचारी की दक्षता और उसके स्किल्स को पहचान कर उसमें निखार लाए और उसे आगे बढ़ाने का काम करे। जाहिर है जब कर्मचारी अपनी तरक्‍की होते हुए देखता है, तो वह भी कंपनी के प्रति ईमानदार बनता है और गंभीरता के साथ काम करता है।. इसी माडल को टैलेंट प्रोगेरेशन माडल कहा जाता है। आमतौर पर वैसे तो हमने बहुत से माडल पढ़े और सुने हैं, लेकिन इस तरह से जब काम किया जाता है, तो उनमें दोहराव से बचकर नवीनता को हासिल करने पर जोर दिया जाता है और वही नवीनता आगे चलकर हमारी उन्नति का रास्ता भी बनाती है, हमें कामयाबी दिलाती है और हमारी यह कामयाबी दूसरे लोगों को भी प्रेरित करती है।